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सदस्य वार्ता:SM7

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--अजीत कुमार तिवारी (वार्ता) ०२:१३, १ जून २०२१ (UTC)उत्तर दें

बहुत-बहुत धन्यवाद अजीत कुमार तिवारी जी! आशा करता हूँ यहाँ भी काफी कुछ सीखने को मिलेगा। --SM7--बातचीत-- ०४:१२, १ जून २०२१ (UTC)उत्तर दें

अनुक्रम पृष्ठ से श्रेणी न हटाएं

[सम्पादन]

नमस्ते। अनुक्रम पृष्ठों (विषयसूची:) से विषय संबंधी श्रेणियां न हटाएं। ऐसा हम बाद में करेंगें जब पुस्तक पूर्ण प्रमाणित हो जाएंगें। इनका विषय संबंधी पृष्ठों पर प्रयोग हुआ है। अनिरुद्ध कुमार (वार्ता) ००:३८, ३ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें

नमस्ते @अनिरुद्ध कुमार जी, इत्तफाक से मैंने तभी संपादन बंद किया था जब आप शायद संदेश लिख रहे थे। चूँकि, विकिस्रोत:विषय (और तत्पश्चात इसके उपपृष्ठ) मुखपृष्ठ और मुखपृष्ठ पर ट्रांसक्लूड साँचे से जुड़े हुए हैं, मुझे ऐसा लगा कि यहाँ केवल पूर्ण पुस्तकें होनी चाहिए जो मुख्य नामस्थान में हैं, न कि वे विषयसूचियाँ जिनपर अभी काम जारी है। क्या यह विषय अनुसार काम जारी और सहकार्य के लिए पुस्तकें खोजने के लिए है? --SM7--बातचीत-- ०३:२९, ३ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें
आपने ठीक समझा है। किसी विषय पर वे पुस्तकें भी हमारी नजर में रहेंगी जो पूर्ण नहीं हुई हैं। इसके साथ ही हमें यह भी पता चलता रहेगा कि उनपर कितना काम करना शेष है। इससे नई पुस्तक अपलोड करने, सुधारने, परापूर्ण करने संबंधी निर्णय लेने में बहुत सुविधा होती है। मसलन हिंदी साहित्य का इतिहास विषय क्षेत्र की पूर्ण पुस्तक तो एक ही है किंतु अपूर्ण पुस्तकों की सूची से ही हम समझ सकते हैं कि और कौन-कौन सी पुस्तकें खोजकर हमें विकिस्रोत पर लानी हैं तथा किनपर काम करने में प्राथमिकता देनी है। अनिरुद्ध कुमार (वार्ता) ०५:१८, ३ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें
@अनिरुद्ध कुमार जी, चूँकि, इस तरह का श्रेणीकरण केवल व्यवस्थापन कार्य के लिए है और/अथवा संपादन लक्ष्य निर्धारित करने के लिए है, इसे कार्यों (रचनाओं) के मुख्य श्रेणीकरण का हिस्सा नहीं होना चाहिए। कार्यों को वर्गीकृत करने वाली श्रेणियों में केवल मुख्य नामस्थान के पृष्ठ ही आने चाहिए। रखरखाव और व्यवस्थापन के कार्य के लिए सीमित पदानुक्रमों वाली "विकिपरियोजना कखग" जैसे नाम से श्रेणियाँ बनाई जा सकती हैं, जो छुपाई हुई श्रेणियाँ भी हों, जहाँ "विषयसूची:" नामस्थान के पन्ने निगरानी के लिए रखे जा सकते। सीमित पदानुक्रम से आशय है कि एक विकिपरियोजना की उप-विकिपरियोजनाएँ हो सकती हैं, लेकिन इस तरह उप-परियोजनाओं के भी अन्य उप-उप-परियोजना श्रेणियाँ बनाना सीमित रहे। श्रेणी के भीतर एक स्तर का वर्गीकरण सॉर्ट कुंजी द्वारा भी किया जा सकता है।
हालाँकि, फिलहाल मैं इसे ऐसे ही छोड़ रहा और अभी आगे इस तरह की श्रेणियाँ नहीं हटाऊँगा। अभी के लिए जैसे चल रहा, चलने देते हैं।
श्रेणी:तमिल से श्रेणी:तमिल भाषा जैसा श्रेणीकरण बदलने का कार्य जो किया था उसमें अंततः पहले वाली बची पुनर्प्रेषित श्रेणियों की कड़ियाँ भी वहाँ बदलनी थीं जहाँ इन्हें और इनके अंदर पन्नों की संख्या प्रदर्शित हो रही; और उसके बाद उनको हटा देना था।
कामताप्रसाद गुरु से लेखक:कामताप्रसाद गुरु पर पुनर्प्रेषण क्रॉस-नामस्थान पुनर्प्रेषण है। ऐसे पुनर्प्रेषण बनाने की बजाय कड़ी ही लेखक नामस्थान वाले पृष्ठ की देना बेहतर है, "लेखक:" प्रीफ़िक्स को छुपाने के लिए पाइप ट्रिक का प्रयोग किया जाना चाहिए। क्रॉस-नामस्थान पुनर्प्रेषण (तकनीकी रूप से संभव हैं, पर) विकि पर केवल कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में परियोजना नामस्थान से सहायता या श्रेणी नामस्थान को बनाये जा सकते हैं। अतिरिक्त टाइप करने के रूप में शुरू में "लेखक:" और अंत में पाइप पर्याप्त होता है, सहेजे जाने पर यह अपने आप नाम का दुहराव उचित प्रारूप में लेता है।
--SM7--बातचीत-- ०८:२४, ३ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें
प्राथमिक रूप से आपका सोचना ठीक है। मैंने इसी सोच को थोड़ा आगे बढ़ाया है। जबतक हम पुस्तक पूर्ण नहीं करते हैं तबतक उसके अपूर्ण अनुक्रम को विषय श्रेणी में शामिल रखेंगें। पुस्तक के पूर्ण प्रमाणित हो जाने के बाद हम विषय की श्रेणी से अनुक्रम को हटा देंगें क्योंकि तब इसे रखने की कोई जरूरत नहीं होगी। इन सबके लिए अलग परियोजनाएं और पृष्ठ बनाकर जटिल प्रक्रिया करना वैसे ही होगा जैसे दस कर्मचारियों वाली कंपनी के पाँच दफ्तर खोल दिए जाएं। जैसे-जैसे परियोजना बड़ी होगी हम प्रक्रिया को जटिल बना सकते हैं।
मेरी योजना सभी लेखक पृष्ठों तथा पुस्तकों के अध्याय पृष्ठों का अनुप्रेषण बनाने की है। इससे इन्हें विभिन्न पुस्तकों में जोड़ने में सहायता होगी। मसलन किसी पुस्तक में कफन का जिक्र हो तो हम केवल उसे कड़ी के रूप में बदल दें तो वह स्वतः ही मानसरोवर/कफन से जुड़ जाए। इसी तरह कामता प्रसाद गुरु को जोड़ने के लिए हमेशा लेखक:कामता प्रसाद गुरु लिखकर पाइप लगाकर जोड़ने की जरूरत न पड़े। पुनर्निर्देशन की सुविधा कोई समस्या नहीं है। इससे अंतरविकि कड़ियाँ बनाने में भी सुविधा होगी। मसलन विकिपीडिया के पृष्ठ पर s:कफन लगाकर भी कफन कहानी पर पहुँचा जा सकेगा। यदि आप यह काम बॉट की मदद से कर सकें तो मेरा काफी श्रम बच जाएगा। फिलहाल आप लेखक पृष्ठों के अनुप्रेषण से शुरुआत कर सकते हैं।
अनिरुद्ध कुमार (वार्ता) १५:२७, ६ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें
@अनिरुद्ध कुमार जी, सबसे पहले तो देर से उत्तर के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। हम विकिपीडियनों के साथ एक आम समस्या है, लगातार संपादन करते हुए हम संपादन को ही इसका मुख्य उद्देश्य बना लेते हैं और जाने-अनजाने में हर चीज को संपादन में सुविधा के नजरिये से ही देखने लगते। यह बिल्कुल सही है कि हमारा कार्य यहाँ पढ़ने का नहीं बल्कि लिखने/सुधारने का अधिक है लेकिन प्रकल्प का प्राथमिक उद्देश्य संपादन नहीं है बल्कि संपादन कार्य परदे के पीछे की चीज है। अतः पाठक के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली चीजें और संपादकों की सुविधा की चीजें आपस में मिला कर रखना उचित नहीं है। अभी फिलहाल आपको यह तकनीकी रूप से संभव कार्य सुविधाजनक लग रहा क्योंकि यहाँ संपादक शायद पाठकों से अधिक हैं।
जहाँ तक स्पष्ट और साफ़ सुथरी व्यवस्था की बात है, यह प्रकल्प के प्रारंभिक चरण से ही शुरू हो तो अधिक बेहतर है, ऐसा हिंदी विकिपीडिया पर नहीं हुआ, और आज कई चीजों की (ख़ासकर श्रेणीकरण) की व्यवस्था इतनी अव्यवस्थित है कि सुधारने की भी इच्छा हो तो एक बार व्यक्ति मामले को देखकर हताश हो जाता और यह सोचकर छोड़ देता है कि अकेले तो यह सुधार वो कर पाने से रहा। दफ़्तर पहले से कई खुले हुए हैं, विकिस्रोत:विषय/हिंदी/आत्मकथा जैसे पन्ने पर एक भी पूर्ण पुस्तक नहीं सूचीबद्ध है और अपूर्ण पुस्तकें भी मात्र 3 लिस्टेड हैं, फिर भी यह दफ़्तर खुला हुआ है श्रेणी:आत्मकथा में केवल दो पुस्तकें हैं, दोनों अपूर्ण हैं। बड़ी आसानी से इन्हें साहित्य अथवा हिंदी साहित्य में रखा जा सकता जब तक प्रकल्प बड़ा नहीं हो जाता, तो क्या वर्तमान विषयसूची की ये चीज़ें अधिक दफ़्तर मान ली जाएँ?
विकिपरियोजना के लिए इतने दफ़्तर जरूर बिना खोले काम चल जायेगा। एक हिंदी साहित्य विकिप्रोजेक्ट में सभी अपूर्ण पुस्तकें रखी जा सकतीं (मुझे नहीं लगता संपादक/शोधक भी इसमें पसंद अनुसार खोज करने की इतनी आवश्यकता रखते होंगे कि वो यह कहेंगे कि मैं तो केवल हिंदी कहानी के शोधन का कार्य ही करूँगा इसलिए मुझे उसकी अलग से परियोजना चलानी है या श्रेणी बनाई जाय। एक हिंदी साहित्य की विकिपरियोजना का दफ़्तर खोल लेने से अगर यह घालमेल व्यवस्थित हो जाता कि पाठकों और संपादकों के मतलब की चीज़ें हम अलग अलग सुलझा सकें तो यह कोई बुरा नहीं है। इस एक श्रेणी के अंदर भी सॉर्ट कुंजी द्वारा देवनागरी के अक्षरों की संख्या के बराबर अनुभागों अनुसार सॉर्टिंग करके व्यवस्थापन किया जा सकता है।
दूसरा मुद्दा पुनर्प्रेषण का भी ऐसा ही है। पुनर्प्रेषण की तकनीकी सुविधा संपादकों की गलतियों, असमंजस और आलस्य को तुरंत हाथों-हाथ न सही किये जा सकने के चलते प्रदान की गई है। दूसरी ध्यातव्य बात यह भी है कि हम यहाँ विकिपीडिया पर नहीं हैं जहाँ अत्यधिक मात्रा में विकिकड़ियाँ बनाना लाज़मी होता और उन्हें व्यवस्थित करना मुश्किल और बड़ा काम होता है। यहाँ इस प्रकल्प की प्रकृति विकिपीडिया जैसी नहीं है बल्कि यहाँ अत्यधिक सीमित मात्रा में ही विकिकड़ियों का प्रयोग होना संभावित है। जो उदाहरण आप दे रहे कि कहीं कफ़न का ज़िक्र हो तो उसे कड़ी में बदल कर पुस्तक से जोड़ा जा सके वह विकिपीडिया की प्रवृत्ति है, इस प्रकल्प की प्रकृति का हिस्सा ही नहीं है। भले ही यह तकनीकी रूप से संभव हो, ऐसा करना बिल्कुल अनावश्यक है। यह विकिपीडिया नहीं है जहाँ एक लेख पढ़ते समय किसी को दूसरा लेख पढ़ने की आवश्यकता भी पड़ जाए। हम यहाँ पुस्तकालय हैं जो पढ़ने और डाउनलोड करने योग्य पुस्तकें तैयार कर रहे। एक पुस्तक में दूसरी पुस्तक के नाम की कड़ी बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है।
इसी प्रकार अगर कोई गलती से बिना "लेखक:" जोड़े सीधे लेखक के नाम की कड़ी बनाता है तो बजाय उससे पुनर्प्रेषण बनाने के कड़ी को सुधारना चाहिए। यह भी तो ध्यान दें कि किसी लेखक के नाम की कड़ी कितनी जगह इस्तेमाल होनी ही है यहाँ। और बॉट कार्य तो अंग्रेजी विकिपीडिया पर भी इस तरह के होते हैं कि वो यदि पुनर्प्रेषण पृष्ठ की कड़ी जुडी हो तो उसे उचित लेख की कड़ी में बदलते हैं, पाइप लगा कर, ताकि पुनर्प्रेषण पृष्ठ कम से कम जगह सीधे कड़ी के रूप में इस्तेमाल हो।
दूसरे प्रकल्प वाला उदाहरण भी ध्यान से सोचें तो विकिपीडिया पर हम कहाँ और कितनी जगह s:कफ़न लिख के इसका प्रयोग करेंगे। मेरे ख़याल से तो शायद एक बार भी नहीं। कफ़न लेख पर विकिस्रोत की कड़ी साँचे द्वारा जोड़ी जायेगी, प्रेमचंद के लेख पर यहाँ वाले लेखक पृष्ठ की कड़ी भी साँचे द्वारा जोड़ी जायेगी जो स्वतः "लेखक:" प्रीफ़िक्स जोड़कर कड़ी बनाने के लिए डिजाइन है। तो इसकी तो कोई संभावना ही नहीं है कि आपको विकिपीडिया या विकिसूक्ति जैसे किसी प्रकल्प पर ऐसी कड़ी बनानी पड़े जो विकिस्रोत पर बिना "लेखक:" प्रीफ़िक्स वाले नाम से जुड़े। यह गलती से हो सकता है, सही तरीके से कभी होगा ही नहीं; ऐसे में गलती सुधारना लक्ष्य होना चाहिए न कि पुनर्प्रेषण परियोजना चला कर उसे और बढ़ावा देना। --SM7--बातचीत-- १३:१२, ११ अगस्त २०२३ (UTC)उत्तर दें