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भारत का रुख

पिछले २७ अगस्त को, याने मृढ़तापूर्ण लड़ाई शुरू होने के ठीक पहले श्रीमती कमला देवी चट्टोपाध्याय ने मुझे लिखा था:-

"बम्बई के ‘क्रानिकल' अख़बार के ज़रिये मैंने आपसे अपील की है कि आप वर्तमान स्थिति के बारे में भारत के ही नहीं बल्कि पूर्व की समस्त शोषित प्रजाऒं के रुख को व्यक्त करें। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि आप हमारी इस पुरानी स्थिति की फिर से ताईंद कर दें कि इस साम्राज्यवादी युद्ध से हमारा कोई सरोकार नहीं है, बल्कि मैं चाहती हूँ केि इससे कुछ अधिक किया जाये। वर्तमान संघर्ष खासकर उपनिवेशों या जिन्हें नरम शब्दों में अब प्रभावकारी क्षेत्र कहा जाता है उनकी साधारण छीनाभपटी के बारे में है। इस प्रश्न पर दुनिया के ख़याल में केवल दो रायें हैं, क्योंकि वह केवल दो ही मत सुनती है। एक तो वे लोग हैं जो पूर्वस्थिति के ही कायम रहने में विश्वास रखते हैं, और दूसरे वे हैं जो उसमें तब्दीली तॊ चाहते हैं पर चाहते हैं उसी आदार पर-दूसरे शब्दों में कहें तो वे लूट का फिर से