लेखक:रामचंद्र शुक्ल
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आचार्य रामचंद्र शुक्ल आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। मुख्य रूप से इन्होंने आलोचक के रूप में प्रसिद्धि पायी। हिन्दी साहित्य का काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायक पुस्तक हिन्दी साहित्य का इतिहास उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आलोचनात्मक कृति है। हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्होंने ही किया। हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का योगदान अविस्मरणीय है। भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबंध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं। शुक्ल जी ने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ दोनो को समान रूप से महत्त्व दिया। उन्होंने आचार्य और दार्शनिक दृष्टिकोण से साहित्यिक प्रत्ययों एवं रस आदि की पुनर्व्याख्या की।
रचनाएं
[सम्पादन]- रस-मीमांसा – १९४९
- चिन्तामणि (चार भागों में)
- कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ
- काव्य में रहस्यवाद
- हिन्दी साहित्य का इतिहास – 1९२९