भारतवर्ष का इतिहास/४३—मुग़लराज की घटती

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भारतवर्ष का इतिहास  (1919) 
द्वारा ई॰ मार्सडेन

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४३—मुग़लराज की घटती।
(सन् १७०७ ई॰ से १७४८ ई॰ तक)
१—मुग़ल घराने के कुल १५ बादशाह हुए। उनमें से पहिले छः शक्तिमान और सचमुच सम्राट कहे जाने के योग्य थे। मुग़ल घराने के इन सच्चे सम्राटों में औरङ्गजेब अन्तिम था। उसके समय में मुग़ल राज की हद इतनी बढ़ गई थी कि पहिले किसी सम्राट के समय में न हुई थी पर औरङ्गजेब के बुरे बर्ताव ने जगह जगह बैरी पैदा कर लिये थे। सिक्ख, राजपूत और मरहठे बिगड़ गये। औरङ्गजेब के जीवन के अन्तिम बीस बरस युद्धक्षेत्र में इस चेष्टा में बीते कि मरहठों को पराजित किया जाय परन्तु मरहठे बिद्रोही ही बने रहे। [ २०७ ]

बहादुर शाह।

२—औरङ्गजेब का बड़ा बेटा बहादुर शाह के नाम से अपने बाप के सिंहासन पर बैठा परन्तु केवल पांच बरस राज करने पाया था कि परलोक सिधारा । उसकी मृत्यु के पीछे सात बरस के समय में तीन सम्राट हुए। राज्य क्या था कठपुतलियों का खेल था; क्योंकि दरबार के उमराव लोग ऐसे शक्तिमान हो गये थे कि जिसे चाहते थे गद्दी पर बैठाते थे और जिसे चाहते थे गद्दी से उतार कर मरवा डालते थे। औरङ्गजेब की मृत्यु के बारह बरस पीछे अर्थात सन् १७१९ ई॰ में मुग़ल घराने का एक सम्राट जिसका नाम महम्मद शाह था सिंहासन पर बैठा और ३० बरस अर्थात सन् १७४८ ई॰ तक नाम मात्र का सम्राट रहा।

महम्मद शाह।

३—औरङ्गजेब की मृत्यु के पीछे किसी बड़े सूबे का सूबेदार दिल्ली के सम्राट का दबाव न मानता था और आप ही वहां का हाकिम और राजा बन बैठा था। सूबेदार सम्राट को कुछ रुपया भेजते रहते थे परन्तु जो [ २०८ ] जो चाहता था सो भेजते थे। दिखाने को यह लोग अभी तक सम्राट के आधीन थे परन्तु असल में सम्राट केवल दिल्ली का बादशाह था।

निजामुलमुल्क।

४—जिस भांति सूबेदार सम्राट की आधीनता से निकल गये थे उसी भांति नवाब सूबेदारों की आधीनता से निकल गये थे; यद्यपि अभी तक सूबेदारों के आधीन कहलाते थे। इनमें से बड़े बड़े सूबेदार और नवाब यह थे; उत्तरीय भारत में अवध का सूबेदार, और बङ्गाल और बिहार का नवाब, और दखिन में हैदराबाद का सूबेदार जो निज़ामुल-मुल्क कहलाता था, और करनाटक का नवाब।