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                       लड़ाई में भाग


   विलायत पहुँचने पर खबर मिली कि गोखले तो पेरिस में रह गये हैं, पेरिस के साथ श्रावागमन का सम्बन्ध बन्द हो गया है, और यह नहीं कहा जा सकता कि वह कब श्रायेंगे । गोखले श्रपने स्वास्थ्य-सुधार के लिए फ्रांस गये थे; किन्तु बीच में ही युद्ध छिड़ जाने से वहीं श्रटक रहे । उनसे मिले बिना मुझे देश जाना नहीं था; श्रोर वह कब श्रावेंगे, यह कोई कह नहीं सकता था ।
   
   श्रब सवाल यह खड़ा हुश्रा कि इस दरमियान करें क्या ? इस लड़ाई के सम्बन्ध में मेरा धर्म क्‍या है ? जेल के मेरे साथी और सत्याग्रही सोराबजी श्रडाजणिया विलायत में बैरिस्टरी का श्रध्ययन कर रहे थे । सोराबजी को एक श्रेष्ठ सत्याग्रही के तौरपर इंग्लैण्ड में बैरिस्टरी की तालीम के लिए भेजा था कि जिससे दक्तिण श्राफ्रिका में श्राकर मेरा स्थान ले लें । उनका खर्च डाक्टर प्राणजीवनदास मेहता देते थे। उनके और उनके मार्फत डाक्टर जीवराज मेहता इत्यादि के साथ, जो विलायत में पढ़ रहे थे, इस