विकिस्रोत:आज का पाठ/२२ मई
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हिंदी में गद्य-साहित्य-परंपरा का प्रारंभ रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिंदी साहित्य का इतिहास का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन १९४१ ई॰ में नागरी प्रचारिणी सभा "काशी" द्वारा किया गया था।
"ईसाई उपदेशक हिंदू-धर्म की स्थूल और बाहरी बातों को लेकर ही अपना खंडन-मंडन चलाते आ रहे थे। यह देखकर बंगाल में राजा राममोहन राय उपनिषद् और वेदांत का ब्रह्मज्ञान लेकर उसका प्रचार करने खड़े हुए। नूतन शिक्षा के प्रभाव से पढ़े लिखे लोगों में से बहुतों के मन में मूर्तिपूजा, तीर्थाटन, जाति-पाँति, छूआ-छूत आदि के प्रति अश्रद्धा हो रही थी। अतः राममोहन राय ने इन बातों को अलग करके शुद्ध ब्रह्मोपासना का प्रवर्त्तन करने के लिये 'ब्रह्म-समाज' की नींव डाली।..."(पूरा पढ़ें)