चाँदी की डिबिया/अंक २/१

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चाँदी की डिबिया  (1930) 
द्वारा जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक प्रेमचंद

[ ८५ ]

अंक २

दृश्य १

[ जोन्स का घर ]

मरथर स्ट्रीट। समय २॥ ०बजे। कमरे में कोई सामान नहीं है, फटे हुए चिकट कपड़े हैं, और रंगी हुई दीवारें। साफ़ सुथरी दरिद्रता झलक रही है। जोन्स आधे कपड़े पहिने चारपाई पर लेटा हुआ है। उसका कोट उसके पैरों पर पड़ा हुआ है और कीचड़ से भरे हुए बूट पास ही ज़मीन पर रक्खे हैं। वह सो रहा है। दरवाज़ा खुलता है, और मिसेज़ जोन्स आती है। वह फटा हुआ काला जाकिट पहिने हुए है। सिर पर काली मल्लाहों की सी टोपी है। वह टाइम्स पत्र में लिपटा हुआ एक पारसल लिए हुए हैं। पारसल नीचे रख देती है, और उसमें से एक एपरन (वह कपड़ा जो काम करने वाली स्त्रियां गाउन के ऊपर लपेट लेती हैं), आधी रोटी, दो प्याज़, तीन आलू, और मांस का एक छोटा सा टुकड़ा निकालती है। ताक पर से [ ८६ ]एक चायदान उतार कर उसको धोती है, और एक चाय की पुड़िया में से थोड़ी सी बारीक चाय डालती है। उसे अंगीठी पर रखती है, और पास ही एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठ कर रोने लगती है।

जोन्स

[ जागकर जमुहाई लेता हुआ ]

ओह तुम हो! क्या वक्त है?

मिसेज़ जोन्स

[ आँखें पोछकर और मामूली आवाज में ]

ढाई बजे हैं।

जोन्स

तुम इतनी जल्द क्यों लौट आई?

मिसेज़ जोन्स

आज आधे दिन काम था, जेम। [ ८७ ]

जोन्स

[ चित्त लेटा हुआ और नींद भरी आवाज़ में ]

कुछ खाने के लिये है?

मिसेज़ जोन्स

मिसेज बार्थिविक के वावर्ची ने मुझे थोड़ा सा मांस दिया है। मैं उसको उबालने जा रही हूँ।

[ पकाने की तैयारी करती है ]

किराये के १४ शिलिंग बाकी हैं जेम, और मेरे पास कुल २ शिलिंग और चार पेन्स रह गए हैं। आजही मांगने आते होंगे।

जोन्स

[ उसकी तरफ़ फिर कर, कुहनियों के बल लेटा हुआ ]

आएँ और थैली उठा ले जायें! काम खोजते खोजते तो मैं तंग आ गया हूँ। मैं क्यों काम के लिए चक्कर लगाता हूँ? जैसे गिलहरी पिंजरे में नाचती है! "हुज़ूर मुझे काम [ ८८ ]दीजिये"--- हुज़ूर एक आदमी रखलें"---"मेरी बीबी और तीन बच्चे हैं," इन बातों से मेरा जी ऊब गया। इससे तो अच्छा यही है, कि यहीं पड़े पड़े मर जाऊँ। लोग मुझसे कहते हैं "जोन्स, कल जुलूस में शरीक हो जाव, एक झंडा उठा लो, और लालमुंह वाले नेताओं की बातें सुनो। फिर अपना सा मुंह लिए घर लौट जाव"। कुछ लोगों को यह पसंद होगा। जब मैं काम की टोह में जाता हूँ और उन बदमाशों को अपनी ओर सिर से पैर तक ताकते देखता हूँ, तो जान पड़ता है मेरे हजारों साँप काट रहे हैं। मैं किसी से कोई रियायत नहीं चाहता। एक आदमी पसीने की कमाई खाना चाहता है, पर उसे काम नहीं मिलता। कैसी दिल्लगी है! एक आदमी छाती फाड़ कर काम करना चाहता है, कि किसी तरह प्राण बचें ओर उसे कोई नहीं पूछता! यह न्याय है!---यह स्वाधीनता है! और न जाने क्या-क्या है। [ ८९ ]

[ दीवार की तरफ़ मुँह फेर लेता है। ]

तुम इतनी सीधी सादी हो, तुम नहीं जानतीं कि मेरे भीतर कितनी हलचल मची हुई है। मैं इन बच्चों के खेल से तंग आ गया हूँ। अगर कोई उन्हें चाहता है, तो मेरे पास आए,

[ मिसेज़ जोन्स पकाना बद कर देती है, और मेज़ के पास चुपचाप खड़ी हो जाती है। ]

मैं सब कुछ करके हार गया। जो कुछ होनेवाला है, उससे नहीं डरता। मेरी बातों को गिरह बांध लो। अगर तुम समझती हो, कि मैं उनके पैरों पर गिरूंगा, तो तुम्हारी भूल है। मैं किसी से काम न मागूंगा चाहे जान ही क्यों न जाती रहे। तुम इस तरह क्यों खड़ी हो जैसी कोई दुखियारी, असहाय मूरत हो? इसी से मैं तुम्हें छोड़ता नहीं। अब तुम्हें काम करने का ढंग आ गया। लेकिन इतना सीधापन भी किस काम का। तुम्हारे मुंह में तो जैसे जीभ ही नहीं है। [ ९० ]

मिसेज़ जोन्स

[ धीरे से ]

जब तुम अपने होश में रहते हो, तो ऐसी पटाँग बातें करते हो, जैसी नशे में नहीं करते। अगर तुन्हें काम न मिला हमारी गुजर कैसे होगी? मालिक मकान यहां रहने न देगा। वह तो आज रुपए के लिए आता होगा।

जोन्स

तुम्हारे इस बार्थिविक को देखता हूँ, रोज़ की बंसी बजाता हुआ पार्लिमेंट में जात और वहां गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाता

और उसके छोकरे को भी देखता हूं, जो से इधर-उधर ऐंठता फिरता है। उन्होंने कौन सा काम किया है, कि वे यों गुत उड़ायें। अपनी ज़िन्दगी में कभी एक दिन भी काम नहीं किया। मैं उन्हें हर रोज देखता [ ९१ ]

मिसेज़ जोन्स

मैं यह चाहती हूँ, कि तुम इस तरह मेरे पीछे पीछे न लगे रहा करो। न जाने तुम क्यों मेरे पीछे लगे रहते हो। तुम्हारा वहां घूमना उन्हें अच्छा नहीं लगता। उन लोगों को भी शक होता है।

जोन्स

मेरा जहां जी चाहेगा, वहां जाऊँगा। आखिर कहां जाऊँ। उस दिन एजुवेयर रोड पर एक जगह गया। मैनेजर से बोला----"हुजूर मुझे रख लीजिये; मुझे दो महीने से कोई काम नहीं मिला; बिना काम किए अब रहा नहीं जाता। मैं काम करनेवाला आदमी हूं। आप जो काम चाहें मुझे दें। मैं किसी काम से नहीं डरता।" उसने कहा,‌ "भले आदमी, सुबह से इस वक्त तक ३० आदमी आ चुके हैं। मैंने पहले दो आदमी ले लिये। इससे [ ९२ ]ज़्यादा की मुझे ज़रूरत नहीं।" मैं बोला---"आपको धन्यवाद देता हूँ साहब, संसार में आग ही लग जाय तो अच्छा।" उसने कहा--- "यों गाली बकने से काम नहीं मिलेगा, अब चल दो।"

[ हँसता है ]

चाहे तुम भूखों मर रहे हो, पर तुम्हें मुँह खोलने का हुक्म नहीं। इसका ख़याल भी मत करो। चुप चाप सहते जाव। यही समझदार आदमियों का दस्तूर है। ज़रा दूर और आगे चला, तो एक लेडी ने मुझसे कहा---

[ आवाज़ नीची करके ]

क्यों जी कुछ काम करके दो चार पैसे कमाना चाहते हो?" और मुझे कुत्ता दिया कि उसे दुकान के बाहर पकड़े खड़ा रहूं। खानसामे की तरह मोटा था। --- मनों मांस खा गया होगा। उसको पालने में ढ़ेरों मांस [ ९३ ]लग गया होगा। वह यह समझ कर दिल में खुश हो रही थी, कि मैंने एक ग़रीब आदमी का उपकार किया। लेकिन मैं देख रहा था कि यह तांबे के ज़ीने पर खड़ी मुझे ताक रही थी, कि मैं उसका मोटा ताज़ा कुत्ता लेकर कहीं रफू चक्कर न हो जाऊँ।

[ वह चार पाई की पट्टी पर बैठ जाता है, और बूट पहिनता है। तब ऊपर ताक कर ]

तुम सोच क्या रही हो?

[ मिन्नत करके ]

क्या तुम्हारे मुंह में ज़बान नहीं है?

[ कुण्डी खटकती है, और घर की मालकिन मिसेज़ सेडन आती है। वह एक चिंतित, फूहड़ और जल्दबाज औरत है। मज़दूरों के से कपड़े पहिने हुए। ]

मिसेज़ जोन्स, जब तुम आई तब हमें तुम्हारी आहट मिल गई थी। मैंने अपने शौहर से कहा लेकिन वह कहते हैं कि मैं एक दिन के लिए भी नहीं मान सकता। [ ९४ ]

जोन्स

[ त्योरियां चढ़ाकर मसख़रेपन से ]

शौहर को बकने दो, तुम स्वाधीन स्त्रियों की तरह अपनी मरज़ी पर चलो। यह लो जेनी, यह उन्हें दे दो।

[ अपने पाजामे की जेब से एक सावरेन निकाल कर वह अपनी स्त्री की ओर फेंकता है। स्त्री हाँपकर उसे अपने एपरन में ले लेती है। जोन्स फिर जूते का फीता बांधने लगता है। ]

मिसेज़ जोन्स

[ सावरेन को छिपाकर मलती हुई ]

मुझे खेद है कि अबकी इतनी देर हो गई। तुम्हारे चौदह शिलिग आते हैं। यह सावरेन लो। मुझे ६ शिलिंग लौटा दो। [ ९५ ][ मिसेज़ सेडन सावरेन ले लेती है और इधर उधर घुमाती है। ]

जोन्स

[ जूते की तरफ़ आँखे किये हुए ]

तुम्हें अचरज हो रहा होगा, क्यों?

मिसेज़ सेडन

तुमको बहुत बहुत धन्यवाद! तुमने मेरे ऊपर बड़ी कृपा की।

[ वह सचमुच विस्मित हो जाती है ]

मैं रेज़गी लाए देती हूँ।

जोन्स

[ मुंह बनाकर ]

इसकी क्या जरूरत है? [ ९६ ] 

मिसेज़ सेडन

तुमको बहुत बहुत धन्यवाद! तुमने मेरे ऊपर बड़ी कृपा की।

[चली जाती है]
[मिसेज़ जोन्स जोन्स की ओर ताकती है जो अभी तक फीते बाँध रहा है]

जोन्स

आज ज़रा तकदीर खुल गई।

[लाल थैली और कुछ फुटकल रेज़गियाँ निकाल कर]

एक थैली पड़ी मिल गई। सात पौंड से कुछ ज्यादा हैं।

मिसेज़ जोन्स

यह क्या किया, जेम्स?

जोन्स

यह क्या किया, जेम्स? किया क्या। पड़ी मिली उठा ली। खोई हुई चीज़ है। और क्या! [ ९७ ] 

मिसेज़ जोन्स

लेकिन उस पर किसी का नाम तो होगा! या कुछ और!

जोन्स

नाम? नहीं किसी का नाम नहीं है। यह उन लोगों की नहीं है जो मुलाकाती कार्ड लेकर चलते हैं। यह किसी पक्की लेडी का है। ज़रा सूंघो तो।

[वह थैली को उसकी तरफ फेंकता है। वह उसे धीरे से नाक के पास ले जाती है।]

अब तुम्हीं बतलाओ मुझे क्या करना चाहिये था। तुम्हीं बतलाओ।

मिसेज़ जोन्स

[थैली को रखकर]

यह तो मैं नहीं बता सकती, जेम्स, कि तुम्हें क्या [ ९८ ]  करना चाहिये था। लेकिन रुपए तुम्हारे न थे। तुमने किसी दूसरे के रुपए ले लिए।

जोन्स

जिसने पाया उसका हो गया। मैं इसे उन दिनों की मजूरी समझूंगा जब मैं गलियों में उस चीज के लिये ठोकर खाता फिरा जो मेरा हक़ है। मैं इसे पिछली मजूरी समझ कर ले रहा हूँ।

[विचित्र गर्व से]

रुपए मेरी जेब में हैं, जानी।

[मिसेज जोन्स फिर भोजन बनाने की तैयारी करने लगती है। जोन्स उसकी ओर कनखियों से देख रहा हैं]

हाँ, मेरी जेब में रुपए हैं। और अबकी मैं इसे उड़ाऊँगा नहीं, इसीसे कैनाडा चला जाऊँगा। तुम्हें भी एक पौंड दे दूँगा।

[चुप]

तुम मुझे छोड़ने की कई बार धमकी दे चुकी हो, [ ९९ ]तुमने बारहा मुझसे कहा है कि मैं तुम्हारे ऊपर बड़ी सख्ती करता हूं। मैं यहाँ से चला जाऊंगा तब तो तुम चैन से रहोगी।

मिसेज़ जोन्स

[ शिथिलतासे ]

सख़्ती तो तुमने मेरे साथ की है, जोन्स, और मैं तुम्हें जाने से रोक भी नहीं सकती। लेकिन तुम्हारे जाने की मुझे खुशी होगी या नहीं, यह मैं नहीं जानती।

जोन्स

इससे मेरी तकदीर पलट जायगी। जब से तुम्हारे साथ ब्याह हुआ तब से कभी भले दिन न देखे।

[ कुछ नर्मी से ]

और न तुम्हें कभी पिकनिक ही मिला। [ १०० ]

मिसेज़ जोन्स

अगर हमारी तुम्हारी मुलाकात न हुई होती तो बहुत अच्छा होता। हम लोग एक दूसरे के लिये बनाए ही नहीं गए। लेकिन तुम हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ गए, और अब तक पड़े हुए हो। और तुम मेरे साथ कितनी बुरी तरह पेश आते हो। जेम्स---उस छोकरी रायस के फेरे में पड़े रहते हो? तुम्हें शायद इन लड़कों का कभी ख़याल भी नहीं आता जिन्हें हमने पैदा किया है। तुम नहीं समझते कि उनके पालने में मुझे कितनी कठिनाई पड़ती है, और तुम्हारे चले जाने पर उन पर क्या पड़ेगी।

जोन्स

[ खिन्न मन से कमरे में टहलता हुआ ]

अगर तुम समझ रही हो कि मैं लड़कों को छोड़ दूंगा तो तुम भूल कर रही हो। [ १०१ ]

मिसेज़ जोन्स

यह तो मैं जानती है कि तुम उन्हें प्यार करते हो।

जोन्स


[ थैली को उंगलियों पर फिराता हुआ, कुछ क्रोध से ]

अभी तो यों ही चलने दो। में न रहूंगा तो छोकरे तुम्हारे साथ बड़े मज़े में रहेंगे। अगर मैं जानता कि यह हाल होगा तो मैं एक को भी न पैदा करता। क्या फायदा है इससे कि लड़कों को पैदा करके इस विपत्ति में डाल दिया जाय?यह पाप है, और कुछ नहीं। लेकिन हमारी आखं बहुत देर में खुलती हैं। संसार का यही ढंग है।

[ थैली को फिर जेब में रख लेता है।

मिसेज़ जोन्स

हाँ, यह इन बेचारों के हक़ में बहुत अच्छा [ १०२ ]होता। लेकिन हैं तो यह तुम्हारे ही लड़के, और मुझे तुम्हारे मुंह से ऐसी बातें सुनकर अचरज होता है। अगर मेरे पास यह न रहें तो मेरा तो ज़रा भी जी न लगे।

जोन्स

[ घुन्नाया हुआ ]

यही सब का हाल है। अगर मैं वहाँ कुछ कमा सका---


[ उसे अपना कोट हिलाते देखकर, कठोर स्वर में ]

कोट मत छुओ।

[ चांदी की डिबिया जेब से गिर पड़ती है और सिगरेट चारपाई पर बिखर जाते हैं। डिबिया को वह उड़ा लेती है और उसे ध्यान से देखती है। वह झपटकर उसके हाथ से डिबिया छीन लेता है। ]

मिसेज़ जोन्स

[ चारपाई को टेककर झुकी हुई ]

ओ जेम! ओ जेम! [ १०३ ]

जोन्स

[ डिबिया को मेज़ पर पटक कर ]

फिजूल बक मत करो। जब मैं यहाँ से चलूंगा तो इस डिबिया को उसी थैली के साथ पानी में डाल दूंगा। मैंने इसे उस वक्त उठा लिया जब मैं नशे में था; और नशे में जो काम किए जाते हैं उनका ज़िम्मेदार कोई नहीं होता, ब्रह्मवाक्य है। मुझे इसकी क्या ज़रूरत है, मैं इसे लेकर करूंगा क्या? मैंने जलकर दम्भ इसे निकाल लिया था। मैं तुमसे कह चुका मैं चोर नहीं हूँ, और अगर तुमने मुझे चोर कहा तो बुरा होगा।


मिसेज़ जोन्स

[ एपरन की डोरी को ऐंठती हुई ]

यह मिसेज बार्थिविक की है। तुमने मेरे नाम में बट्टा लगा दिया। अरे जेम, तुम्हें यह सूझी क्या? [ १०४ ]

जोन्स

क्या मतलब?

मिसेज़ जोन्स

वहाँ इसकी तलाश हो रही है लोगों का मुझ पर शुभा है। तुम्हें यह सूझी क्या, जेम?

जोन्स

मैं तुमसे कह चुका मैं नशे में था। मुझे इसकी चाह नहीं है। यह मेरे किस काम की है। अगर मैं इसे गिरो रखने जाऊ तो पकड़ जाऊं मैं चोर नहीं हूं। अगर मैं चोर हूँ तो लौंडा बार्थिविक मुझसे कहीं बड़ा चोर है। यह थैली जो मैंने पड़ी पाई, वही एक लेडी के घर से उठा लाया था। लेडी से कुछ झगड़ा हो गया बस उसने उस बेचारी की थैली उड़ा ली। बराबर कहता रहा कैसा चरका दिया। उसने लेडी को चरका दिया। मैंने लौंडे को चरका [ १०५ ]दिया। पल्ले सिरे का मक्खीचूस है। और देख लेना उसका बाल भी बांका न होगा।

मिसेज़ जोन्स

[ मानो आपही आप बातें कर रही हो ]

ओ जेम! हमारी लगी लगाई रोजी चली जायगी!

जोन्स

अगर ऐसा हुआ तो मैं भी उनकी ख़बर लूंगा।

न थैली कहीं गई है, न लौडा बार्थिविक कहीं गया है।

[ मिसेज़ जोन्स मेज़ के पास आती है और डिबिया को उठा लेना चाहती है, जोन्स उसका हाथ पकड़ लेता है। ]

तुम्हें उससे क्या मतलब है? मैं कहता हूं सीधे से रखदो।

मिसेज़ जोन्स

मैं इसे लौटा दूंगी और जो जो हुअा है सब साफ़ साफ़ कह दू़ंगी। [ १०६ ]

[ वह उसके हाथ से डिबिया छीन लेना चाहती है ]

जोन्स

न मानोगी तुम?

[ वह डिबिया को छोड़ देता है और गुर्राकर उस पर झपटता है वह चारपाई के उस पार चली जाती हैं। वह उसके पीछे लपकता है। एक कुरसी उलट जाती है। दरवाजा खुलता है और स्नो अन्दर आता है। वह खुफ़िया पुलीस का आदमी है इस वक्त सादे कपड़े पहने हुए है। उसकी मूछें कतरी हुई हैं। जोन्स हाथ गिरा देता है मिसेज़ जोन्स हाँकती हुई खिड़की के पास खड़ी हो जाती है। स्नो तेजी से मेज़ की तरफ जाता है और डिबिया उठा लेता है। ]

स्नो

अच्छा यहाँ तो चुहल हो रही है। जिस चीज़ को तलाश में था वही मिल गई । जे० बी० ठीक वही है।

[ वह दरवाजे के पास जाता है और डिबिया के अक्षरों को गौर से देखता है मिसेज़ जोन्स से] [ १०७ ]मैं पुलीस का अफसर हूँ। तुम्हीं मिसेज़ जोन्स हो?

मिसेज़ जोन्स

जी हां।

स्नो

मुझे हुक्म है कि तुम्हें जे० बार्थिविक, मेम्बर पार्लेमेण्ट नं० ६ राकिंघम गेट की यह डिबिया चुरा लेने के अपराध में पकड़ लूं। तुम्हारा बयान ठीक न हुआ तो तुम फंस जावगी क्या कहती हो?

मिसेज़ जोन्स

[ धीमे स्वर में। वह अभी तक हांफ रही है और छाती पर हाथ रखे हुये है ]

मैं सच कहती हूँ, साहब, मैंने इसे नहीं लिया।

मैं पराई चीज कभी छूती ही नहीं मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानती।

स्नो

'तुम आज सवेरे वहाँ गई थीं, जिस कमरे में [ १०८ ]यह डिबिया थी उसमें तुमने झाड़ू लगाई, तुम कमरे में अकेली थीं। डिबिया यहां तुम्हारे घर में रखी हुई है। फिर भी तुम कहती हो मैंने नहीं लिया?

मिसेज़ जोन्स

जी हाँ। जो चीज़ नहीं ली, उसे कैसे कह दूँ कि ली है।

स्नो

तब वह डिबिया यहाँ कैसे आ गई?

मिसेज़ जोन्स

मैं इस विषय में कुछ न कहना ही उचित समझती हूँ।

स्नो

यह तुम्हारे पति हैं?

मिसेज़ जोन्स

जी हाँ, यह मेरे पति हैं। [ १०९ ]

स्नो

मैं इन्हें गिरफ़तार करने जा रहा हूँ। तुम्हें कुछ कहना तो नहीं है?

[ जोन्स सिर झुकाए मौन बैठा रहता है ]

तो ठीक है। चलो मिसेज़ जोन्स। मैं तुमको इतना ही कष्ट दूँगा कि चुप चाप मेरे साथ चली आओ।

मिसेज़ जोन्स

[ हाथ मलते हुए ]

अगर मैंने लिया होता तो मैं यह कभी न कहती कि मैंने नहीं लिया---मैंने नहीं लिया, आप से सच कहती हूँ। यह मैं जानती है कि देखने में मैं ही अपराधिन है, लेकिन असली तबा मैं नहीं बता सकती। मेरे बच्चे मदरसे गए हैं, थोड़ी देर में आते होंगे। मुझ न पावेंगे तो उन बेचारों का न जाने क्या हाल होगा। [ ११० ]

स्नो

तुम्हारा पति उनकी देख भाल कर लेगा, घबराने की कोई बात नहीं।

[ वह उसका हाथ आहिस्ता से पकड़ता है ]

जोन्स

तुम उसका हाथ छोड़ दो वह ठीक कहती हैं। डिबिया मैंने ली।

स्नो

[ उसकी तरफ आँखें उठाकर ]

शाबाश! शाबाश! बहादुर आदमी हो। चलो मिसेज जोन्स।

जोन्स

[ क्रोध से ]

उसे छोड़ दे, सुअर। वह मेरी बीबी है। वह शरीफ़ औरत है। अगर उसे पकड़ा तो तुम जानोगे। [ १११ ]

स्नो

ज़रा होश में आओ। इन बातों से क्या फ़ायदा ज़बान सँभाल कर बात करो----खैरियत इसी में है।

[ वह मुंह में सीटी लगाता है और स्त्री को द्वार की ओर खींचता है ]

जोन्स

[ झपट कर ]

उसे छोड़ दो और हाथ हटालो, नहीं हड्डी तोड़ दूंगा उसे क्यों नहीं छोड़ता। मैं तो कह रहा हूँ कि मैंने ली है।

स्नो

[ सीटी बजाकर ]

हाथ हटालो, नहीं मैं तुम्हें भी पकड़ लूँगा। अच्छा न मानोगे? [ जोन्स उससे लिपट जाता है और उसे एक घूंसा मारता है। एक पुलिसमैन वर्दी पहने हुए आता है। ज़रा देर हाथापाई होती है, और जोन्स पकड़ लिया जाता है। मिसेज़ जोन्स अपने हाथ उठाती है और उनके ऊपर सिर झुका देती है। ]

पर्दा गिरता है।