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पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/९४

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यह गली बिकाऊ नहीं/93
 


के बहाने मांबलम की ओर नहीं गयी।

"कोई जल्दी नहीं। तबीयत ठीक होने पर आ जाना । बाक़ी ठीक है।" गोपाल ने तो फ़ोन कर दिया। लेकिन वह जिस फ़ोन की प्रतीक्षा में थी, वह नहीं आया। मुत्तुकुमरन् को फोन करने के लिए वह तड़प उठी। पर भय ने हाथ रोक दिया। वह तो हठ आने बैठा था, फ़ोन क्यों करने लगा!

माधवी को लगा कि उससे बातें किये बिना वह पागल हो जाएगी । 'आउट हाउस' में हाथ भर की दूरी पर फ़ोन होते हुए भी वह कुछ कहता क्यों नहीं ? वह तड़प उठी कि अभी जाकर मुत्तुकुमरन् से क्यों न मिल लूँ ? उन आदेग में वह यह 'भूल गयी कि उसने गोपाल से झूठमूठ का बहाना किया था कि तबीयत ठीक नहीं है। शाम को पांच बजे तक वह अपने मन को काबू में रख पायी । पर साढ़े पांच बजते-न-बजते वह हार गयी और हाथ-मुँह धोकर कपड़े बदलकर चल पड़ी।

बह चाहती तो गोपाल से कहकर कार मँगवा सकती थी। लेकिन टैक्सी पर जाने के विचार से चल पड़ी । जब वह टैक्सी स्टैड' पर पहुंची, तब वहाँ कोई टैक्सी नहीं थी। टैक्सी मिलने में बड़ी देर हो गयी। उस तनाब में उसे लगा कि सिर्फ मुत्तुकुमरन ही नहीं, सारी दुनिया उससे रूठ गयी है। हर कोई किसी-न-किसी बात पर उसी पर गुस्सा उतार रहा है और उसी से बदला ले रहा है। उसे अपने आप पर भी खीझ-सी हो आयी।

धर से अजंता होटलं तक पहुँचते हुए उसने देखा कि रास्ते पर पैदल चलने वाले लोग उसे धूर-घूरकर देखते जा रहे हैं। टैक्सी की प्रतीक्षा में खड़ी रहते हुए, उसे इतनी परेशानी हुई थी कि वह आत्मग्लानि से गड़ गयी थी ।

कद-काठी से ऊँची, गदराय बदन वाली किसी औरत को रास्ते चलते देखकर ही रास्ते पर चलती आँखें उसे निगल जाती हैं। सिने-सितारे जैसी नपे-तुले नाक- नक्श वाली किसी सुन्दरी पर नजर पड़ जाए तो पूछना क्या? नोचकर न खा लेंगी ? माधवी पर भी ऐसी नजरें उठीं कि शरम से वह नज़र ही नहीं उठा पायी।

आधे घंटे के बाद एक टैक्सी मिली। इधर टैक्सी बोग रोड का मोड़ ले रही थी कि उधर गोपाल की कार कहीं बाहर जा रही थी। माधवी ने गोपाल को देख लिया। पर भाग्य से गोपाल ने माधवी को नहीं देखा। माधवी ने टैक्सी को बँगले. के द्वार पर नहीं, आउट हाउस के द्वार पर रुकवाया। 'आउट-हाउस' के झरोखों से बत्ती की रोशनी आ रही थी। भला हुआ कि मुत्तुकुमरन कहीं बाहर नहीं गया था । यहाँ आते हुए जिस झंझट का सामना करना पड़ा था, उसकी पुनरावृत्ति न हो इसलिए माधवी ने टैक्सी को रुकवा लिया।

छोकरा नायर द्वार पर मानो रास्ता रोके खड़ा था। वह बोला, "बाबूजी ने किसी को अन्दर आने को मना किया है।"

माधवी ने आँखें तरेरी तो वह रास्ता छोड़कर हट गया। अन्दर जाते ही वह