विकिस्रोत:आज का पाठ/११ जनवरी
१६ देवदासी लाला लाजपत राय द्वारा रचित दुखी भारत का एक अंश है जिसका प्रकाशन सन् १९२८ ई॰ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।
"मिस मेयो जिन कुप्रथाओं की ओर ध्यान आकर्षित करती है उनमें एक 'देवदासियों' की उपस्थिति भी है। इसमें सन्देह नहीं कि यह प्रथा अत्यन्त घृणित है। परन्तु यहाँ भी मिस मेयो ने अपनी कल्पना से ही काम अधिक लिया है। उसकी पुस्तक के ५१ वें तथा ५२ वें पृष्ठ पर लिखा है:–
"देश के कुछ भागों में विशेषतः मदरास-प्रान्त में और उड़ीसा में हिन्दुओं में एक ऐसी प्रथा प्रचलित है जिसके अनुसार माता-पिता अपने किसी उद्देश्य की सिद्धि में देवताओं से सहायता प्राप्त करने के लिए यह प्रतिज्ञा करते हैं कि यदि उनका कार्य सिद्ध हो जायगा तो वे अपनी प्रथम संतान को, यदि वह लड़की हुई, देवताओं को भेंट कर देंगे। या कोई विशेष सुन्दर कन्या अपने कुटुम्ब में अनावश्यक समझी जाने के कारण देवताओं को भेंट कर दी जाती है।..."(पूरा पढ़ें)