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रामनाम/२५

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रामनाम
मोहनदास करमचंद गाँधी

अहमदाबाद - १४: नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, पृष्ठ ३५ से – ३६ तक

 

भी देखनेको मिलता है। "फला-फलाने मुझको चूरन दिया और मै अच्छा हो गया।" कुछ लोग अैसा कहनेवाले निकल आते है और वैद्यका व्यापार चल पड़ता है।

वैद्यो और डॉक्टरोके रामनाम रटनेकी सलाह देनेसे रोगीका दुख दूर नही होता। जब वैद्य खुद अुसके चमत्कारको जानता है, तभी रोगीको भी अुसके चमत्कारका पता चल सकता है। रामनाम पोथीका बैगन नही, वह तो अनुभवकी प्रसादी है। जिसने अुसका अनुभव प्राप्त किया है, वही यह दवा दे सकता है, दूसरा नही।

वैद्यराजने मुझे चार मत्र लिखकर दिये है। अुनमे चरक ऋषिका मत्र सीधा और सरल है। अुसका अर्थ यो है

चराचरके स्वामी विष्णुके हजार नामोमे से अेकका भी जप करनेसे सब रोग शान्त होते है।

विष्णु सहस्त्रमूर्धान चराचरपति विभुम्।
स्तुवन्नामसहस्रेण ज्वरान् सर्वान् व्यपोहति॥

—चरक चिकित्सा, अ॰ ३–श्लोक ३११

हरिजनसेवक, २४-३-१९४६

२२
सब रोगोंका अिलाज

गाधीजीने कहा–"अगर आप अपने दिलसे डरको दूर कर दे, तो मै कहूगा कि आपने मेरी बहुत मदद की। लेकिन वह कौनसी जादूअी चीज है, जो आपके अिस डरको भगा सकती है? वह है रामनामका अमोघ मत्र। शायद आप कहेगे कि रामनाममे आपको विश्वास नही, आप उसे नही जानते। लेकिन अुसके बगैर आप अेक सास भी नही ले सकते। अुसे आप चाहे अीश्वर कहिये, अल्लाह कहिये, गॉड कहिये, या अहुरमज्द कहिये। दुनियामे जितने अिन्सान है, अुतने ही अुसके बेशुमार नाम है। विश्वमे अुसके जैसा दूसरा कोअी नही। वही अेक महान है, विभु है। दुनियामे अुससे बड़ा और कोअी नही। वह अनादि, अनन्त, निरजन और निराकार है। मेरा राम अैसा है। अेक वही मेरा स्वामी और मालिक है।" गाधीजीने रुधे हुअे कठसे अिस बातका जिक्र किया कि बचपनमे वे बहुत डरपोक थे और परछाहीसे भी डरा करते थे। अुन दिनो अुनकी धाय रभाने अुन्हे डर भगानेके लिअे रामनामका मत्र सिखाया था। अुन्होने कहा—"रभा मुझसे कहती कि 'जब डर मालूम हो, रामका नाम लिया करो। वह तुम्हारी रक्षा करेगा'। अुस दिनसे रामनाम सब तरहके डरोके लिअे मेरा अचूक सहारा बन गया है।

"राम पवित्र लोगोके दिलमे हमेशा रहता है। जिस तरह बगालमे श्री चैतन्य और श्री रामकृष्णका नाम मशहूर है, अुसी तरह काश्मीरसे कन्याकुमारी तक हरअेक हिन्दू घर जिनके नामसे वाकिफ है, अुन भक्त-शिरोमणि तुलसीदासने अपने अमर महाकाव्य रामायणमे हमको रामनामका मत्र दिया है। अगर आप रामनामसे डर कर चले, तो दुनियामे आपको क्या राजा, क्या रक, किसीसे डरनेकी जरूरत न रह जाए। 'अल्लाहो अकबर' की पुकारोसे आपको क्यो डरना चाहिए? अिस्लामका अल्लाह तो बेगुनाहोकी हिफाजत करनेवाला है। पूर्वी बगालमे जो वारदाते हुअी है, अुन्हे पैगम्बर साहबका अिस्लाम मजूर नही करता।

"अगर अीश्वरमे आपकी श्रद्धा है, तो किसकी ताकत है कि आपकी औरतो और लडकियोकी अिज्जत पर हाथ डाले? अिसलिअे मुझे उम्मीद है कि आप लोग मुसलमानोसे डरना छोड देगे। अगर आप रामनाममे विश्वास करते है, तो आपको पूर्वी बगाल छोडनेकी बात नही सोचनी चाहिअे। जहा आप पैदा हुअे और पले-पुसे, वही आपको रहना चाहिअे और जरूरत पडने पर बहादुर मर्दो और औरतोकी तरह अपनी आबरूकी हिफाजत करते हुअे वही मर जाना चाहिअे। खतरेका सामना करनेके बदले अुससे दूर भागना अुस श्रद्धासे अिनकार करना है, जो मनुष्यकी मनुष्य पर, अीश्वर पर और अपने-आप पर रहती है। अपनी श्रद्धाका अैसा दिवाला निकालनेसे बेहतर तो यह है कि अिन्सान डूब कर मर जाय।

हरिजनसेवक, २४-११-१९४६