विकिस्रोत:आज का पाठ/१२ मार्च
रूसी साहित्य और हिन्दी प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"उपन्यास और गल्प के क्षेत्र में, जो गद्य-साहित्य के मुख्य अंग हैं, समस्त संसार ने रूस का लोहा मान लिया है, और फ्रान्स के सिवा और कोई ऐसा राष्ट्र नहीं है, जो इस विषय में रूस का मुकाबला कर सके। फ्रान्स में बालजाक, अनातोल फ्रान्स, रोमा रोलाँ, मोपासाँ आदि संसार प्रसिद्ध नाम हैं, तो रूस में टालस्टाय, मैक्सिम गोर्की, तुर्गनीव, चेखाव, डास्टावेस्की श्रादि भी उतने ही प्रसिद्ध हैं, और संसार के किसी भी साहित्य में इतने उज्ज्वल नक्षत्रों का समूह मुशकिल से मिलेगा। एक समय था कि हिन्दीं में रेनाल्ड के उपन्यासों की धूम थी। हिन्दी और उर्दू दोनो ही रेनाल्ड की पुस्तकों का अनुवाद करके अपने को धन्य समझ रहे थे।..."(पूरा पढ़ें)