विकिस्रोत:आज का पाठ/१७ मार्च
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रामलीला-श्रीयुत माधवप्रसाद मिश्र श्यामसुंदरदास द्वारा रचित हिंदी निबंधमाला-१ का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई सं॰ १९८७ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।
"आर्य्य वंश के धर्म्म कर्म और भक्ति भाव का वह प्रबल प्रवाह, जिसने एक दिन जगत् के बड़े बड़े सन्मार्ग-विरोधी भूधरों का दर्प दलन कर उन्हें रज में परिणत कर दिया था और इस परम पवित्र वंश का वह विश्वव्यापक प्रकाश जिसने एक समय जगत् में अंधकार का नाम तक न छोड़ा था,-अब कहाँ है? इस गूढ़ एवं मर्मस्पर्शी प्रश्न का यही उत्तर मिलता है कि 'वह सब भगवान् महाकाल के महापेट में समा गया।' निःसंदेह हम भी उक्त प्रश्न का एक यही उत्तर देते हैं कि 'वह सब भगवान् महाकाल के महापेट में समा गया।..."(पूरा पढ़ें)