विकिस्रोत:आज का पाठ/२२ जून
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अंतरंग और बहिरंग भाषा अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अध्याय है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।
"जिन आर्य परिवार की भाषाओं का वर्णन अभी हुआ, कहाजाता है, उनमें दो विभाग हैं। एक का नाम है अन्तरंगभाषा और दूसरी का बहिरंग। इनभाषाओं की मध्य की भाषा को मध्यवर्ती भाषा कहते हैं. और वह है अर्धमागधी से प्रसूत वर्तमान काल की पूर्वी हिन्दी । अन्तरंग भाषा में निम्नलिखित भाषाओं की गणना है १ पश्चिमी हिन्दी २ पूर्वी पहाड़ी ३ मध्यपहाड़ी ४ पंजाबी ५ राजस्थानी ६ गुजराती और ७ पश्चिमीय पहाड़ी।
- निम्न लिखित भाषायें बहिरंग कहलाती हैं --
- १ मराठी । २ उड़िया । ३ बिहारी । ४ बंगाली . ५ आसामी । ६ सिंधी और ७ पश्चिमी पंजाबी।..."(पूरा पढ़ें)