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विकिस्रोत:सप्ताह की पुस्तक/७१६

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एक घूँट जयशंकर प्रसाद द्वारा १९३० ई॰ में रचित एवं प्रयाग के लीडर-प्रेस द्वारा प्रकाशित एक मौलिक एकांकी है।


"(अरुणाचल-आश्रम का एक सघन कुञ्ज। श्रीफल, वट, आम, कदम्ब और मौलश्री के बड़े-बड़े वृक्षों की झुरमुट में प्रभात की धूप घुसने की चेष्टा कर रही है। उधर समीर के झोंके, पत्तियों और डालों को हिला-हिलाकर, जैसे किरणों के निर्विरोध प्रवेश में बाधा डाल रहे हैं। वसन्त के फूलों को भीनी-भीनी सुगन्ध, उस हरी-भरी छाया में कलोल कर रही है। वृक्षों के अन्तराल से गुञ्जारपूर्ण नभखण्ड की नीलिमा में जैसे पक्षियों का कलरव साकार दिखाई देता है! मौलश्री के नीचे वेदी पर वनलता बैठी हुई, अपनी साड़ी के अंचल की बेल देख रही है। आश्रम में ही कहीं होते हुए संगीत को कभी सुन लेती है, कभी अनसुनी कर जाती है।)"...(पूरा पढ़ें)