चाँदी की डिबिया/अंक १/३

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चाँदी की डिबिया  (1930) 
द्वारा जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक प्रेमचंद
[ २५ ]

दृश्य ३

[ बार्थिविक और मिसेज़ बार्थिविक मेज़ पर बैठे नाश्ता कर रहे हैं, पति की उम्र ५० और ६० के बीच में है। चेहरे से ऐसा मालूम होता है, कि अपने को कुछ समझता है। सिर गंजा है, आँखों पर ऐनक है, और हाथ में टाइम्स पत्र है। स्त्री की उम्र ५० के लगभग होगी। अच्छे कपड़े पहिने हुए हैं। बाल खिचड़ी हो गए हैं। चेहरा सुन्दर है, मुद्रा दृढ़ है। दोनों आमने-सामने बैठे हैं। ]


बार्थिविक

[ पत्र के पीछे से ]

बार्नसाइड के बाई इलेक्शन में मजूर दल का आदमी आ गया प्रिये।

मिसेज़ बार्थिविक

मजूर दल का दूसरा आदमी आ गया! समझ में नहीं आता लोग क्या करने पर तुले हुए हैं। [ २६ ]

बार्थिविक

मैंने तो पहिले ही कहा था। मगर इससे होता क्या है।

मिसेज़ बार्थिविक

वाह! तुम इन बातों को इतनी तुच्छ क्यों समझते हो। मेरे लिए तो यह आफ़त से कम नहीं। और तुम और तुम्हारे लिबरल भाई इन आदमियों को और शह देते हैं।

बार्थिविक

[ भौहें चढ़ाकर ]

सब दलों के प्रतिनिधियों का होना उचित सुधार के लिए ज़रूरी है।

मिसेज़ बार्थिविक

तुम्हारे सुधार की बात सुनकर मेरा जी जल उठता है। समाज सुधार की सारी बातें पागलों का सी [ २७ ]हैं। हम खूब जानते हैं कि उनका क्या मंशा है। वे सब कुछ अपने लिए चाहते हैं। ये साम्यवादी और मजूर दल के लोग परले सिरे के मतलबी हैं; न उनमें देशभक्ति है। ये सब ऊँचे दरजे के लोग हैं। वे भी वही चाहते हैं, जो हमारे पास मौजूद है।

बार्थिविक

जो हमारे पास है वह चाहते हैं!

[ आकाश की ओर देखता है ]

तुम क्या कहती हो प्रिये?

[ मुँह बनाकर ]

मैं कान के लिये कौवे के पीछे दौड़नेवालों में नहीं हूं।

मिसेज़ बार्थिविक

मलाई दूँ? सबके सब बौखल हैं। देखते जाव थोड़े दिनों में हमारी पूंजी पर टैक्स लगेगा। मुझे तो विश्वास है, कि वह हर एक चीज पर कर लगा [ २८ ]देंगे। उन्हें देश का तो कोई ख़याल ही नहीं। तुम लिबरल और कंज़रवेटिव सब एक से हो। तुम्हें नाक के आगे तो कुछ दिखाई ही नहीं देता। तुममें ज़रा भी विचार नहीं है। तुम्हें चाहिए कि आपस में मिल जाव, और इस अँखुए को ही उखाड़ दो।

बार्थिविक

बिलकुल वाहियात बक रही हो। यह कैसे हो सकता है कि लिबरल और कंजरवेटिव मिल जाँय। इससे मालूम होता है कि औरतों के लिए यह कितनी---लिबरलों का सिद्धांत ही यह है, कि जनता पर विश्वास किया जाय।

मिसेज़ बार्थिविक

चुपके से नाश्ता करो जॉन, मानो तुममें और कंज़रवेटिवों में बड़ा भारी फर्क है। सभी बड़े आदमियों के एक ही सिद्धांत और एकही स्वार्थ होते हैं।

शांत होकर

उफ़! तुम ज्वालामुखी पर बैठे हो जोन[ २९ ]

बार्थिविक

क्या!

मिसेज़ बार्थिविक

मैं ने कल पत्र में एक चिट्ठी पढ़ी थी, उस आदमी का नाम भूलती हूँ, लेकिन उसने सारी बातें खोलकर रख दी थीं। तुम लोग किसी बात की असलियत नहीं समझते।

बार्थिविक

हूँ! ठीक।

[ भारी स्वर से ]

मैं लिबरल हूँ, इस विषय को छोड़ो।

'मिसेज़ बार्थिविक

टोस्ट दूँ? मैं इस आदमी के विचारों से सहमत हूँ! शिक्षा, नीची श्रेणी के आदमियों को चौपट कर रही है। इस से उनका सिर फिर जाता है, और यह सभी के लिये हानिकर है। मैं [ ३० ]नौकरों के रंग ढंग में अब वह बात ही नहीं पाती।

बार्थिविक

[ कुछ संदेह के साथ ]

अगर तबदीली से कोई अच्छी बात पैदा हो जाय, तो मैं उसका स्वागत करने को तैयार हूँ।

[ एक ख़त खोलता है ]

अच्छा, मास्टर जैक का कोई नया मामला है, "हाई स्ट्रीट आक्सफ़ोर्ड। महाशय, हमारे पास मि०। जान बार्थिविक की ४० पौंड की हुन्डी आयी है।" अच्छा यह ख़त उसके नाम है! "हम अब इस चेक को भेजते हैं, जो आपने हमारे यहां भुनाया था, पर जैसा मैं अपने पहले पत्र में लिख चुका हूँ, जब वह आपके बैंक में भेजा गया तो उन लोगों ने उसे नहीं सकारा। भवदीय मास एंड सन्स, टेलर्स।" ख़ूब!

[ चेक को ध्यान से देखकर ]

[ ३१ ]है मज़ेदार बात! इस लौंडे पर तो मुक़दमा चल सकता है।

मिसेज़ बार्थिविक

जाने भी दो जान, जैक की नीयत बुरी न थी। उसने यही समझा होगा कि मैं कुछ रुपए ऊपर ले रहा हूँ। मेरा अब भी यही ख़याल है कि बैंक को वह चेक भुना देना चाहिए था। उन लोगों को मालूम होगा कि तुम्हारी कितनी साख है।

बार्थिविक

[ पत्र और चेक को फिर लिफ़ाफ़े में रखकर ]

अदालत में लाला की आँखें खुल जातीं।

[ जैक आ जाता है। उसे देखते ही वह चुप हो जाता है, वास्केट के बटन बंद कर लेता है। ठुड्डी पर अस्तुरा लग गया है। उसे दबा लेता है।]

जैक

[ उन दोनों के बीच में बैठकर और प्रसन्न मुख बनने की इच्छा करके ] [ ३२ ]खेद है मुझे देर हो गई

[ प्यालों को अरुचि से देखकर ]

अम्मा, मुझे तो चाय दीजिए। मेरे नाम का कोई ख़त है?

[ बार्थिविक उसे ख़त दे देता है ]

यह क्या बात है, इसे खोल किसने डाला? मैं आप से कह चुका मेरे ख़तो

बार्थिविक

[ लिफ़ाफ़े को छूकर ]

मेरा ख़याल है कि यह मेरा ही नाम है।

जैक

[ खिन्न होकर ]

आप ही का नाम तो मेरा भी नाम है। इसे मैं क्या करूँ।

[‌ ख़त पढ़ता है और बड़बड़ाता है ]

बदमाश! [ ३३ ]

वार्थिविक

[ उसे देखकर ]

तुम इतने सस्ते छूटने के लायक़ नहीं हो।

जैक

क्या अभी आप मुझे काफ़ी नहीं कोस चुके!

मिसेज़ बार्थिविक

क्यों उसे दिक़ करते हो जॉन? कुछ नाश्ता कर लेने दो।

बार्थिविक

अगर मैं न होता तो जानते हो तुम्हारी क्या दशा होती? यह संयोग की बात है----मान लो तुम किसी ग़रीब आदमी या क्लर्क के बेटे होते। ऐसा चेक भुनाना जिसे तुम जानते हो कि चल न सकेगा, क्या कोई मामूली बात है! तुम्हारी सारी ज़िंदगी बिगड़

[ ३४ ]
जाती। अगर तुम्हारे यही ढंग हैं, तो ईश्वर ही

मालिक है। मैं तो ऐसी बातों से हमेशा दूर रहा।

जैक

आपके हाथ में हमेशा रुपए रहते होंगे। अगर आपके पास रुपए का ढेर हो तो फिर इसकी ज़रूरत --

जॉन

मेरी हालत ठीक इसकी उलटी थी। मेरा बाप कभी मुझे काफ़ी रुपए न देता था।

जैक

आपको कितना मिलता था?

जॉन

इसमें कोई सार नहीं। सवाल है, क्या तुम अनुभव करते हो कि तुमने कितना बड़ा अपराध किया है।

जैक

यह सब मैं कुछ नहीं जानता। हाँ अगर आपका
[ ३५ ]
खयाल है कि मैंने बेजा किया तो मुझे दुःख है। मैं तो यह पहले ही कह चुका। अगर मैं पैसे पैसे को मुहताज न होता तो कभी ऐसा काम न करता।

बार्थिविक

चालीस पौंड में से अब कितने बच रहे?

जैक

१ ॥
[हिचकता हुआ]

ठीक याद नहीं, मगर ज़्यादा नहीं है।

बार्थिविक

आख़िर कितना?

जैक

[उद्दंडता से]

एक पैसा भी नहीं बचा।

बार्थिविक

क्या?
[ ३६ ]

जैक

मारे दर्द के सिर फटा जाता है

[अपने हाथ पर सिर झुका लेता है]

मिसेज बार्थिविक

सिर में दर्द कब से होने लगा बेटा? कुछ नाश्ता तो कर लो।

जैक

[सांस खींचकर]

बड़ा दर्द हो रहा है!

मिसेज बार्थिविक

क्या उपाय करूँ? मेरे साथ आओ बेटा! मैं तुम्हें ऐसी चीज़ खिला दूंगी कि सारा दर्द तुरन्त जाता रहेगा।

[दोनों कमरे से चले जाते हैं; और बार्थिविक ख़त को फाड़कर अँगेठी में डाल देता है। इतने में मारलो आ जाता है और चारों ओर आँखें दौड़ा कर जाना चाहता है।] [ ३७ ]

बार्थिविक

क्या है मारलो? क्या खोज रहे हो?

मारलो

मि० जॉन को देख रहा था।

बार्थिविक

मि० जॉन से क्या काम है?

मारलो

मैंने समझा शायद यहां हों।

बार्थिविक

[सन्देह के भाव से ]

हाँ, लेकिन उनसे तुम्हें काम क्या है?

मारलो

[ लापरवाई से ]

एक औरत आई है। कहती है उनसे कुछ कहना चाहती हूँ। [ ३८ ]

बार्थिविक

औरत! इतने सवेरे! कैसी औरत है?

मारलो

[ स्वर से बिना कोई भाव प्रकट किए हुए ]

कह नहीं सकता हज़ूर। कोई खास बात नहीं। मुमकिन है कुछ मांगने आई हो। मेरा ख़याल है कोई ख़ैरात मांगनेवाली है।

बार्थिविक

क्या उन औरतों के से कपड़े पहने है?

मारलो

जी नहीं, मामूली कपड़े पहने है।

बार्थिविक

कुछ मांगना चाहती है? [ ३९ ]

मारलो

जी नहीं।

वार्थिविक

तुम उसे कहाँ छोड़ आए हो?

मारलो

बड़े कमरे में हुजूर!

बार्थिविक

बड़े कमरे में! तुम कैसे जानते हो कि वह चोरनी नहीं है? घर की कुछ टोह लेने आई हो?

मारलो

मुझे ऐसी तो नहीं मालूम होती।

वार्थिविक

ख़ैर, यहां लाओ। मैं खुद उससे मिलूँगा। [ ४० ]मारलो चुपके से सिर हिलाकर भय प्रकट करता चला जाता है। ज़रा देर में एक पीले मुख की युवती को साथ लिए लौटता है। उसकी आँखें काली हैं, चेहरा सुन्दर, कपड़े तरहदार हैं, और काले रंग के। लेकिन कुछ फूहड़ है। सिर पर एक काली टोपी है जिस पर सुफेद किनारी है। उस पर परमा के बैंजनी फूलों का एक गुच्छा बेढंगेपन से लगा हुआ है। मि० बार्थिविक को देखकर वह हक्काबक्का हो जाती है। मारलो चला जाता है। ]

अपरिचित स्त्री

अरे! क्षमा कीजिएगा। कुछ भूल हो गई है।

[ वह जाने के लिए घूमती है ]

बार्थिविक

आप किससे मिलना चाहती हैं श्री मती जी?

अपरिचित

[ रुककर और पीछे की ओर देखकर ]

[ ४१ ]मैं मि० जान बार्थिविक से मिलना चाहती थी।

बार्थिविक

जान बार्थिविक तो मेरा ही नाम है श्रीमती जी। मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?

अपरिचित

जी---मैं यह नहीं---

[ आँखें झुका लेती है बार्थिविक उसे ध्यान से देखता है और ओठों को सिकोड़ता है। ]

बार्थिविक

शायद आप मेरे बेटे से मिलना चाहती हैं?

अपरिचित

[ जल्दी से]

हाँ हाँ, यही बात है। [ ४२ ]

बार्थिविक

पूछ सकता हूँ कि मुझे किससे बातें करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है?

अपरिचित

[ उसके मुख पर विनय और आग्रह का भाव दिखाई देता है ]

मेरा नाम है---मगर ज़रूरत ही क्या है। मैं झमेला नहीं करना चाहती। मैं ज़रा एक मिनट के लिये आपके बेटे से मिलना चाहती हूँ।

[ साहस से ]

सच तो यह है कि मेरा उनसे मिलना बहुत ज़रूरी है।

बार्थिविक

[ अपनी बेचैनी को दबाकर ]

मेरे बेटे की तो आज तबीयत कुछ ख़राब है। अगर ज़रूरत हो तो मैं आपका काम कर सकता हूँ। आप अपनी ज़रूरत बयान करें। [ ४३ ]

अपरिचित

जी---लेकिन मेरा उनसे मिलना ज़रूरी है। मैं इसी इरादे से आई हूँ। मैं कोई झमेला नहीं करना चाहती, लेकिन बात यह है---रात को---आपके बेटे ने उड़ादी---उन्होंने मेरी---

[ रुक जाती है ]

बार्थिविक

[ कठोर स्वर में ]

हाँ हाँ कहिए, क्या?

अपरिचित

वह मेरा---बटुआ उठा ले गए।

बार्थिविक

आपका बटु.....

अपरिचित

मुझे बटुए की चिन्ता नहीं है। उसकी मुझे ज़रूरत [ ४४ ]नहीं। मैं सच कहती हूँ मेरा इरादा बिलकुल नहीं है कि कोई झमेला हो।

[ उसका चेहरा काँपने लगता है ]

लेकिन---लेकिन---मेरे सब रुपए उसी बटुए में थे।

बार्थिविक

किस चीज़ में---किस चीज़ में?

अपरिचित

मेरे बटुए में एक छोटी सी थैली में रखे हुए थे। लाल रंग की रेशमी थैली थी। सच कहती हूँ, मैं न आती---मैं कोई झमेला नहीं करना चाहती। लेकिन मुझे रुपए मिलने चाहिए, कि नहीं?

बार्थिविक

क्या आपका यह मतलब है कि मेरे बेटे ने---?

अपरिचित

जी समझ लीजिए, वह अपने........मेरा यह मतलब कि वह--[ ४५ ]

बार्थिविक

मैं आपका मतलब नहीं समझा।

अपरिचित

[ अपने पैर पटककर मोहक भाव से मुसकुराती है ]

ओह! आप समझते नहीं---वह पिए हुए थे। मुझसे तकरार हो गई।

बार्थिविक

[ इसे बेशर्मी की बात समझकर ]

कैसे? कहाँ?

अपरिचित

[ निःशंक भाव से ]

मेरे घर पर। वहां एक दावत थी, और आपके सुपुत्र---

बार्थिविक

[ घंटी बजाकर ]

मैं पूछ सकता हूँ कि आपको यह घर कैसे मालूम [ ४६ ]हुआ? क्या उसने अपना नाम और पता बतला दिया था?

अपरिचित

[ नज़र फेरकर ]

मैंने उनके ओवर कोट से निकाल लिया।

बार्थिविक

[ ताने की मुसकुराहट के साथ ]

अच्छा! आपने उसके ओवरकोट से निकाल लिया। वह इस वक्त इस प्रकाश में आपको पहचान जायगा?

अपरिचित

पहचान जायगा? क्या इसमें भी कोई शक है।

[ मारलो आता है। ]

[ ४७ ]

बार्थिविक

मि० जॉन से कहो नीचे आवें।

[ मारलो चला जाता है और बार्थिविक बेचैन होकर कमरे में टहलने लगता है ]

आपकी और उसकी जान पहचान कितने दिन से है?

अपरिचित

केवल---केवल गुडफ्रा़इडे से।

बार्थिविक

मेरी समझ में नहीं आता, मैं फिर कहता हूँ, मेरी समझ में नहीं आता----

[ वह अपरिचित स्त्री को कनखियों से देखता है, जो आँखें नीची किए खड़ी हाथ मल रही है। इतने में जैक आ जाता है। उसे देखकर वह ठिठक जाता है और अपरिचित स्त्री सनकियों की भांति खिलखिला पड़ती है। सन्नाटा छा जाता है ] [ ४८ ]

बार्थिविक

[ गंभीरता से ]

यह युवती--–महिला कहती हैं कि गई रात को---क्यों श्रीमती जी, गई रात को ही न---तुमने इनकी कोई चीज़ उठाली---

अपरिचित

[ आतुरता से ]

मेरा बटुआ ओर मेरे सब रुपए उसी लाल रेशमी थैली में थे।

जैक

बटुआ?

[ इधर उधर ताकता है कि निकल भागने का मौक़ा कहीं है ]

मैं बटुआ क्या जानूँ। [ ४९ ]

बार्थिविक

[ तेज़ आवाज़ में ]

घबड़ाओ मत। तुम्हें गई रात को इन श्रीमती जी से मिलने से इनकार है?

जैक

इनकार! इनकार क्यों होने लगा?

[ स्त्री से धीमे स्वर में ]

तुमने मेरा नाम क्यों बतला दिया? तुम्हारे यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी?

अपरिचित

[ आँखों में आँसू भर लाकर ]

मैं सच कहती हूँ मैं नहीं चाहती थी---तुमने उसे मेरे हाथ से छीन लिया था। तुम्हें ख़ूब याद होगा---और उस थैली में मेरे सब रुपए थे। मैं रात ही

[ ५० ]तुम्हारे पीछे पाती, लेकिन मैं भम्भड़ नहीं मचाना चाहती थी, और देर भी बहुत हो गई थी---फिर तुम बिलकुल---

बार्थिविक

जाते कहाँ हो, बतलाओ क्या माजरा है?

जैक

[ चिढ़कर ]

मुझे कुछ याद नहीं।

[ स्त्री से धीमी आवाज़ में ]

तुमने ख़त क्यों न लिख दिया?

अपरिचित

[ नाराज़ होकर ]

मुझे रुपयों की अभी इस वक्त ज़रूरत है---मुझे आज मकान का किराया देना है।

[ बार्थिविक की तरफ़ देखती है ]

ग़रीबों पर सभी दाँत लगाए रहते हैं। [ ५१ ]

जैक

सचमुच मुझे तो कुछ याद नहीं। रात की कोई बात मुझे याद नहीं है।

[ सिर पर हाथ रखता है ]

बादल-सा छा गया है। और सिर में दर्द भी ज़ोर का हो रहा है।

अपरिचित

लेकिन आपने रुपये तो लिये थे। यह आप नहीं भूल सकते। आपने कहा भी था कि कैसा चरका दिया।

जैक

खै़र तो यहाँ होगा। हाँ अब मुझे कुछ-कुछ याद आ रहा है। मगर मैंने उसे लिया ही क्यों था?

बार्थिविक

हाँ तुमने लिया ही क्यों, यही तो मैं पूछता हूँ? [ ५२ ]

[ वह तेज़ी से खिड़की की तरफ घूम जाता है ]

अपरिचित

[ मुसकुरा कर ]

तुम अपने होश में न थे, ठीक है न?

जैक

[ शर्म से मुसकुराकर ]

मुझे बहुत खेद है। लेकिन अब मैं क्या कर सकता हूँ?

बार्थिविक

हाँ कर सकते हो, तुम उसका रुपया लौटा सकते हो।

जैक

मैं जाकर तलाश करता हूँ, लेकिन सचमुच मेरे पास रुपए हैं नहीं।

[ वह जल्दी से चला जाता है, और बार्थिविक एक कुर्सी रखकर उस स्त्री को बैठने का इशारा करता है। तब ओठ सिकोड़े [ ५३ ]हुए वह खड़ा हो जाता है और उसे ध्यान से देखता है। वह बैठ जाती है और उसकी तरफ़ दबी हुई आँख से देखती है। तब वह घूम जाती है और नक़ाब खींचकर चोरी से अपनी आँखें पोंछती है। इतने में जैक आ जाता है। ]

जैक

[ ख़ाली बटुए को दिखाता हुश्रा खिन्न भाव से ]

यही है न? मैंने चारों तरफ़ छान डाला थैली कहीं नहीं मिलती। तुम्हें ठीक याद है, वह इस बटुए में थी?

अपरिचित

[ आँखों में आँसू भर कर ]

याद? हाँ ख़ूब याद है। लाल रंग की रेशमी थैली थी। मेरे पास जो कुछ था सब उसी में था।

जैक

मुझ सच मुच बड़ा दुःख है। सिर में बड़ा दर्द हो रहा [ ५४ ]है। मैंने ख़िदमतगार से पूछा, लेकिन वह कहता है मैंने नहीं पाया।

अपरिचित

मेरे रुपए आपको देने पड़ेंगे।

जैक

ओह! सब तय हो जायगा, मैं सब ठीक कर दूंँगा। कितने रुपए थे?

अपरिचित

[ खिन्न होकर ]

सात पौंड थे और १२ शिलिंग। वही मेरी कुल संपत्ति थी।

जैक

सब ठीक हो जायगा। मैं तुम्हें एक चेक भेज दूँगा।

अपरिचित

[ उत्सुकता से ]

नहीं साहब, मुझे अभी दे दीजिए, जो कुछ मेरी थैली में [ ५५ ]था, वह सब दे दीजिए। मुझे आज किराया देना है, वे सब एक दिन के लिए भी न मानेंगे। मैं पहिले ही पन्द्रह दिन पिछड़ गई हूँ।

जैक

मुझे बहुत दुःख है, मैं सच कहता हूँ मेरे जेब में एक कौड़ी भी नहीं है।

[ वह दबी आँखों से बार्थिविक को देखता है ]

अपरिचित

[ उत्तेजित होकर ]

चलिए चलिए, मैं न मानूँगी ये मेरे रुपये हैं और आपने ले लिए हैं। मैं बगैर रुपया लिए घर न जाऊँगी। सब मुझे निकाल दगे

जैक

[ सिर पकड़कर ]

लेकिन जब मेरे पास कुछ है ही नहीं तो दूँ क्या? मैं [ ५६ ]कह नहीं रहा हूँ कि मेरे पास एक कौड़ी भी नहीं है?

अपरिचित

[ अपना रूमाल नोचकर ]

देखिए मुझे टालिए नहीं।

[ विनय से दोनों हाथ जोड़ लेती है, तब एकाएक सरोष होकर कहती है ]

अगर तुम न दोगे, तो मैं दावा कर दूंँगी, यह साफ़ चोरी है----चोरी।

बार्थिविक

[ बेचैनी से]

ज़रा ठहर जाइए। न्याय तो यही है कि आपके रुपए दिए जाँय और मैं इस मामले को तय किए देता हूँ।

[ रुपए निकालकर ]

यह आठ पौंड हैं, फ़ाज़िल पैसे थैली की क़ीमत और [ ५७ ]गाड़ी का किराया समझ लीजिए। मुझे और कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। धन्यवाद देने की भी कोई ज़रूरत नहीं।

[ घंटी बजाकर वह चुपचाप दरवाज़ा खोल देता है, अपरिचित स्त्री रुपए को बटुए में रख लेती है और जैक की तरफ़ से बार्थिविक को देखती है। उसका मुख पुलकित हो उठता है, वह मुंह अपने हाथ से छिपा लेती है और चुपके से चली जाती है। बार्थिविक दरवाज़ा बन्द कर देता है ]

बार्थिविक

[ गम्भीर भाव से ]

क्यो, कैसी दिल्लगी रही!

जैक

[ विरक्त भाव से ]

संयोग की बात।

बार्थिविक

इस तरह वह चालीस पौंड उड़ गए! पहिले एक बात फिर दूसरी बात। मैं एक बार फिर पूछता हूँ कि [ ५८ ]अगर मैं न होता, तो तुम्हारी क्या दशा होती? मालूम होता है, तुमने ईमान को ताक़ पर रख दिया। तुम उन लोगों में हो जो समाज के लिए कलंक हैं। तुम जो कुछ न कर गुज़रो वह थोड़ा है। नहीं मालूम तुम्हारी माँ क्या कहेंगी। जहाँ तक---मैं समझता हूँ तुम्हारे इस चलन के लिए कोई उज्र नहीं हो सकता। यह चित्त की दुर्बलता है। अगर किसी ग़रीब आदमी ने यह काम किया होता तो क्या तुम समझते हो, उसके साथ लेशमात्र भी दया की जाती? तुम्हें इसका सबक़ मिलना चाहिए। तुम और तुम्हारी तरह के और आदमी समाज के लिए विष फैलानेवाले हैं।

[ क्रोध से ]

अब फिर कभी मेरे पास मदद के लिए मत आना। तुम इस योग्य नहीं हो कि तुम्हारी मदद की जाय।

जैक

[ अपने पिता की ओर क्रोध से देखता है, उसके मुंह पर लज्जा या पश्चात्ताप का कोई भाव नहीं है। ] [ ५९ ]अच्छी बात है, न आऊँगा। देखूँ आप इसे कहाँ तक पसन्द करते हैं। इस वक्त भी आप ने मेरी मदद न की होती, अगर आपके प्राण इस भय से न सूख जाते कि यह बात पत्रों में छप जायगी। सिगरेट कहाँ है।

बार्थिविक

[ बेचैनी से उसे देखकर ]

ख़ैर, अब मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।

[ घंटी बजाता है ]

इस बार मैं और छोड़े देता हूँ।

[ मारलो आता है ]

जाओ।

[ टाइम्स के पीछे अपना मुंह छिपा लेता है। ]

जैक

[ प्रसन्न होकर ]

सिगरेट कहाँ है, मारलो? [ ६० ]

मारलो

मैंने रात ह्विस्की के साथ सिगरेट का बक्स भी रख दिया था। फिर इस वक्त उसका कहीं पता नहीं।

जैक

मेरे कमरे में देखा?

मारलो

जी हाँ मैं ने सारा घर छान डाला, मैंने नेस्टर सिगरेट के दो टुकड़े तश्तरी में पाए। इससे मालूम होता है, कि आपने रात को पिया होगा।

[ हिचकता हुआ ]

मेरा तो ख़याल है, कि कोई डिबिया को उड़ा ले गया।

जैक

[ बैचैनी से ]

चुरा ले गया? [ ६१ ]

बार्थिविक

क्या चीज़ है। सिगरेट की डिबिया? और तो कोई चीज़ नहीं ग़ायब हुई?

मारलो

जी नहीं, मैंने प्लेट देख लिया।

बार्थिविक

आज सवेरे घर में तो कुछ गड़बड़ न थी, कोई खिड़की खुली तो न थी।

मारलो

जी नहीं----

[ जैक से आहिस्ता ]

रात आप अपनी कुंजी दरवाज़े में छोड़ गए थे।

[ बार्थिविक की नज़र बचाकर कुंजी दे देता है ]

जैक

ठीक है। [ ६२ ]

बार्थिविक

आज सुबह कौन कौन कमरे में आया था?

मारलो

मैं, ह्वीलर और मिसेज़ जोन्स, बस। और तो कोई नहीं आया।

बार्थिविक

तुम ने मिसेज़ बार्थिविक से पूछा?

[ जैक से ]

जाकर अपनी माँ से पूछो उनके पास तो नहीं है। यह भी कह दो कि ख़ूब देख लें, कोई और चीज़ तो गुम नहीं हुई।

[ जैक अपनी मां के पास जाता है ]

ऐसी बातों से ख़ाहम ख़ाह चिन्ता हो जाती है।

मारलो

जी हाँ हुज़ूर। [ ६३ ]

बार्थिविक

तुम्हारा किसी पर संदेह है?

मारलो

जी नहीं।

बार्थिविक

यह मिसेज़ जोन्स? वह यहाँ कितने दिनों से काम कर रही है?

मारलो

इसी महीने से तो आई है।

बार्थिविक

कैसी औरत है?

मारलो

मुझे उस से अधिक परिचय नहीं। देखने में तो सीधी सादी शरीफ़ औरत मालूम होती है। [ ६४ ]

बार्थिविक

कमरे में आज झाड़ू किसने लगाई?

मारलो

ह्वीलर और मिसेज़ जोन्स ने।

बार्थिविक

[ अपनी पहली उँगली उठाकर ]

अच्छा मिसेज़ जोन्स किसी वक्त कमरे में अकेली भी आई थी?

मारलो

[ उसका चेहरा मद्धिम पड़ जाता है ]

जी हाँ।

बार्थिविक

तुम्हें कैसे मालूम? [ ६५ ]

मारलो

[ अनिच्छा के भाव से ]

मैंने उसे यहाँ देखा।

बार्थिविक

ह्वीलर भी अकेली इस कमरे में आई थी?

मारलो

जी नहीं। लेकिन जहाँ तक मैं समझता हूँ मिसेज़ जोन्स बहुत ईमानदार---

बार्थिविक

[ हाथ उठाकर ]

मैं यह जानना चाहता हूँ कि मिसेज़ जोन्स दोपहर तक यहाँ रही?

मारलो

जी हाँ---नहीं नहीं,वह बावर्ची को तलाश करने तरकारी-

[ ६६ ]वाले की दुकान पर गई थी।

बार्थिविक

ठीक! वह इस समय घर में है?

मारलो

जी हाँ है।

बार्थिविक

बहुत अच्छा। मैं इस मामले को साफ़ करके ही दम लूँगा। सिद्धान्त के विचार से यह ज़रूरी है कि असली चोर का पता लगाया जाय। यह तो समाज सङ्गठन की जड़ को हिलानेवाली बात है?

मारलो

जी हाँ।

बार्थिविक

इस मिसेज़ जोन्स की दशा कैसी है? इसका शौहर कहीं काम करता है? [ ६७ ]

मारलो

काम तो शायद कहीं नहीं करता।

बार्थिविक

बहुत अच्छी बात है। इस विषय में किसी से कुछ मत कहना ह्वीलर से कहो ज़बान न खोले और मिसेज़ जोन्स को यहाँ भेजो।

मारलो

बहुत अच्छा।

[ मारलो चला जाता है। उसका चेहरा बहुत चिंतित है। बार्थिविक वहीं रहता है। उसका चेहरा न्यायगंभीर और कुछ प्रसन्न है, जैसा जाँच करने वाले मनुष्यों का हो जाता है। मिसेज़ बार्थिविक और जैक आते हैं ]

बार्थिविक

क्यों प्रिये, तुमने तो डिबिया नहीं देखी? [ ६८ ]

मिसेज़ बार्थिविक

ना! लेकिन कैसी विचित्र बात है जान! मारलो की तो कोई बात ही नहीं। ख़िदमतगारिनों में भी मुझे विश्वास है कोई नहीं---हाँ बावर्ची।

बार्थिविक

अच्छा बावर्ची?

मिसेज़ बार्थिविक

हाँ! मुझे किसी पर संदेह करने से घृणा है।

बार्थिविक

इस समय मनोभावों का प्रश्न नहीं, न्याय का प्रश्न है। नीति की रक्षा......

मिसेज़ बार्थिविक

अगर मज़दूरिनी इसके विषय में कुछ जानती हो,तो मुझे आश्चर्य न होगा। लोरा ने उसकी सिफ़ारिश की थी। [ ६९ ]

बार्थिविक

[ न्याय के भाव से ]

मैंने मिसेज़ जोन्स को बुलाया है। यह मुझ पर छोड़ दो, और याद रक्खो जब तक अपराध साबित न हो जाय कोई अपराधी नहीं है। मैं इसका ख़याल रक्खूँगा। मैं उसे डराना नहीं चाहता, मैं उसके साथ हर तरह की रिआयत करूँगा। मैंने सुना है बहुत बहुत फ़टेहालों रहती हैं। अगर हम गरीबों के साथ और कुछ न कर सकें तो उनके साथ जहाँ तक हो सके हमदर्दी तो करनी ही चाहिए।

[ मिसेज़ जोन्स आती है प्रसन्न मुख होकर ]

ओ, गुडमार्निग मिसेज़ जोन्स।

मिसेज़ जोन्स

[ धीमी और रूखी आवाज में ]

गुडमार्निंग सर, गुडमार्निङ्ग मैडेम। [ ७० ]

बार्थिविक

मैंने सुना है तुम्हारे पति आजकल खाली बैठे हुए हैं?

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुज़ूर, आजकल उनके पास कोई काम नहीं है।

बार्थिविक

तब तो मेरे ख़याल में वह कुछ कमाते ही न होंगे।

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुजूर, आजकल वह कुछ नहीं कमाते

बार्थिविक

और तुम्हारे कितने बच्चे हैं?

मिसेज़ जोन्स

तीन बच्चे हैं हुज़ूर, लेकिन बच्चे बहुत नहीं खाते।

बार्थिविक

सबसे बड़े की क्या उम्र? [ ७१ ]

मिसेज़ जोन्स

नौ साल की हुज़ूर।

बार्थिविक

स्कूल जाते हैं?

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुज़ूर, तीनों बिला नागा मदरसे जाते हैं।

बार्थिविक

[ कठोरता से ]

तो जब तुम दोनों मिया बीवी काम पर चले जाते हो तो बच्चे खाते क्या हैं?

मिसेज़ जोन्स

हुज़ूर, मैं उन्हें खाना देकर भेजती हूँ। लेकिन रोज़ कहाँ खाना मयस्सर होता है हुज़ूर, कभी-कभी बेचारों को बिना कुछ भोजन दिए ही भेज देती हूँ। हाँ जब [ ७२ ]मेरा मियाँ कहीं काम से लगा रहता है, तो बच्चों पर बड़ा प्रेम करता है। लेकिन जब ख़ाली होता है तो उसकी मति ही बदल जाती है।

बार्थिविक

शायद पीता भी है?

मिसेज़ जोन्स

जी हाँ हुजूर। जब पीता है तो कैसे कहदूँ कि नहीं पीता।

बार्थिविक

तब तो शायद तुम्हारे सब रुपए पीने ही में उड़ा देता होगा?

मिसेज़ जोन्स

जी नहीं, वह मेरे रुपए पैसे नहीं छूते। हाँ जब अपने होश म नहीं रहते तब उनका मन बदल जाता है। तब वह मुझे बुरी तरह पीटते हैं। [ ७३ ]

बार्थिविक

वह है क्या? कौन पेशा करता है?

मिसेज़ जोन्स

पेशा! साईस है हुज़ूर।

बार्थिविक

साईस! उनकी नौकरी छूट कब से गई?

मिसेज़ जोन्स

उनकी नौकरी छूटे कई महीने होगए हुज़ूर! तब से कोई टिकाऊ काम नहीं मिला हुज़ूर अब तो मोटरों का ज़माना है। उन्हें कौन पूछता है।

बार्थिविक

तुम्हारी शादी उनसे कब हुई थी मिसेज़ जोन्स?

मिसेज़ जोन्स

आठ साल हुए हुज़ूर---वही साल--[ ७४ ]

मिसेज बार्थिविक

[ तीव्र स्वर से ]

आठ! तुमने तो बड़े लड़के की उम्र नौ साल बतलाई थी।

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुज़ूर, इसीलिये तो उनकी नौकरी छूटी। मेरे साथ हरमजदगी की और मालिक ने कहा ऐसे आदमी को रखने से दूसरे आदमी भी बिगड़ेंगे। निकाल दिया।

बार्थिविक

तुम्हारा मतलब...........कुछ ठीक.........

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुज़ूर, जब नौकरी छूट गई तो मुझसे शादी करली। [ ७५ ]

मिसेज़ बार्थिविक

तो शादी के पहिले ही तुम---'

बार्थिविक

जाने भी दो प्रिये।

मिसेज़ बार्थिविक

[ क्रोध से ]

कितनी बेहयाई की बात है!

बार्थिविक

[ जल्दी से ]

तुम आज कल कहां रहती हो मिसेज़ जोन्स?

मिसेज़ जोन्स

हमारे घर नहीं है हुज़ूर। हमें अपनी बहुत सी चीज़ अलग कर देनी पड़ीं हुज़ूर। [ ७६ ]

बार्थिविक

अलग कर देनी पड़ीं! क्या मतलब? क्या गिरवी रखदीं?

मिसेज जोन्स

हां हुज़ूर, अलग कर दीं। आजकल मरथर स्ट्रीट में रहते हैं हुज़ूर, यहां से बिलकुल पास है। नं० ३४, बस एक कोठरी है।

बार्थिविक

किराया क्या है ?

मिसेज जोन्स

सजे हुए कमरे के ६ शिलिङ्ग हफ़ते के पड़ते हैं हुजूर।

बार्थिविक

तो तुम्हारे ज़िम्मे केराया बाक़ी भी पड़ा होगा? [ ७७ ]

मिसेज, जोन्स

जी हाँ, कुछ बाक़ी है हुज़ूर।

बार्थिविक

लेकिन तुम्हें तो अच्छी मज़दूरी मिलती है। क्यों?

मिसेज जोन्स

बीफे को एक दिन स्टैमफोर्ड प्लेस में काम करती हूँ। सोम, बुद्ध, और सुक्कर को यहाँ आती हूँ। आज तो आधी छुट्टी है हुज़ूर, कल बैकं बन्द न था।

बार्थिविक

समझ गया। हफ्त़े में चार दिन। आधा क्राउन रोज़ पाती हो न? क्यों?

मिसेज जोन्स

हाँ हुज़ूर और मेरा खाना भी मिलता है। लेकिन [ ७८ ]जिस दिन आधी छुट्टी होती है उस दिन अठारह पेंस ही मिलते हैं।

बार्थिविक

और तुम्हारा शौहर तो जो कुछ पाता होगा, पीने में उड़ा देता होगा।

मिसेज़ जोन्स

हाँ साहब, कभी कभी उड़ा देते हैं, कभी कभी मुझे दे देते हैं। अगर उन्हें काम मिले तो करने को तैयार हैं हुज़ूर, लेकिन मालूम होता है बहुत से आदमी खाली बैठे हुए हैं।

बार्थिविक

उँह! इन बातों में पड़ने से क्या फ़ायदा

[ सहानुभूति दिखाकर ]

यहाँ तुम्हारा काम बहुत कड़ा तो नहीं है? क्यों?

मिसेज़ जोन्स

नहीं हुज़ूर, ऐसा कुछ कड़ा तो नहीं है, हां जब [ ७९ ]रात को सोने नहीं पाती तब कुछ अखरता है।

बार्थिविक

हूँ! और तुम सब कमरों में झाड़ू लगवाती हो! कभी कभी बार्वची को बुलाने भी जाना पड़ता है? क्यों न?

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुज़ूर!

बार्थिविक

आज भी तुम्हें जाना पड़ा था?

मिसेज़ जोन्स

हां हुज़ूर भाजी वाले की दूकान तक गई थी।

बार्थिविक

ठीक! तो तुम्हारा शौहर कुछ कमाता नहीं और बदमाश है? [ ८० ]

मिसेज़ जोन्स

जी नहीं, बदमाश नहीं है। मैं समझती हूँ वह बहुत अच्छा आदमी है, हां कभी कभी मुझे पीटता है। मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती हालांकि मेरे मन में आता है कि उसके पास से चली जाऊं क्योंकि मेरी समझ में ही नहीं आता उसके साथ रहूँ कैसे। वह आए दिन मुझे मारा करता है। थोड़े दिन हुए, उसने मुझे यहाँ एक घूसा मारा था

[ अपनी छाती को छूती है ]

अभी तक दर्द हो रहा है। मैं तो समझती हूं उसे छोड़ दूं, आप क्या कहते हैं हुज़ूर?

बार्थिविक

वाह! मैं इस बारे में क्या कह सकता हूँ? अपने शौहर को छोड़ देना बुरी बात है, बहुत बुरी बात। [ ८१ ]

मिसेज़ जोन्स

जी हां! मुझे यही डर लगता है कि उसे छोड़ दूँ तो न जाने मेरी क्या गति करे। बड़ा गुस्सैल है, हुजूर।

बार्थिविक

इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकता। मैं तो नीति की बात कहता हूँ।

मिसेज़ जोन्स

हाँ हुजूर; मैं जानती हूँ इन मामलों में कोई मेरी मदद न करेगा। मुझे आपही कोई सह निकालनी पड़ेगी। उन्हें भी तो ठोकरें खानी पड़ती हैं। लड़कों को बहुत चाहते हैं हुजूर, और उन्हें भूखे मदरसे जाते देखकर उनके दिल पर चोट लगती है।

बार्थिविक

[ जल्दी से

[ ८२ ]खैर-धन्यवाद। मेरे जी में पाया कुछ तुम्हारा हाल चाल पूँछू। अब मैं तुम्हें और न रोकूंगा।

मिसेज़ जोन्स

आप को धन्यवाद देती हूं, हुजूर।

बार्थिविक

अच्छा गुडमार्निङ्ग!

मिसेज़ जोन्स

गुडमार्निङ्ग हुजूर, गुडमार्निङ्ग बीबी।

बार्थिविक

[ अपनी पत्नी से आंखें मिलाकर ]

जरा सुन लो मिसेज़ जोन्स, मैं समझता हूँ तुमको बतला देना

उचित है, एक चाँदी की सिगरेट की डिबिया ग़ायब हो गई है। [ ८३ ]

मिसेज़ जोन्स

[ कभी इसका मुंह देखती है, कभी उसका ]

मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ, हुजूर।

बार्थिविक

तुमने तो शायद उसे नहीं देखा। क्यों?

मिसेज़ जोन्स

[ समझ जाती है कि मेरे ऊपर संदेह किया जा रहा है; घबड़ा कर ]

कहाँ थी हुज़ूर? बतला दीजिए।

बार्थिविक

[ बात बनाकर ]

मारलो कहां कहता था? इस कमरे में? हाँ इसी कमरे में! [ ८४ ]

मिसेज जोन्स

जी नहीं, मैंने नहीं देखी। अगर मैं देखती तो कह देती।

बार्थिविक

[ उसे उड़ती हुई निगाह से देखकर ]

भूल तो नहीं रही हो? खूब याद कर लो।

मिसेज़ जोन्स

[अविचलित होकर ]

खूब याद कर लिया।

[ धीरे से सिर हिलाकर ]

मैंने नहीं देखा और न जानती हूँ कि कहां है।

[ चुप चाप चली जाती है ]

[ बार्थिविक, उसका बेटा, और पत्नी एक दूसरे की ओर कनखियों से देखते हैं ]

परदा गिरता है