हड़ताल/अङ्क दूसरा

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अङ्क दूसरा

दृश्य १

साढ़े तीन बजे हैं। रॉबर्ट के झोंपड़े के रसोई घर में धीमी आग जल रही है। कमरा साफ़ और सुथरा। ईंट का फर्श है, सफ़ेद पुती हुई दीवारें हैं, जो धुएँ से काली हो गई हैं। सजावट के सामान बहुत थोड़े हैं। चूल्हे के सामने एक दरवाज़ा है जो अन्दर की तरफ़ खुलता है। दरवाजे के सामने बर्फ से भरी हुई गली है। लकड़ी की मेज़ पर एक प्याला और एक तश्तरी, एक चायदान, छुरी, और रोटी और पनीर की एक रकाबी रक्खी हुई है। चूल्हे के पास एक पुरानी आरामकुर्सी है जिस पर एक चीथड़ा लपेटा हुआ है। उस पर मिसेज़ रॉबर्ट बैठी हुई हैं। वह एक दुबली और काले बालों वाली औरत है, अवस्था ३५ के लगभग होगी। आँखों से दीनता बरसती है। उस के बालों में कंघी नहीं की हुई है, पीछे की तरफ़ एक फीते से बाँध दिए गए हैं। भाग के पास ही मिसेज़ यो हैं। उसके बाल लाल और मुँह चौड़ा है मेज़ के पास मिलेज़ राउस बैठी हैं। वह एक बुड्ढी औरत है, बिल्कुल सफ़ेद, बाल सन हो गए हैं। दरवाज़े के पास [ ८८ ]मिसेज़ बल्जिन इस तरह खड़ी है मानो जानेवाली हो। वह एक छोटी-सी पीले रंग की दुबली-पतली औरत है। एक कुर्सी पर कुहनियों को मेज़ पर रक्खे और चेहरे को हाथों से थामे मैज टॉमस बैठी हुई है। वह बाईस साल की रूपवती स्त्री है। उसके गाल की हड्डियाँ ऊँची हैं, आँखें गहरी, और बाल काले और उलझे हुए। वह न बोलती है, हिलती है, केवल बातें सुन रही है।

मिसेज़ यो

बस, उसने मुझे छः पेन्स दिये और इस हफ़्ते में मुझे पहिली बार इन्हीं पैसों के दर्शन हुए यह आग बहुत मन्द है। मिसेज़ राउस, आकर हाथ पैर सेंक लो। तुम्हारा चेहरा बर्फ़ की तरह सफ़ेद हो गया है, सच।

मिसेज़ राउस

[काँपती हुई शान्त भाव से]

होगा। लेकिन असली सर्दी तो उसी साल पड़ी जिस दिन मेरे बूढ़े पति यहाँ नौकर हुए। ७९ का साल था जब कि तुम में से किसी का जन्म भी न हुआ होगा, न मैज टॉमस का, न मिसेज़ बल्जिन का। [ ८९ ]

[उनकी ओर बारी-बारी से देखती है]

क्यों एनी रॉबर्ट, उस वक्त तुम्हारी क्या उम्र थी?

मिसेज़ रॉबर्ट

सात साल।

मिसेज़ राउस

बस सात साल! तब तो तुम बिलकुल बच्ची थीं।

मिसेज़ यो

[घमंड से]

मेरी उम्र दस साल की थी। मुझे याद है।

मिसेज़ राउस

[शान्त भाव से]

तब कम्पनी को खुले हुए तीन साल भी न हुए थे दादा तेज़ाब घर में काम करते थे। वहीं उन की टाँग सड़ गई थी। मैं उनसे कहती थी, दादा, तुम्हारी टाँग सड़ गई है; वह कहते थे सड़े या गले, मैं खाट पर नहीं पड़ सकता। और दो दिन के बाद उन्होंने खाट पकड़ ली और फिर न [ ९० ]उठे। ईश्वर की मर्जी थी! तब हर्जाने वाला क़ानून न था।

मिसेज़ यो

क्या उस जाड़े में कोई हड़ताल नहीं हुई थी?

[विकट हास्य के भाव से]

यह जाड़ा तो मेरे लिए बहुत बुरा है। क्यों मिसेज़ रॉबर्ट, सर्दी खूब पड़ रही है या अभी जी नहीं भरा? क्यों मिसेज बल्जिन, भूख लगी है न?

मिसेज़ बल्जिन

चार दिन हुए हमने रोटी और चाय खाई थी।

मिसेज़ यो

शुक्र की धुलाई वाला काम तुम्हें मिला या नहीं?

मिसेज़ बल्जिन

[दुखी होकर]

उन्होंने मुझे काम देने का वादा तो किया था, लेकिन शुक्रवार को गई तो कोई जगह ही न थी। अब मुझे अगले हफ़्ते में फिर जाना है। [ ९१ ]

मिसेज़ यो

अच्छा! वहाँ भी आदमियों की भरमार है। मैं तो यो को बर्फ़ के मैदान में भेज देती हूँ कि अमीरों को बर्फ़ पर चलाएँ। जो कुछ मिल जाय वही सही। उन्हें घर की चिन्ता से तो छुट्टी मिल जाती है।

मिसेज़ बल्जिन

[रूखी और उदास आवाज़ से]

मर्दो को तो जाने दो, लड़कों का हाल और भी बुरा है। मैं तो उन्हें सुला देती हूँ। पड़े रहने से भूख कुछ कम लगती है, लेकिन रो-रोकर सब नाक में दम कर देते हैं।

मिसेज़ यो

तुम्हारे लिए तो इतनी कुशल है कि बच्चे छोटे छोटे हैं। जो पढ़ने जाते हैं उन्हें तो और भी भूख लगती है। क्या बल्जिन तुम्हें कुछ नहीं देते? [ ९२ ]

मिसेज़ बल्जिन

[सिर हिलाकर नहीं करती है, तब कुछ सोचकर]

कुछ बस ही नहीं चलता तो क्या करें?

मिसेज़ यो

[बनावट से]

क्या कम्पनी में उनके हिस्से नहीं हैं?

मिसेज़ राउस

[उठकर काँपती हुई, किन्तु प्रसन्नसुख से]

अच्छा अब चलती हूँ, एनी रॉबर्ट।

मिसेज़ रॉबर्ट

ठहरो, जरा चाय तो पीती जाव।

मिसेज़ राउस

[कुछ मुसकुरा कर]

रॉबर्ट आएगा तो वह भी तो चाय पिएगा। मैं तो जाकर खाट पर पड़ रहूँगी। खाट ही पर बदन में गर्मी आवेगी।

[लड़खड़ाती हुई द्वार की ओर चलती है]

[ ९३ ]

मिसेज़ यो

[उठकर उसे हाथ का सहारा देती हुई]

आओ अम्मा, मेरा हाथ पकड़ लो। यही तो हम सब की गति होगी।

मिसेज़ राउस

[हाथ पकड़ कर]

अच्छा खुश रहो बेटियो।

[दोनों चली जाती हैं, पीछे मिसेज़ बल्जिन भी जाती है।]

मैज

[अब तक चुप रहने के बाद बोलती है]

देखा एनी! मैंने जॉर्ज राउस से कहा-जब तक यह हड़ताल बन्द न हो जाय मेरे पीछे न पड़ो। तुम्हें शर्म नहीं आती कि तुम्हारी माँ मर रही है और घर में लकड़ी का नाम नहीं। हम चाहे भूखों मर ही जायँ लेकिन तुम्हें तम्बाकू पीने को चाहिए। उसने कहा-मैज, मैं क़सम खाता हूँ कि इन तीन हफ़्तों से न तम्बाकू की सूरत देखी न शराब की। [ ९४ ] मैंने कहा फिर क्यों अपनी ज़िद पर अड़े हुए हो? बोला, "मैं रॉबर्ट की बात को नहीं दुलख सकता।" बस जहाँ देखो रॉबर्ट-रॉबर्ट! अगर वह न बोले, तो आज हड़ताल बन्द हो जाय। उस की बातें सुन कर सभों पर नशा चढ़ जाता है,

[वह चुप हो जाती है मिसेज़ रॉबर्ट के मुख से दुःख का भाव प्रगट होता है।]

तुम यह कब चाहोगी कि रॉबर्ट हार जाय! वह तुम्हारा स्वामी है। साये की तरह सब के पीछे लगा रहता है।

[मिसेज़ रॉबर्ट की ओर देखकर मुँह बनाती है।]

जब तक राउस रॉबर्ट से अलग न हो जायगा मैं उस से बात न करूँगी। अगर वह उस का साथ छोड़ दे, तो फिर सब छोड़ दें। सब यही चाह रहे हैं कि कोई आगे चले। दादा उन से बिगड़े हुए हैं-सब के सब मन में उन्हें गालियाँ देते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

तुम्हें राबर्ट से इतनी चिढ़ है!

[दोनों चुप चाप एक दूसरे की ओर ताकती हैं]

[ ९५ ]

मैज

क्यों न चिढ़ूँ? जिनकी माँ और बच्चे इधर-उधर ठोकरें खाते फिरते हों उन्हें यह जिद शोभा नहीं देती- सब कायर हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

मैज!

मैज

[मिसेज़ रॉबर्ट को चुभती हुई आँखों से देखकर]

समझ में नहीं आता तुम्हें कैसे मुँह दिखाता है।

[आग के सामने बैठकर हाथ सेंकती है]

हार्निस फिर आ गया। आज सभों को कुछ न कुछ निश्चय करना पड़ेगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[नर्म, धीमी आवाज़ में]

रॉबर्ट इंजिनियरों और भट्टीवालों का पक्ष न छोड़ेंगे। यह उचित नहीं है। [ ९६ ]

मैज

मैं बातों में नहीं आने की। यह उसका घमड है!

[कोई द्वार खटखटाता है। दोनों औरतें घूमकर उधर देखती हैं। एनिड अन्दर आती है। वह एक गोल ऊन की टोपी पहिने हुए है, और गिलहरी की खाल का एक जाकिट। वह दरवाज़ा बन्द करके आती है।]

एनिड

मैं अन्दर आऊँ, ऐनी!

मिसेज़ रॉबर्ट

[झिझक कर]

आप हैं मिस एनिड! मैज, मिसेज़ अंडरवुड को कुर्सी दो।

[मैज एनिड को वही कुर्सी देती है जिस पर आप बैठी हुई थी।]

एनिड

धन्यवाद! अब तबीयत कुछ अच्छी है? [ ९७ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ मालकिन, अब तो कुछ अच्छी हूँ।

एनिड

[मेज़ की ओर इस तरह देखती है, मानो उस से कह रही है, तुम चली जाव]

तुम ने मुरब्बे क्यों लौटा दिए? यह तुम ने अच्छा नहीं किया।

मिसेज़ रॉबर्ट

आप ने मुझ पर बड़ा अनुग्रह किया, लेकिन मुझे उस की जरूरत नहीं थी।

एनिड

ठीक है! यह रॉबर्ट की करतूत होगी। है न? तुम लोगों को इतना कष्ट सहते उन से कैसे देखा जाता है।

[चौंक कर]

कैसा कष्ट? [ ९८ ]

एनिड

[चकित होकर]

क्या मैं कुछ झूठ कहती हूँ?

मैज

कौन कहता है कि हमें कष्ट है, मिसेज़ रॉबर्ट?

मैज

[अपना शाल सिर पर डाल कर]

हमारे बीच में बोलने वाली आप कौन होती हैं? हम नहीं चाहते कि आप हमारे घर में आकर ताक झाँक करें।

एनिड

[उसे क्रोध से देखकर लेकिन बग़ैर उठे हुए]

मैं तुमसे नहीं बोलती।

मैज

[ग़ुस्से से भरी हुई, नीची आवाज़ में]

आप का दया-भाव आप को मुबारक रहे। आप समझती हैं कि आप हम लोगों में मिल सकती हैं; [ ९९ ] लेकिन यह आप की भूल है। जाकर मैनेजर साहब से कह देना।

एनिड

[कठोर स्वर में]

यह तुम्हारा घर नहीं है।

मैज

[द्वार की ओर घूमकर]

नहीं यह मेरा घर नहीं है। मेरे मकान में कभी न आइयेगा।

[वह चली जाती है, एनिड मेज को उँगलियों से खटखटाती है]

मिसेज़ रॉबर्ट

मैज टामस् को क्षमा कीजिए, हुजूर। वह आज बहुत दुःखी है।

एनिड

[उस की ओर देख कर]

उस की क्या बात है, मैं तो समझती हूँ सब के सब मूर्ख हैं, काठ के उल्लू। [ १०० ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

हाँ हैं तो।

एनिड

क्या रॉबर्ट बाहर गए हैं?

मिसेज़ रॉबर्ट

जी हाँ।

एनिड

यह उन्हीं की करतूत है कि कोई बात तै नहीं होती! झूठ तो नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[एनिड की ओर ताकती हुई और एक हाथ की उँगलियों को अपनी छाती पर हिलाते हुए]

लोग कहते हैं कि तुम्हारे बाप[ १०१ ]

एनिड

मेरे बाप अब बुड्ढे हो गए हैं और तुम बुड्ढे आदमियों का स्वभाव जानती हो।

मिसेज़ रॉबर्ट

मुझे खेद है कि मैंने यह बात छेड़ी।

एनिड

[और नर्मी से]

तुमने वाजिबी बात कही। तुम को इस का खेद क्यों हो? मैं जानती हूँ कि इस में रॉबर्ट का भी दोष है और मेरे पिता का भी।

मिसेज़ रॉबर्ट

मुझे बूढ़े आदमियों पर दया आती है, हुजूर। बुढ़ापे से ईश्वर बचाए। मैं तो मिस्टर ऐंथ्वनी को हमेशा बहुत ही नेक आदमी समझती थी। [ १०२ ]

एनिड

[भावुकता से]

तुम्हें याद नहीं है वह तुम्हें कितना चाहते थे? अब बतलाओ एनी मैं क्या करूँ? मुझे कोई नहीं बताता। तुम्हें जिन चीज़ों की ज़रूरत है वह यहाँ एक भी मयस्सर नहीं।

[आग के पास जाकर वह डेगची उतार लेती है और कोयला ढूंढने लगती है।]

और तुम इतनी मनहूस हो कि झोल और सारी चीज़ें लौटा दी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

हाँ हुज़ूर।

एनिड

[झुँझला कर]

क्या तुम्हारे यहाँ कोयला भी नहीं है? [ १०३ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

कृपा कर के पतीली को फिर ऊपर रख दो। रॉबर्ट आयेंगे तो उन्हें चाय के लिए देर हो जायगी। चार बजे उन्हें मज़रों से मिलना है।

एनिड

[डेगची ऊपर रख कर]

इस का अर्थ यह है कि वह फिर मजूरों का मिज़ाज गर्म कर देंगे। क्यों ऐनी तुम उन को मना नहीं कर सकतीं?

[मिसेज़ रॉबर्ट दीन भाव से मुसकुराती है]

तुम ने कभी आजमाया है?

[ऐनी कोई उत्तर नहीं देती]

क्या वह जानते हैं कि तुम्हारी क्या हालत है?

मिसेज़ रॉबर्ट

मेरा दिल कमज़ोर है, हुजूर और कोई बीमारी नहीं [ १०४ ]

एनिड

जब तुम हमारे साथ थीं तब तो तुम्हें कोई रोग न था।

मिसेज़ रॉबर्ट

[गर्व से]

रॉबर्ट मुझ पर बड़ी दया रखते हैं?

एनिड

लेकिन तुम्हें जिस चीज़ की ज़रूरत हो, वह मिलनी चाहिए और तुम्हारे पास कुछ नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[विनीत भाव से]

सब यही कहते हैं, कि तुम्हारी सूरत मरने वालों की सी नहीं है।

एनिड

बेशक नहीं है। अगर तुम्हें अच्छा भोजन-अगर तुम चाहो तो मैं डॉक्टर को तुम्हारे पास भेज दूँ? उन की दवा से तुम्हें अवश्य लाभ होगा। [ १०५ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ आपत्ति कर के]

हाँ हुजूर।

एनिड

मैज टॉमस को यहाँ मत आने दिया करो, वह तुम्हें और दिक़ करती है। मुझ से मजूरों की कौन सी बात छिपी है? मुझे उनकी दशा देख कर बड़ा दुःख होता है, लेकिन तुम जानती हो कि उन्होंने बात को कितना बढ़ा दिया है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[उँगुलियों को बराबर हिलाती हुई]

लोग कहते हैं मजूरी बढ़वाने के लिए कोई दूसरा उपाय नहीं है।

एनिड

[तत्परता से]

यही तो कारण है, कि यूनियन उन की मदद नहीं करता मेरे स्वामी को मजूरों का बड़ा ख्याल है। लेकिन वह

कहते हैं उन की मजूरी कम नहीं है। [ १०६ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

यह बात है?

एनिड

ये लोग यह नहीं सोचते कि इन की मुँह माँगी मजूरी देकर कम्पनी कैसे चलेगी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[बल पूर्वक]

लेकिन नफ़ा तो बहुत हो रहा है, हुजूर।

एनिड

तुम लोग सोचती हो कि हिस्सेदार लोग बड़े मालदार हैं लेकिन यह बात नहीं है। उन में से बहुतों की दशा मजूरों से अच्छी नहीं है।

[मिसेज़ रॉबर्ट मुसकुराती है]

उन्हें भलमनसी का निवाह भी तो करना पड़ता है।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ हुज़ूर। [ १०७ ]

एनिड

तुम लोगों को कोई टैक्स या महसूल नहीं देना पड़ता। और सैकड़ों बातें हैं जो उन्हें करनी पड़ती हैं और तुम्हें नहीं करनी पड़ती। अगर मज़र लोग शराब और जुए में इतना न उड़ा दें तो चैन से रह सकते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

ये लोग तो कहते हैं कि काम इतना कठिन है, कि मन बहलाने के लिए कुछ न कुछ होना चाहिए।

एनिड

लेकिन इस तरह की बुरी बुरी बातें तो नहीं?

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ चिढ़ कर]

रॉबर्ट तो कभी छूते भी नहीं और जुआ तो उन्होंने कभी जिन्दगी में नहीं खेला। [ १०८ ]

एनिड

लेकिन वह मामूली मजूर-वह इंजीनियर हैं, ऊँचे दर्जे के आदमी हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ बीबी। रॉबर्ट कहते हैं कि और किसी तरह के मन बहलाव का मजूरों के पास कोई सामान ही नहीं है।

एनिड

[सोच कर]

हाँ कठिन तो है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ इर्ष्या से]

लोग तो कहते हैं ये भद्र लोग भी यही बुराइयाँ करते हैं।

एनिड

[मुसकुरा कर]

मैं इसे मानती हूँ एनी, लेकिन तुम खुद जानती हो यह बिलकुल गप है। [ १०९ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[बड़े कष्ट से बोल कर]

बहुत से आदमी तो कभी शराबख़ाने की तरफ़ ताकते ही नहीं। लेकिन उन की बचत भी बहुत कम होती है। और यदि कोई बीमार पड़ गया तो वह भी गायब हो जाती है।

एनिड

लेकिन उन के क्लब भी तो हैं?

मिसेज रॉबर्ट

क्लब एक परिवार को हफ़्तों में केवल १८ शिलिंग देता है। और इतने में क्या होता है। रॉबर्ट कहते हैं मजूर लोग हमेशा फ़ाकेमस्त रहते हैं। कहते हैं आज का ६ पेन्स कल के १ शिलिंग से अच्छा है।

एनिड

लेकिन इसी को तो जुआ कहते हैं। [ ११० ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[आवेश के प्रवाह में]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूरों का सारा जीवन जन्म से लेकर मरने तक जुआ ही है।

[एनिड प्रभावित होकर आगे झुक जाती है। मिसेज़ राबर्ट का आवेश बढ़ता जाता है यहाँ तक अन्तिम शब्दों में वह अपने ही दुःख से विकल हो जाती है।]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूर के घर जब बच्चा पैदा होता है तो उस की साँसें गिनी जाने लगती हैं, भय होता है इस साँस के बाद दूसरी साँस लेगा भी या नहीं। और इसी तरह उस का जीवन कट जाता है। और जब वह बुड्ढा हो जाता है, तो अनाथालय या क़ब्र के सिवा उसके लिए दूसरा ठिकाना नहीं। वह कहते हैं कि जब तक आदमी बहुत चालाक न हो और कौड़ी-कौड़ी पर निगाह न रक्खे और बच्चों का पेट न काटे वह कुछ बचा नहीं सकता। इसी लिए तो वह बच्चों से चिढ़ते हैं। चाहे मेरी इच्छा भी हो।

एनिड

हाँ-हाँ जानती हूँ। [ १११ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

नहीं बीबी, आप नहीं जानतीं। आप के बच्चे हैं और उनके लिए आप को कभी चिन्ता न करनी पड़ेगी।

एनिड

[नम्रता से]

इतनी बातें मत करो एनिड।

[इच्छा न रहने पर भी कहती है]

लेकिन रॉबर्ट को तो उस आविष्कार के लिए काफ़ी रुपए दिये गए थे।

मिसेज़ रॉबर्ट

[अपना पक्ष सँभालती हुई]

रॉबर्ट ने जो कुछ जोड़ा था वह सब ख़र्च हो गया। वह बहुत दिनों से इस हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। वह कहते हैं जब दूसरे लोग कष्ट उठा रहे हैं, तो मैं एक पैसा भी अपने पास नहीं रख सकता। मगर सब का यह हाल नहीं है। बहुत से तो किसी से कोई मतलब ही नहीं रखते। हाँ, उन की आमदनी होती रहे! [ ११२ ]

एनिड

जब उन्हें इतना कष्ट है, तो इसके सिवा और कर ही क्या सकते हैं।

[बदली हुई आवाज़ में]

लेकिन रॉबर्ट को तुम्हारा तो ख़्याल करना ही चाहिए। डेगची खौल गई है; चाय बना दूँ?

[चायदानी उठाती है और उस में चाय पाकर पानी डाल देती है]

तुम भी तो एक प्याला लो।

मिसेज़ रॉबर्ट

नहीं बीबी, मुझे क्षमा करो।

[कोई आवाज़ सुन रही है जैसे किसी की आहट हो]

मैं चाहती हूँ कि रॉबर्ट से आप की भेंट न हो।

[वह आपे से बाहर हो जाते हैं।]

एनिड

लेकिन मैं तो बिना मिले न जाऊँगी, ऐनी। मैं बिलकुल शांत रहूँगी वादा करती हूँ। [ ११३ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

उन के लिए यह जीवन और मरण का प्रश्न है।

एनिड

[बहुत कोमलता से]

मैं उन्हें बाहर ले जा कर बातें करूँगी। हम तुम्हें दिक़ नहीं करेंगी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[क्षीण स्वर में]

नहीं बीबी।

[वह ज़ोर से चौंक पड़ती है, रॉबर्ट यकायक अन्दर आ जाता है।]

रॉबर्ट

[अपनी टोपी उतार कर चुटकी लेता हुआ]

अन्दर आने के लिये क्षमा करना। तुम किसी लेडी से बातें कर रही हो।

एनिड

मि॰ रॉबर्ट, मैं आप से कुछ बातें करना चाहती हूँ। [ ११४ ]

रॉबर्ट

मुझे किस से बातें करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है?

एनिड

आप तो मुझे जानते हैं। मैं मिसेज़ अंडरवुड हूँ।

रॉबर्ट

[द्वेष भरे हुए अभिवादन के साथ]

हमारे सभापति की बेटी!

एनिड

[तत्परता से]

मैं यहाँ आप से कुछ बातें करने आई हूँ। एक मिनट के लिए ज़रा बाहर चले आइए।

[वह मिसेज़ रॉबर्ट की ओर ताकती है]

रॉबर्ट

[अपनी टोपी लटकाता हुआ]

मुझे आप से कुछ नहीं कहना है, देवी जी। [ ११५ ]

एनिड

लेकिन मुझे बहुत ज़रूरी बातें करनी हैं।

[वह द्वार को ओर चलती है]

रॉबर्ट

[यकायक कठोर होकर]

मेरे पास कुछ सुनने के लिए समय नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

डेविड!

एनिड

बहुत कम समय लूँगी, मि॰ रॉबर्ट।

रॉबर्ट

[कोट उतार कर]

मुझे खेद है कि मैं एक महिला की–मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी की बात भी नहीं सुन सकता। [ ११६ ]

एनिड

[दुबिधे में पड़ जाती है फिर यकायक दृढ़ होकर]

मिस्टर रॉबर्ट, मैंने सुना है कि मज़ूरों की दूसरी सभा होनेवाली है।

[रॉबर्ट सिर झुकाकर स्वीकार करता है।]

मैं आप के पास भिक्षा माँगने आई हूँ। ईश्वर के लिए कुछ समझौता करने की चेष्टा करो। थोड़ा सा दब जाओ चाहे अपनी ही ख़ातिर क्यों न दबना पड़े।

रॉबर्ट

[आप ही आप]

मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी मुझ से यह कहती हैं कि कुछ दब जाऊ, चाहे अपनी ख़ातिर क्यों न हो।

एनिड

सब की ख़ातिर, अपनी पत्नी की ख़ातिर!

रॉबर्ट

अपनी पत्नी की ख़ातिर, सब की खातिर-मिस्टर ऐंथ्वनी की ख़ातिर। [ ११७ ]

एनिड

आप को मेरे पिता से क्यों इतनी चिढ़ है? उन्हों ने तो आप से कभी कुछ नहीं कहा।

रॉबर्ट

कभी कुछ नहीं कहा?

एनिड

जिस तरह आप अपनी राय नहीं बदल सकते उसी तरह वह भी अपनी राय नहीं बदल सकते।

रॉबर्ट

अच्छा! मुझे यह आज मालूम हुआ कि मेरी भी कोई राय है।

एनिड

वह बूढ़े आदमी हैं और आप-

[उस को अपनी तरफ़ ताकते देख कर वह रुक जाती है]

[ ११८ ]

रॉबर्ट

[आवाज़ ऊँची किए बग़ैर]

अगर मैं मिस्टर ऐंथ्वनी को मरते देखूँ और मेरे हाथ उठाने से उन की जान बचती हो, तो भी मैं एक उँगली न हिलाऊँगा।

एनिड

आप-आप।

[वह रुक जाती है और अपने होंठ काटने लगती है।]

रॉबर्ट

हाँ, मैं एक उँगली भी न उठाऊँगा, और यह सच है!

एनिड

[रुखाई से]

यह तुम ऊपरी मन से कह रहे हो।

रॉबर्ट

नहीं, मैं दिल से कह रहा हूँ। [ ११९ ]

एनिड

लेकिन क्यों ऐसा कहते हो?

रॉबर्ट

[चमक कर]

इस लिए कि मिस्टर ऐंथ्वनी अन्याय का झंडा उठाए हुए हैं।

एनिड

वाहियात बात।

[जिसेज़ रॉबर्ट उठने की चेष्टा करती है लेकिन अपनी कुर्सी पर गिर पड़ती है।]

एनिड

[तेज़ी से आगे बढ़ कर]

एनी!

रॉबर्ट

मैं नहीं चाहता कि आप मेरी पत्नी की देह में हाथ लगायें। [ १२० ]

एनिड

[एक प्रकार की घृणा से पीछे हट कर]

मैं समझती हूँ कि तुम पागल हो गए हो।

रॉबर्ट

एक पागल आदमी का घर किसी महिला के लिए अच्छी जगह नहीं है।

एनिड

मैं तुम से डरती नहीं।

रॉबर्ट

[सिर झुकाकर]

मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी भला किसी से डर सकती है। मिस्टर ऐंथ्वनी उन में से दूसरों की तरह कायर नहीं हैं।

एनिड

[चौंककर]

तो शायद तुम इस झगड़े को बढ़ाए रखना वीरता समझते हो। [ १२१ ]

रॉबर्ट

क्या मिस्टर ऐंथ्वनी ग़रीब स्त्रियों और बच्चों की गरदन पर छुरी चलाना वीरता समझते हैं? मैं समझता हूँ मिस्टर ऐंथ्वनी धनी आदमी हैं। क्या वह उन लोगों से लड़ने में अपनी बहादुरी समझते हैं जो दाने दाने को मुहताज हैं? क्या वे इसे बहादुरी समझते हैं कि बच्चों को दुःख से रुलाया जाय और औरतें सर्दी के मारे ठिठुरें।

एनिड

[अपना हाथ उठा कर मानो कोई वार बचा रही है]

मेरे पिता जी अपने सिद्धान्त पर चल रहे हैं। और आप इसे जानते हैं।

रॉबर्ट

मैं भी वही कर रहा हूँ।

एनिड

आप हमें शत्रु समझते हैं, और अपनी हार मानते

आप की कोर दबती है। [ १२२ ]

रॉबर्ट

मिस्टर ऐंथ्वनी भी तो हार नहीं मानते। चाहे मुँह से कुछ ही क्यों न कहें।

एनिड

बहर हाल आप को अपनी पत्नी पर दया करनी चाहिए।

[मिसेज़ रॉबर्ट जो कि छाती को हाथ से दबाए हुए है, हाथ उठा लेती है, और साँस रोकना चाहती है]

रॉबर्ट

इस के सिवा मुझे और कुछ नहीं कहना है।

[वह रोटी उठा लेता है, दरवाज़े की कुंडी खटकती है और अन्डरवुड अन्दर आता है। वह खड़ा होकर उन की तरफ़ ताकता है। एनिड फिर कर उस की तरफ देखती है, और दुबिधे में पड़ जाती है।]

अंडरवुड

एनिड! [ १२३ ]

रॉबर्ट

[व्यंग से]

आप को अपनी बीबी के लिए यहाँ आने की ज़रूरत न थी, मिस्टर अंडरवुड। हम शुहदे नहीं हैं।

अंडरवुड

इतना मालूम है, रॉबर्ट। मिसेज राबर्ट तो अब अच्छी हैं।

[रॉबर्ट बिना जवाब दिए मुँह फेर लेता है]

आओ एनिड।

एनिड

मिस्टर राबर्ट, मैं आप की पत्नी की खातिर एक बार आप से फिर विनय करती हूँ।

रॉबर्ट

[मीठी छुरी चला कर]

अगर आप बुरा न मानें तो अपने पिता और स्वामी की ख़ातिर यह विनय कीजिए। [ १२४ ][एनिड जवाब देने की इच्छा को दबा कर चली जाती है। अन्डरवुड दरवाज़ा खोलता है, और उसके पीछे पीछे चला जाता है। राबर्ट आग के पास जाता है, और उठती हुई चिंगारियों के सामने हाथ उठाता है।]

रॉबर्ट

कैसा जी है, प्रिये? अब तो कुछ अच्छी हो न?

[मिसेज़ रॉबर्ट कुछ मुसकुराती है। वह अपना ओवरकोट लाकर उसे उढ़ा देता है।]

[घड़ी देख कर]

चार बजने में दस मिनट हैं।

[मानो उसे कोई बात सूझ जाती है]

मैंने उन के चेहरे देखे हैं, उस बुड्ढे डाकू के सिवा और किसी में दम नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

ज़रा ठहर जाव और कुछ खालो डेविड, आज तो तुमने दिन भर कुछ नहीं खाया। [ १२५ ]

रॉबर्ट

[गले पर हाथ रख कर]

जब तक ये भेड़िए यहाँ से चले न जायँगे मुझ से कुछ न खाया जायगा।

[इधर से उधर टहलता है]

मुझे मजूरों से अभी बहुत माथा पच्ची करनी पड़ेगी। किसी में हिम्मत नहीं है। सब कायर हैं। बिलकुल अन्धे। कल की किसी को फिकर ही नहीं।

मिसेज़ रॉबर्ट

यह सब औरतों के कारण हो रहा है, डेविड।

रॉबर्ट

हाँ औरतों को ही वह सब बदनाम करते हैं। जब अपना पेट काँ कूँ करता है, तो औरतों की याद आती है। औरत उन्हें शराब पीने से नहीं रोकती। लेकिन एक शुभ कार्य में जब कुछ तकलीफ़ होती है तो चट औरतों की दुहाई देने लगते हैं। [ १२६ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

लेकिन उनके बच्चों का तो ख़्याल करो, डेविड।

रॉबर्ट

अगर वे ग़ुलाम पैदा करते चले जायँ और जिन्हें पैदा करते हैं उनके भविष्य की कुछ भी चिंता न करें-

मिसेज़ रॉबर्ट

[साँस भर कर]

बस रहने दो डेविड, उस की चर्चा ही मत करो। मुझ से नहीं सुना जाता। मैं नहीं सुन सकती।

रॉबर्ट

सुनो, जरा सुनो।

मिसेज़ रॉबर्ट

[हाँफती हुई]

नहीं-नहीं, डेविड, मुझसे मत कहो। [ १२७ ]

रॉबर्ट

हैं हैं! तबियत को सँभालो

[व्यथित होकर]

मूर्ख, बुरे दिन के लिये एक पैसा भी नहीं रखते। जानते ही नहीं। कौड़ी कफ़न को नहीं! इन्हें खूब जानता हूँ, इनकी दशा देख कर मेरा दिल टूट गया है। शुरू-शुरू में तो सब काबू में न आते थे लेकिन अब सभों ने हिम्मत हार दी।

मिसेज़ रॉबर्ट

तुम यह आशा कैसे कर सकते हो, डेविड, वे भी तो आदमी हैं।

रॉबर्ट

कैसे आशा करूँ! जो कुछ मैं कर सकता हूँ उसकी आशा दूसरों से भी कर सकता हूँ। मैं तो चाहे भूखों मर जाऊँ सिर कभी न झुकाऊँगा। जो काम एक आदमी कर सकता है, वह दूसरा आदमी भी कर सकता है। [ १२८ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

और औरतें कहाँ जायँगी?

रॉबर्ट

यह औरतों का काम नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

(द्वेष के भाव से चमक कर]

नहीं, औरतें मरा करें, तुम्हें उनकी क्या परवाह। जान दे देना ही उनका काम है।

रॉबर्ट

[आँख हटा कर]

मरने की कौन बात है, कोई नहीं मरेगा जब तक हम इनको मजा न चखा देगें।

[दोनों की आँखें फिर मिल जाती हैं, और वह फिर अपनी आँख हटा लेता है।]

इतने दिनों से इसी अवसर का इन्तज़ार कर रहा हूँ कि इन डाकुओं को नीचा दिखाऊँ। और सब के सब अपना [ १२९ ] सा मुँह लिए घर लौट जायँ। मैं उन की सूरत देख चुका हूँ। विश्वास मानो सब घुटने टेकने को तैयार हैं।

[खूंटी के पास जाकर अपना कोट उतार लेता है]

मिसेज़ रॉबर्ट

[उसके पीछे आँखें लगाए हुए नर्मी से]

अपना ओवर कोट ले लो डेविड, बाहर बड़ी ठंड होगी।

रॉबर्ट

[उस के पास आ कर आँखें चुराए हुए]

नहीं नहीं, चुपचाप लेटी रहो मैं बहुत जल्द आऊँगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[व्यथित होकर किन्तु कोमल भाव से]

तुम इसे लेते ही क्यों न जाव।

[वह कोट उठाती है, लेकिन रॉबर्ट उसे फिर उड़ा देता है। वह उस से आँखें मिलाना चाहता है लेकिन नहीं मिला सकता। मिसेज़ रॉबर्ट कोट में लिपटी हुई पड़ी रहती है, उस की आँखों में जो रॉबर्ट के पीछे लगी हुई हैं द्वेष और प्रेम दोनों मिले हुए हैं। वह फिर अपनी घड़ी [ १३० ] देखता है, और जाने के लिए घूमता है। ड्योढ़ी में उस की जैन टॉमस से मुठभेड़ हो जाती है। यह एक दस साल का लड़का है जिस के कपड़े बहुत ढीले हैं और हाथ में एक छोटी सी सीटी लिए हुए है।]

मिसेज़ रॉबर्ट

कहो जैन कैसे चले?

जैन

दादा आ रहे हैं, बहन मैज भी आ रही है।

[वह मेज़ पर बैठ जाता है, फिर अपनी सीटी घुमाने लगता है और तीन ऊट पटांग स्वर बजाता है। तब कोयल की बोली की नक़ल करता है। दरवाज़ा खटकता है और बूढ़ा टॉमस अन्दर आता है।]

टॉमस

मैडम को परनाम करता हूँ। अब तो आप कुछ अच्छी हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ मिस्टर टॉमस्, धन्यवाद। [ १३१ ]

टॉमस

[शंकित होकर]

रॉबर्ट अन्दर हैं?

मिसेज़ रॉबर्ट

अभी वह जलसे में गये हैं मिस्टर टॉमस्।

टॉमस

[मानो उस के दिल का बोझ हल्का हो जाता है गपशप करने की इच्छा।]

यह बहुत बुरा हुआ मैडम। मैं उन शे यह कहने आया था कि हमें लंदन वालों शे शमझौता कर लेना चाहिए। ये दुःख की बात है, कि वह जलशे में चले गए। वहां दीवारों से सर टकराना पड़ेगा। देख लेना।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ उठ कर]

वह समझौता तो नहीं करेंगे, मिस्टर टॉमस्। [ १३२ ]

टॉमस

तुम्हें रंज नहीं करना चाहिए, मैडम। यह तुम्हारे लिए बुरा है। मेरी बात मानो, अब उन का शाथ देने वाला कोई नहीं है। बश इंजिनियर लोग और जॉर्ज राउश उन के शाथ हैं।

[गम्भीरता से]

इस हड़ताल में अब धरम नहीं है, मेरी बात मानो। मुझे आकाशवाणी हुई है और मैंने उस से शंका शमाधान किया है।

[जैन सीटी बजाता है]

हिश! दूसरे क्या कहते हैं इस की मुझे परवा नहीं है। मैं तो यही कहता हूँ कि धरम इस हड़ताल को बन्द कर देना चाहता है। मेरी समझ में तो यही आता है। और यह मेरी राय है, कि हमारा हित इसी में है। अगर मेरी राय न होती, तो मैं न कहता। लेकिन यह मेरी राय है, मेरी बात मानो।

मिसेज़ रॉबर्ट

[अपने उद्वेग को छिपाने की चेष्टा कर के]

अगर आप लोग दब गए तो न जाने रॉबर्ट का क्या हाल होगा। [ १३३ ]

टॉमस्

यह उन के लिए लज्जा की बात नहीं है! आदमी जो कुछ कर शकता है, वह उन्होंने किया। लेकिन वह मानव शुभाव को पलट देना चाहते हैं। बिलकुल सीधी सी बात है। कोई दूसरा होता तो वह भी यही करता। लेकिन जब धरम मना कर रहा है तो उन्हें उस की बात माननी चाहिए।

[जैन कोयल की नक़ल करता है]

क्या चें चें लगा रक्खी है।

[द्वार के पास जाकर]

यह देखो मेरी बेटी आ गई। तुम्हारा जी बहलायेगी। अच्छा अब परनाम करता हूँ, मैडम। रंज मत करना। कुढ़ना बुरा है। मेरी बात मानो।

[मैज अन्दर आती है और खुले हुए द्वार पर खड़ी होकर सड़क की ओर देखती है]

मैज

दादा, आप को देर हो जायगी। जलसा शुरू हो रहा है। [ १३४ ]

[उस की आस्तीन पकड़ लेती है]

ईश्वर के लिए दादा अब की बार और उन का साथ दो ।

टॉमस

[अपनी आस्तीन छुड़ा कर रोब से]

क्या बकती है, बेटी। मैं वही करूँगा जो उचित है।

[वह चला जाता है, मैज जो अभी ड्योढ़ी के बीच में थी धीरे धीरे अन्दर आती है, मानो उस के पीछे कोई और आ रहा है।]

राउस

[दालान में आकर]

मैज।

[मैज मिसेज़ रॉबर्ट की तरफ पीठ कर के खड़ी हो जाती है और सिर उठा कर हाथ पीछे किए हुए उस की तरफ देखती है।]

राउस

[जिस के चेहरे से क्रोध और घबराहट झलक रही है]

मैज, मैं जलसे में जा रहा हूँ।

[मैज, वहीं खड़ी अनादर भाव से मुसकुराती है]

[ १३५ ]मेरी बात सुनती हो?

[दोनों साँय-साँय जल्द जल्द बातें करते हैं]

मैज

हाँ सुनती हूँ। जाव और हिम्मत हो, तो अपनी माँ को मार डालो।

[राउस उस की दोनों बाहें पकड़ लेता है वह सिर को पीछे किए हुए स्थिर खड़ी रहती है। वह उसे छोड़ देता है और चुपचाप खड़ा हो जाता है।]

राउस

मैंने रॉबर्ट का साथ देने की क़सम खाई है। तुम चाहती हो, कि मैं अपने क़ौल से फिर जाऊँ।

मैज

[मन्द स्वर में उस की हँसी उड़ाकर]

खूब प्रेम करते हो।

राउस

मेरी बात सुनो, मैज! [ १३६ ]

मैज

[मुसकुरा कर]

मैंने सुना है कि प्रेम वही करते हैं जो उन की प्रेमिका कहती है।

[जैन कोयल की बोली बोलता है।]

लेकिन मालूम होता है, यह भ्रम है।

राउस

तुम चाहती हो कि मैं उन्हें दग़ा दूँ।

मैज

[अपनी आँखें आधी बन्द कर के]

मेरी खातिर से दो।

राउस

[हाथ से माथा पीट कर]

चलो! यह मैं नहीं कह सकता। [ १३७ ]

मैज

[जल्दी से]

मेरी ख़ातिर से करो।

राउस

[दाँतों को दबा कर]

मेरे साथ कुलटाओं की चाल मत चलो, मैज!

मैज

[जैन की तरफ जल्दी से अपना हाथ बढ़ा कर]

मैं बच्चों का पेट भरने के लिए यह कर रही हूँ।

[क्रोध से भरी हुई कनबतियों में]

मैज, ओ मैज!

मैज

[उस का मुँह चिढ़ा कर]

लेकिन तुम मेरे लिए अपना वचन नहीं तोड़ सकते। [ १३८ ]

राउस

[रूँधे हुए कंठ से]

नहीं मैज, तोड़ सकता हूँ। खुदा की क़सम!

[वह घूमता है और क़दम बढ़ाता चला जाता है।]

[मैज के चेहरे पर हल्की सी मुसकुराहट आ जाती है। वह खड़ी उस के पीछे ताकती है। तब मैज के पास आती है।]

मैज

रॉबर्ट को तो मैंने मार लिया।

[वह देखती है कि मिसेज़ रॉबर्ट फिर कुरसी पर लेट गई है।

मैज

[उस के पास जा कर और उस के हाथों को छू कर]

अरे! तुम तो पत्थर की तरह ठंढी हो रही हो! एक घूँट ब्रांडी पी लो। जैन, दौड़ 'लायन' की दूकान पर।

कहना मैंने मिसेज़ रॉबर्ट के लिये मँगवाई है। [ १३९ ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[क्षीण स्वर में]

मैं अभी उठ बैठूँगी मैज, जैन को चाय तो दे दो।

मैज

[जैन को एक टुकड़ा रोटी देकर]

ले, नटखट कहीं के! सीटी बन्द कर।

[आग के पास जाकर]

आग तो ठंढी हुई जाती है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

उस से होता ही क्या है!

[जैन सीटी बजाने लगता है।]

मैज

मत-मत-नहीं मानेगा-आऊँ।

[जैन सीटी बन्द कर देता है]

[ १४० ]

मिसेज़ रॉबर्ट

[मुसकुरा कर]

उसे खेलने क्यों नहीं देती, मैज!

मैज

[आग के पास घुटनियों के बल बैठी हुई कान लगाए हुए]

बस टुकुर टुकुर ताका करो! यही स्त्री का काम है। मुझ से तो यह नहीं हो सकता। सुनते सुनते जी ऊब गया। बस बैठी मुँह ताका करो! सुनती हो जलसे में सभों का शोर! मुझे तो सुनाई दे रहा है

[वह कुहनियों के बल मेज़ पर झुक जाती है और ठुड्डी हाथों पर रख लेती है। उस के पीछे मिसेज़ रॉबर्ट आगे झुकी हुई खड़ी है। हड़तालियों के जल्से की आवाजें सुन कर उस की घबड़ाहट और मनोव्यथा बढ़ती जाती है।]

पर्दा गिरता है