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युद्ध और अहिंसा


लेकिन अपनी इस सहानुभूति के कारण, जो कुछ न्याय है उसकी तरफ से मैं आँख नही मूँद सकता। यहूदियों के लिए 'राष्ट्रीय गृह' की पुकार मुझे कुछ बहुत आकर्पित नहीं करती। बाइबल के उल्लेख भीर फिलस्तीन लौटने के बाद यहूदियों को जिस तरह भटकना पड़ा है उसके कारण यह की जाती है। लेकिन दुनियाँ के अन्य लोगों की तरह, जिस देश में जनमें और परवरिश पायें उसीको वे अपना घर क्यों नहीं बना लेते?

फिलस्तीन तो उसी तरह अरबों का है जिस तरह कि इंग्लैण्ड अंग्रेजों का या फ्राँस फॉसीसियों का है। अरबों पर यहूदियों को लादना अनुचित और अमानुषिक है। सच तो यह है कि फिलस्तीन में आज जो कुछ हो रहा है उसका किसी नैतिक नियम से समर्थन नहीं किया जा सकता। जहाँ तक मैण्डेटों का सवाल है, वे तो पिछले महायुद्ध ही का परिणाम है। गर्वीले अरबों का बल इस प्रकार कम कर देना कि फिलस्तीन को आंशिक या पूरे रूप में यहूदियों का राष्ट्रीय गृह बनाया जा सके, मानवता के प्रति एक अपराध कहा जायगा।

अच्छा तो यही होगा कि यहूदी जहां कहीं पैदा होकर परवरिश पायें वहीं उनके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार होने पर जोर दिया जाये; क्योंकि फ्रांस में पैदा होने वाले यहूदी भी ठीक उसी तरह फाँसीसी हैं, जैसे कि फ्रांस में पैदा होनेवाले ईसाई फांसीसी हैं। अगर यहूदियों का फिलस्तीन के सिवा और कोई अपना घर न हो, तो क्या वे इस बात को पसन्द करेंगे कि