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विकिस्रोत:आज का पाठ/१४ मई

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औरङ्गाबाद, दौलताबाद और रौज़ा महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित दृश्य-दर्शन का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन १९२८ ई॰ में सुलभ ग्रंथ प्रचारक मंडल कलकत्ता द्वारा किया गया था।


"ग्रेट इंडियन पेनिन्शुला रेलवे के मन्माड़ स्टेशन से जो रेलवे लाइन हैदराबाद को गई है उसी पर औरङ्गाबाद है। मन्माड़ से वह कोई ७० मील है। किसी समय दक्षिण में औरङ्गाबाढ़ की वैसी ही प्रसिद्धि थी जैसी इस तरफ़ देहली की थी। वह देहली का स्थानवर्ती था। औरंगज़ेब ने अपने शासन का पिछला भाग दक्षिण ही में व्यतीत किया। उस समय औरङ्गाबाद उसकी राजधानी था। निज़ामशाही बादशाहों के आखिरी बादशाह के परम प्रतापशाली सचिव-सेनापति मलिक अम्बर ने, १६१० ईसवी में इस नगर की नींव डाली थी। इसका पहला नाम खिरकी था, परन्तु जबसे औरङ्गजेब वहां पधारे तब से वह औरङ्गाबाद हुआ।..."(पूरा पढ़ें)