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  • कुन्द-कलिका-गात ; ⁠हिल रहा है श्वेत अञ्चल शात ⁠पवन से अज्ञात प्रतिपल। चन्द्र-प्रिय-मुख से लगे हैं नयन, शिखर-शेखर भवन पर है शयन, वायु व्याकुल कर रही है चयन अलक-उपवन-गन्ध...
    ४४८ B (९७ शब्द) - ०६:०५, ४ जुलाई २०२३
  • (२) वनान्त-प्रदेश-वासी राजा राजोव-रञ्जनप्रसादसिंह के प्रिय दत्तक पुत्र शशि-शेखर-कुमार, घोड़े पर सवार होकर, मृगया खेलने उसी वन में आये हुए थे। किशोरावस्था...
    ५४० B (२,९८२ शब्द) - ०६:१६, २९ जनवरी २०२२
  • बहुत सी बातें अमर-रचित 'काव्य-कल्पलता वृत्ति' और केशव मिश्र कृत 'अलंकार शेखर' से ली हैं। पर केशव के ५० या ६० वर्ष पीछे हिंदी में लक्षण-ग्रंथों की जो परपरा...
    ८३८ B (९,६२६ शब्द) - ०१:४३, २० मई २०२४
  • और सुवर्ण से समृद्ध राजगृह नाम का नगर है जो नत्र यौवना पृथ्वी की श्री के शेखर सह दिखाई देता है । उक्त नगर में चार द्वार हैं जो चार प्रकार के हैं जिन पर...
    ४९३ B (२१,९१० शब्द) - ०१:१०, ११ जुलाई २०२४
  • दोहे में किया है ।। ननंद =नंदनंदन अर्थात् श्रीकृष्णचंद्र ॥ ससिसेखर ( शाश-शेखर )= महादेवजी, जिनके मस्तक पर चंद्रमा है ॥ अकस (अरबी अक्स )-इस शब्द का मुख्यार्थ...
    ३४२ B (१६,८४३ शब्द) - ००:१६, १० जुलाई २०२४