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२१२ युद्ध और अहिसा

पर आक्रमण किया, तो क्या उस समय भी हम हथियारों को छूना पाप मानेगे ? इसी प्रकार जब रेल, तार और जहाज इस देश के माल को विदेश भेजने के साधन न रहेंगे, तब भी क्या श्राप उनका बहिष्कार करने का ही प्रचार करेंगे ?"
   मेरे व्यवहार में परस्पर विरोधी बातें रहती हैं, ऐसी अनेक आलोचनाऍं मैंने सुनी और पढी हैं, किन्तु उन के साथ मेरे अकेले का सम्बन्ध होता है, इसलिए मैं अधिकतर उनके जवाब देने के पचड़े में नहीं पड़ता । परन्तु उपरोक्त भाई ने जो प्रश्न पूछे हैं, वे यद्यपि मेरे लिए नये नहीं हैं, तथापि सामान्य कोटि के होने के कारण उनकी यहाँ चर्चा करना उपयुक्त प्रतीत होता है ।
   जुलु विद्रोह के समय ही मैंने अपनी सेवाएँ ब्रिटिश सरकार को अर्पित नहीं की, बल्कि उसके पूर्व बोआर युद्ध के समय भी की थीं। और पिछले युद्ध के समय मैं रंगरूट भर्ती करने के लिए ही नहीं घूमा, बल्कि जब सन् १९१४ में युद्ध शुरू हुआ तो स्वयं लन्दन में मैने घायल सिपाहियों को मदद पहुँचाने के लिए 'स्वयं-सेवक दल' का भी निर्माण किया था।
   इस प्रकार यदि मैंने पाप किया है तो भरपूर किया है, इसमें कोई शक नहीं। मैंने तो प्रत्येक समय सरकार की सेवा करने के एक भी संयोग को हाथ से नहीं आने दिया । इन सब अवसरों पर केवल दो ही प्रश्न मेरे सामने होते थे । मैं उस समय अपने को जिस सरकार का नागरिक मानता था, उसके