विकिस्रोत:आज का पाठ/२८ जून

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हिन्दी साहित्य का पूर्वरूप और आरंभिक काल अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित पुस्तक हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास का एक अध्याय है। इस पुस्तक का प्रकाशन १९३४ ई॰ में पटना विश्वविद्यालय, पटना द्वारा किया गया था।


"आरम्भिक काल का प्रधान कवि चन्द है जो हमारे हिन्दी संसार का चासर है। वह भी इसी शताब्दी में हुआ मैं कुछ उसकी रचनायें भी उपस्थित करना चाहता हूं, जिससे यह स्पष्टतया प्रकट होगा कि किस प्रकार अपभ्रंश से हिन्दी भाषा रूपान्तरित हुई है। कुछ विद्वानों की यह सम्मति है कि चन्द कवि कृत पृथ्वीराज रासो की रचना पन्द्रहवीं या सोलहवीं शताब्दी की है। पृथ्वीराज रासो में बहुत सी रचनायें ऐसी हैं जो इस विचार को पुष्ट करती हैं। परन्तु मेरा विचार है कि इन प्रक्षिप्त रचनाओं के अतिरिक्त उक्त ग्रंथ में ऐसी रचनायें भी हैं जिनको हम बारहवीं शताब्दी की रचना निस्संकोच भाव से मान सकते हैं। ..."(पूरा पढ़ें)