विकिस्रोत:आज का पाठ/२४ जुलाई

विकिस्रोत से

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

उत्तर-काल/(ग) रीति ग्रन्थकार अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अंश है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।


"इस सत्रहवीं शताब्दी में रीति ग्रन्थकार बहुत अधिक हुये । और उन्होंने शृंगार रस, अलंकार और अन्य विषयों की इतनी अधिक रचनायें की, कि ब्रजभाषा-साहित्य श्री सम्पन्न हो गया। यह अवश्य स्वीकार करना पड़ेगा कि रीति ग्रन्थकारों ने शृंगार रस को ही अधिक प्रश्रय दिया परन्तु यह समय का प्रभाव था। यह शताब्दी जहांगीर और शाहजहाँ के राज्य-काल के अन्तर्गत है. जो विलासिता के लिये प्रसिद्ध है। जैसे मुसल्मान बादशाह और उनके प्रभावशाली अधिकारीगण इस समय बिला- सिता-प्रवाह में बह रहे थे वैसे ही इस काल के राजे और महाराजे भी । यदि मुस्लिम दरबार में आशिकाना मज़ामीन और शाइरी का आदर था तो राजे-महाराजाओं में रसमय भावों एवं बिलासितामय वासनाओं का सम्मान भी कम न था। ऐसी अवस्था में यदि शृंगार रसके साहित्य का अधिक विकास हुआ तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।..."(पूरा पढ़ें)