सामग्री पर जाएँ

विकिस्रोत:आज का पाठ/२ मार्च

विकिस्रोत से

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

उट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।


"अबकी बिहार का प्रांतीय साहित्य सम्मेलन २२-२३ फरवरी को पूर्णिया में हुआ। श्री बाबू यशोदानन्दन जी ने, जो हिन्दी के वयोवृद्ध साहित्य-सेवी हैं, सभापति का आसन ग्रहण किया था। इस जीर्णावस्था में भी उन्होंने यह दायित्व स्वीकार किया, यह उनके प्रौढ़ साहित्यानुराग का प्रमाण है। प्रान्त के हरेक भाग से प्रतिनिधि आये हुए थे और खूब उत्साह था। मेहमानों के आदर-सत्कार में स्वागताध्यक्ष श्री बाबू रघुवंशसिह के सुप्रबन्ध से कोई कमी नहीं हुई। सभापति महोदय ने अपने भाषण में हिंदी भाषा, साहित्य, देव नागरी लिपि आदि विषयों का विस्तार से उल्लेख किया और बिहार में हिन्दी के प्रचार और प्रगति की जो चर्चा की, वह बिहार के लिए गौरव की वस्तु है।..."(पूरा पढ़ें)