विकिस्रोत:आज का पाठ/९ मार्च
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रुचि की विभिन्नता प्रेमचंद द्वारा रचित साहित्य का उद्देश्य का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई १९५४ ई॰ में इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा किया गया था।
"इस विषय में पुस्तक-विक्रेताओं ने बड़े महत्व की बातें कही हैं। जिससे भिन्न-भिन्न श्रेणियों और जातियों की साहित्यिक प्रवृत्ति का ठीक पता चल जाता है। उनका कहना है कि स्त्रियों को सरस साहित्य से विशेष प्रेम है, और मर्दों को गम्भीर साहित्य से। नये पुस्तकालयों में नये-से-नये उपन्यासों ही की प्रधानता होती है और ये पुस्तकालय स्त्रियों की ही कृपा दृष्टि पर चलते हैं। पुराने ढंग के पुस्तकालयों के ग्राहक अधिकतर पुरुष होते हैं, और उनमें भिन्न-भिन्न विषयों की पुस्तकें संग्रह की जाती हैं।..."(पूरा पढ़ें)