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अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अन्तर्राष्ट्रीय संघ

विकिस्रोत से
अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ २० से – २१ तक

 

अन्तर्राष्ट्रीय संघ--समाजवाद के आचार्य कार्ल मार्क्स ने समाजवादी विचारधारा के व्यापक प्रचार और प्रसार के लिए सन् १८६४ मे प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय-सघ की स्थापना की। सन् १८७१ ने पेरिस की पचायत (कम्यून) की घटना हुई।

यह सबसे प्रथम समाजवादी विद्रोह था। इससे यूरोप की सरकारे भयभीत होगई। इस सघ के प्रति सरकारो का रुख़ कड़ा होगया। इसलिए कार्ल मार्क्स ने सन् १८७२ मे इसका प्रधान कार्यालय अमरीका के मुख्य नगर न्यूयार्क में भेज दिया। अमरीका जाने पर इसका प्रभाव यूरोप से कम होगया और धीरे-धीरे उसका अन्त होगया। सन् १८८९ मे द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ की स्थापना की गई। यूरोप में इस समय मजदूर-सघो और श्रमजीवी दलो का बल और साधन पहले से अधिक बढ़ गए थे। मार्क्स के जमाने से अब उनकी इज्ज़त भी अधिक बढ़ गई थी। यह सघ २५ वर्ष तक चला। फिर जब महायुद्ध आया तब इसका अन्त हो गया। इसके कार्यकर्त्ता और संचालक अपने-अपने देशो मे उच्च पदो पर नियुक्त होगये। पद-ग्रहण करते ही, यह मज़दूरो के हिमायती, ठंडे पड गये और मजदूर आन्दोलन को कुचलने में भी इन्हे संकोच न हुआ। युद्ध के बाद जर्मनी के समाजवादी-प्रजातत्र दल के लोग प्रजातत्र-राज्य के राष्ट्रपति

और प्रधान-मन्त्री बन गये। फ्रान्स मे मज़दूरो का नेता ब्रियाद ग्यारह बार प्रधान-मन्त्री बना और उसने मज़दूरो की हडतालो को दबाया। विश्व-युद्ध (१९१४-१८) के बाद रूस के प्रमुख नगर मास्को मे रूसी राज्य-क्रान्ति के प्रमुख नेता लेनिन ने सन् १९१९ मे एक नवीन अन्तर्राष्ट्रीय सघ की स्थापना की। यह विशुद्ध साम्यवादी संघ था। इसमे वही सम्मिलित हो सकते थे, जो अपने को पक्का साम्यवादी घोषित करते थे। यह आज भी विद्यमान है और यह संघ तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के नाम से विख्यात हैं। विश्व-युद्ध के बाद द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के जो कुछ लोग शेष बचे, वे कुछ तो तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ में मिल गये और जो शेष बचे उन्होने द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ का पुनरुद्धार किया। आज ये दोनो संघ द्वितीय तथा तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय संघ के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये दोनो ही कार्ल मर्क्स के अनुयायी होने का दावा करते हैं; परन्तु दोनो परस्पर इतनी घृणा का व्यवहार करते हैं कि जितना जर्मन यहूदी के साथ। इन दोनो अन्तर्राष्ट्रीय संघो में संसार के समस्त मज़दूर-संघ शामिल नही हैं। अनेक देशो के मज़दूर-संघो का इन दोनो मे किसी से भी संबंध नही है। अमरीका तथा भारत के मज़दूर संघो का इन दोनो से कोई संबंध नही।