विकिस्रोत:आज का पाठ/२६ जुलाई
उत्तर-काल/भूषण अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अंश है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।
" वीर ह्रदय भूषण इस शताब्दी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने समयानुकूल वीर रस-धारा को प्रवाहित करने में ही अपने जीवन की चरितार्थता समझी जब उनके चारों ओर प्रवल वेग से शृंगार रस की धारा प्रवाहित हो रही थी उस समय उन्होंने वीर रस की धारा में निमग्न हो कर अपने को एक विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न पुरुष प्रतिपादित किया। ऐसे समय में भी जब देशानुराग के भाव उत्पन्न होने के लिये वातावरण बहुत अनुकूल नहीं था, उन्होंने देश-प्रेम-सम्बन्धी रचनायें करके जिस प्रकार एक भारत-जननी के सत्पुत्र को उत्साहित किया उसके लिये कौन उनकी भूयसी प्रशंसा न करेगा ? यह सत्य है कि अधिकतर उनके सामने आक्रमित धर्म की रक्षा ही थी और उनका प्रसिद्ध साहसी वीर धर्म-रक्षक के रूप में ही हिन्दू जगत के सम्मुख आता है। परन्तु उसमें देश प्रेम और जाति-रक्षा की लगन भी अल्प नहीं थी। ..."(पूरा पढ़ें)