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- से भी बढ़कर अच्छा लगता है। [ १३५ ] अधमा दोहा बिनु दोषहि रूठै तजै, बिना मनाये मानु। जाको रिस रस हेतु बिन, अधमा ताहि बखानु॥ शब्दार्थ—रूठै—क्रोधित हो। भावार्थ—जो...३९९ B (४,८६४ शब्द) - ०४:३६, २२ सितम्बर २०२२
- की किसी वस्तु के प्रति कैसी उपेक्षा या लापरवाई खकट करती हैं- मधुकर! कौन मनायो मानै? सिखवहु तिनहिं समाधि की बातैं जे हैं लोग सयाने। [ ७७ ] हम अपने ब्रज...४१७ B (१८,९८५ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
- जवश्य ही इन विषयों पर अन्य लिऐ थे । फरेसने लिया है कि बौद्ध लेखक दशचने अपने मनाये प्रायश्चित्तविकृमें और विज्ञानेश्वरने मिताक्षरामें भीजी घर्मशासका हेरा$...३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
- प्रकार का भाव इस कवित्त मैं भी है-“घरी द्वैक परम सुजान पिय प्यारी रीझि मान न मनायौ, मानिनी को मान देखि रह्यौ ।' डोरी सारी नील की ओट अचूक, चुकें न । मो मन-भृगु...२९३ B (१८,७९० शब्द) - २०:४४, १५ मई २०२४