विकिस्रोत:सप्ताह की पुस्तक/४४
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प्रियप्रवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित हिंदी का पहला मौलिक प्रबंध काव्य है जिसका प्रकाशन बनारस के हिन्दी साहित्य-कुटीर द्वारा १९१४ ई॰ में किया गया था।
"दिवस का अवसान समीप था।
गगन था कुछ लोहित हो चला।
तरु-शिखा पर थी अब राजती।
कमलिनी-कुल-वल्लभ की प्रभा॥1॥
विपिन बीच विहंगम-वृन्द का।
कलनिनाद विवर्ध्दित था हुआ।
ध्वनिमयी-विविधा विहगावली।
उड़ रही नभ-मण्डल मध्य थी॥2॥"
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