मेरी आत्मकहानी
मेरी आत्मकहानी
लेखक
श्यामसुंदरदास
प्रकाशक
इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग
१९४१
रामचन्द्र पुरोहित, एम॰ए॰
Printed and Published by K Mittrs,
at The Indian Press, Ltd, Allahabad
यह आत्मकहानी १३ महीनों तक निरंतर सरस्वती पत्रिका प्रकाशित होकर अब पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित हो रही है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। जिस समय जैसी भावना से मन में थी और जिन उद्देश्यों से प्रेरित होकर जो काम मैंने किया है तथा जिस प्रकार मेरे कार्यों में विघ्न-बाधाएँ उपस्थित हुई है उनका मैंने यथातथ्य वर्णन किया है, पर यह सब काम स्मरण शक्ति तथा काशी नागरी-प्रचारिणी सभा की फाइलों को देखकर किया गया है। फिर भी यह सभव है कि अनजाने में, विस्मृति से या भ्राति के कारण किसी घटना के वर्णन में कोई विपर्यय हो गया हो। इसके लिये मुझे दुःख है। पर मैंने अपनी ओर से ऐसा करने का उद्योग नहीं किया है।
इस कहानी के सरस्वती में प्रकाशित होने के समय में मुझे एक विशेष अनुभव हुआ है, जिसका उल्लेख करना आवश्यक जान पड़ता है। मैं देखता हूँ कि हिंदी साहित्य-जगत् में दलबदी का प्राबल्य हो रहा है, जिसके कारण सत्य का हनन तथा प्रोपेगैंडा द्वारा मिथ्या का प्रचार और पोषण हो रहा है। इसके कई उदाहरण दिये जा सकते हैं, पर उनसे कोई लाभ नहीं। केवल इतना ही कहना है कि इस प्रकार के कार्यों से भविष्य का इतिहास विकृत रूप में उपस्थित होगा और तथ्य-निर्णय के मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ उपस्थित होंगी। मैंने जिन भावनाओं से प्रेरित होकर इन कहानियों को लिखा है वे यथास्थान वर्णन की गई है, फिर भी सब लोगों को अधिकार है कि वे अपनी-अपनी रुचि के अनुसार उनका विवेचन करें। मैं तो इतना ही कहूँगा-
जिनकी होय भावना जैसी। मम सूरत देखें ते तैसी॥
निवेदक
श्यामसुंदरदास
(१) वंश-परिचय और शिक्षा | … | १-१९ |
(२) नागरी-प्रचारिणी सभा | … | १९-३३ |
(३) अदालतों में नागरी | … | ३३-४५ |
(४) हिंदी वैज्ञानिक कोष | … | ४५-६२ |
(५) हिंदी की लेख तथा लिपि-प्रणाली | … | ६३-७९ |
(६) हस्तलिखित हिंदी-पुस्तकों की खोज | … | ७९-१०७ |
(७) अन्य कार्य | … | १०७-१३१ |
(८) आपत्तियों का पहाड़ | … | १३१-१४० |
(९) हिंदी-शब्दसागर | … | १४०-१८२ |
(१०) लखनऊ का प्रवास | … | १८३-२०५ |
(११) काशी-विश्व-विद्यालय | … | २०५-२३१ |
(१२) कुछ व्यक्तिगत बातें | … | २३१-२८४ |
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