रामनाम/२२

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[ ३२ ]और कौनसा साध्य है, यह फर्क करना मुश्किल हो जाता है। अेकादश व्रतोंमें से सत्यको ही ले, तो पूछा जा सकता है कि क्या सत्य साधन है और राम साध्य? या राम साधन है और सत्य साध्य है?

मगर मै सीधी बात पर आअू। ब्रह्मचर्यका आजका माना हुआ अर्थ ले, तो वह है—जननेद्रिय पर काबू पाना। अिस सयमका सुनहला रास्ता और अुसकी अमर रक्षा रामनाम ही है।

हरिजनसेवक, २२-६-१९४७

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रामनाम और कुदरती अिलाज

दूसरी सब चीजोकी तरह मेरी कुदरती अिलाजकी कल्पनाने भी धीरे-धीरे विकास किया है। बरसोसे मेरा यह विश्वास रहा है कि जो मनुष्य अपनेमे ईश्वरका अस्तित्त्व अनुभव करता है, और अिस तरह विकाररहित स्थिति प्राप्त कर चुकता है, वह लम्बे जीवनके रास्तेमे आनेवाली सारी कठिनाअियोको जीत सकता है। मैने जो देखा और धर्मशास्त्रोमे पढ़ा है, अुसके आधार पर मै अिस नतीजे पर पहुचा हू कि जब मनुष्यमे अुस अदृश्य शक्तिके प्रति पूर्ण जीवित श्रद्धा पैदा हो जाती है, तब अुसके शरीरमे भीतरी परिवर्तन होता है। लेकिन यह सिर्फ अिच्छा करने मात्रसे नहीं हो जाता। अिसके लिअे हमेशा सावधान रहने और अभ्यास करनेकी जरूरत रहती है। दोनोंके होते हुअे भी अीश्वर-कृपा न हो, तो मानव-प्रयत्न व्यर्थ जाता है।

प्रेस रिपोर्ट, १२-६-१९४५