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रामनाम/२६

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रामनाम
मोहनदास करमचंद गाँधी

अहमदाबाद - १४: नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, पृष्ठ ३७ से – ३८ तक

 
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कुदरती अिलाजमे रामनाम

प्राकृतिक अुपचारकके अिलाजोमे सबसे समर्थ अिलाज रामनाम है। अिसमे अचम्भेकी कोअी बात नही। अेक मशहूर वैद्यने अभी अुस दिन मुझसे कहा था 'मैने अपनी सारी जिन्दगी मेरे पास आनेवाले बीमारोको तरह-तरहकी दवाकी पुडिया देनेमे बिताअी है। लेकिन जब आपने शरीरके रोगोको मिटानेके लिए रामनामकी दवा बताअी, तब मुझे याद पडा कि चरक और वाग्भट जैसे हमारे पुराने धन्वन्तरियोके वचनोसे भी आपकी बातको पुष्टि मिलती है।' आध्यात्मिक रोगोको (आधियोको) मिटानेके लिअे रामनामके जपका अिलाज बहुत पुराने जमानेसे हमारे यहा होता आया है। लेकिन चूकि बडी चीजमे छोटी चीज भी समा जाती है, अिसलिअे मेरा यह दावा है कि हमारे शरीरकी बीमारियोको दूर करनेके लिअे भी रामनामका जप सब अिलाजोका अिलाज है। प्राकृतिक अुपचारक अपने बीमारसे यह नही कहेगा कि 'तुम मुझे बुलाओ तो मै तुम्हारी सारी बीमारी दूर कर दू।' वह तो बीमारको सिर्फ यह बताअेगा कि प्राणीमात्रमे रहनेवाला और सब बीमारियोको मिटानेवाला तत्त्व कौनसा है। किस तरह अुस तत्त्वको जाग्रत किया जा सकता है, और कैसे अुसको अपने जीवनकी प्रेरक शक्ति बनाकर अुसकी मददसे अपनी बीमारियोको दूर किया जा सकता है। अगर हिन्दुस्तान अिस तत्त्वकी ताकतको समझ जाअे, तो हम आजाद तो हो ही जाअे, लेकिन अुसके अलावा आज हमारा जो देश बीमारियो और कमजोर तबीयतवालोका घर बन बैठा है, वह तन्दुरुस्त और ताकतवर शरीरवाले लोगोका देश बन जाय।

रामनामकी शक्तिकी अपनी कुछ मर्यादा है और अुसके कारगर होनेके लिअे कुछ शर्तोका पूरा होना जरूरी है। रामनाम कोअी जतर-मतर या जादू-टोना नही। जो लोग खा-खा कर खूब मोटे हो गये है, और जो अपने मुटापेकी और अुसके साथ बढनेवाली बादीकी आफतसे बच जानेके बाद फिर तरह-तरहके पकवानोका मजा चखनेके लिअे अिलाजकी तलाशमे रहते है, अुनके लिअे रामनाम किसी कामका नही। रामनामका अुपयोग तो अच्छे कामके लिअे होता है। बुरे कामके लिअे हो सकता होता, तो चोर और डाकू सबसे बडे भक्त बन जाते। रामनाम अुनके लिअे है, जो दिलके साफ है और जो दिलकी सफाअी करके हमेशा साफ-पाक रहना चाहते है। भोग-विलासकी शक्ति या सुविधा पानेके लिअे रामनाम कभी साधन नही बन सकता। बादीका अिलाज प्रार्थना नही, अुपवास है। अुपवासका काम पूरा होने पर ही प्रार्थनाका काम शुरू होता है, गोकि यह सच है कि प्रार्थनासे अुपवासका काम आसान और हलका बन जाता है। अिसी तरह अेक तरफसे आप अपने शरीरमे दवाकी बोतले अुडेला करे और दूसरी तरफ मुहसे रामनाम लिया करे, तो वह बेमतलब मजाक ही होगा। जो डॉक्टर बीमारकी बुराअियोको बनाये रखनेमे या अुन्हे सहेजनेमे अपनी होशियारीका अुपयोग करता है, वह खुद गिरता है और अपने बीमारको भी नीचे गिराता है।[] अपने शरीरको अपने सिरजनहारकी पूजाके लिअे मिला हुआ अेक साधन समझनेके बदले अुसीकी पूजा करने और अुसको किसी भी तरह बनाअे रखनेके लिअे पानीकी तरह पैसा बहानेसे बढकर बुरी गत और क्या हो सकती है? अिसके खिलाफ रामनाम रोगको मिटानेके साथ ही साथ आदमीको भी शुद्ध बनाता है और अिस तरह अुसको ऊचा उठाता है। यही रामनामका अुपयोग है, और यही अुसकी मर्यादा।

हरिजनसेवक, ७-४-१९४६

  1. हमे शरीरके बदले आत्माके चिकित्सकोकी जरूरत है। अस्पतालो और डॉक्टरोकी वृद्धि कोअी सच्ची सभ्यताकी निशानी नही है। हम अपने शरीरसे जितनी ही कम मोहब्बत करे, अुतना ही हमारे और सारी दुनियाके लिअे अच्छा है।—हिन्दी नवजीवन, ६-१०-१९२७