विकिस्रोत:आज का पाठ/१९ जुलाई
हिन्दी साहित्य का माध्यमिककाल/रहीम अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अंश है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।
"अब मैं अकबर के दरबारी कवियों की चर्चा करूंगा। इनके दरबार में भी उस समय अच्छे-अच्छे सुकवि थे। मंत्रियों में रहीम खान ख़ाना,बीरबल, और टोडरमल भी कविता करते थे। दरबारी कवियों में गंग और नरहरि का नाम बहुत प्रसिद्ध है । रहीम खान खाना मुसल्मान थे। परन्तु हिन्दी भाषा के बड़े सरस हृदय कवि थे। उनकी रचनायें बड़े आदर की दृष्टि से देखी जाती हैं। वे बड़े उदार भी थे और सहृदय कवियों को लाखों दे देते थे। उन्होंने फ़ारसी में भी रचनायें की थी। उनका 'दीवान फ़ारसी'. और'वाकयाते बाबरी' का फ़ारसी अनुवाद बहुत प्रसिद्ध है। हिन्दी में भी उन्होंने कई ग्रन्थों की रचना की है।..."(पूरा पढ़ें)