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  • गुदगुदी हुई, बोली—"आप मुझे भगाना चाहते हैं?" "नहीं।" नरेन्द्र का कंठ बिलकुल स्थिर था। आभा ने फिर नरेन्द्र को देखा—"गाँववाले आपको आवारा कहते हैं।" कंठ में सहानुभूति...
    ५३१ B (३,४१९ शब्द) - ०५:२४, २६ मार्च २०२३
  • वासियों को क्यों नहीं? इसलिए नहीं, क्योंकि वे आचार्य के देश, द्वीप या भूमिखण्ड के वासी हैं। [ ५१ ]आचार्य मुग्धानल शायद चाहते हैं कि “नेटिव” संस्कृता- ध्यापक...
    ६०३ B (५,४६१ शब्द) - १५:५४, ३१ अक्टूबर २०२१
  • वेदान्तरहस्य स्वीकार कर अपनी जिज्ञासा तृप्त की। परमहंसजी के देह-त्याग के बाद नरेन्द्र ने कोट-पतलून उतार फेंका और संन्यास ले लिया। उस समय से आप विवेकानन्द नाम...
    ४५० B (६,१९६ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • जिन्हें प्राप्त है—अर्थात् जिनकी कविता उसके समान मधुर है, उन वाणियों के आचार्य पद का अनुभव करने के लिये मेरे अतिरिक्त कौन पुरुष धन्य हो सकता है। इस विषय...
    ३१० B (५,६८८ शब्द) - १५:५७, १० जुलाई २०२३
  • दिक्रमशील नगरको भेजा । इस पुरुपने तीन वर्षतक आचार्य राम रहम उन्हें तिब्बत चलने पर राज किंया । जय आचार्य तिब्नेतको रवाना हुए तब मार्ग नयपाल देश पड़ा ।...
    ३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३