तिलिस्माती मुँदरी/2

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तिलिस्माती मुँदरी  (1927) 
द्वारा श्रीधर पाठक

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अध्याय २

इसके थोड़े ही दिनों बाद राजा शिकार खेलने को पहाड़ों में चला गया और उसके जाने के दूसरे ही दिन कौओं ने तोते को ख़बर दी कि उन्होंने रानी के ख़ास गुलाम बब्बू को बाग़ में कुछ जड़ी बूटी उखाड़ कर इकट्ठा करते देखा था जिनमें कई ज़हरीली बूटियां थीं। यह ख़बर सुनते ही तोता खिड़की की राह बाहर आ, बब्बू के करतब को देख, सीधा रानी के कमरे में चला गया और वहाँ छिप कर देखने लगा कि रानी क्या करती है। थोड़ी देर बाद वह देखता है कि बब्बू उन ज़हरदार पत्तियों को लाकर रानी के हाथ में दे देता है और रानी उनको काट कर एक देग़ची में रख अंगीठी पर उबालने को चढ़ा देती है; बाद इसके उसने देखा कि रानी ने एक बरतन में से थोड़ा सा आटा और कुछ मिठाई निकाल उबली हुई पत्तियों के अर्क में गूंध कर एक रोटी पोई और उसे आग पर सेक डाला। तोता यह देख कर वहां से चुपके से उड़ फ़ौरन राजा की लड़की के कमरे में पहुंचा जहां उसने दोनों कौओ को भी पाया और उनसे कहने लगा-“ऐ कौओ, अब देर करने का वक्त नहीं है, अगर राजा की लड़की अब यहां रहेगी तो उसे ज़रूर ज़हर
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दे दिया जायगा-रानी इस वक्त उसके लिये एक ज़हर की रोटी बना रही है। प्यारी बेटी!चलो यहां से अभी भाग चले" राजा की लड़की इस बात को सुनते ही बड़ी दहशत के साथ वहां से उठ कर दरवाज़े की तरफ दौड़ी, पर किवाड़ों में ताला लगा, था। खिड़की को देखा तो वह इतने ऊंचे पर थी कि लड़की का उसकी राह से निकलना नहीं हो सकता था। सिवा इसके खिड़की के सामने ही एक संतरी पहरा दे रहा था, लेकिन जब कि वह सब सोच विचार कर रहे थे कि क्या किया जाय, दरवाज़ा खुल गया और रानी रिकाबी में एक उमदा सी रोटी लिये हुए आ पहुंची। इस लिये कि रानी उनको न देख सके कौए उसके अन्दर आते ही खिड़की की राह से उड़ गये। रानी लड़की से बोली-“ऐ प्यारी, मैं तेरे खाने के लिए यह रोटी अपने हाथ से बना के लाई हूं" और इतना कह रोटी उसके आगे रख, दरवाजे का ताला बंद करके चली गई। रानी के चले जाने के बाद तोते ने झट कौओं को बुलाया और कहा कि "इस रोटी को दीवार के बाहर झील में गिरा दो"; कौओं ने वैसा ही किया। राजा की लड़की उस रोज़ दिन भर और रात भर उसी कमरे में बंद रही और उसके लिये खाना भी और कुछ न आया; लेकिन कौए उसके वास्ते कई तरह के फल और बहुत सी मेवा महल के बाग़ीचे से ले आये और लड़की और सब चिड़ियों ने मिल कर खूब अच्छी तरह ब्यालू की। सुबह होते ही रानी यह देखने को आई कि लड़की मर गई या नहीं और जब उसे जीता पाया निहायत गुस्से में आ उसके बाल खींच कर उसे मारने लगी और दोनों हाथों से गर्दन दबा कर गला घोटने का इरादा किया। इस हरकत को देख कर तोते ने क्या किया कि खिड़की की राह उड़कर सीधा उस जगह पहुंचा जहां पर
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रानी का छोटा बच्चा पालने में लेटा हुआ था और अंगीठी में से जो कि वहां जल रही थी एक जलती लकड़ी लेकर उस कमरे की खिड़की के परदे में आग लगा दी, और "आग लगी, आग लगी; पालने वाले घर में आग लग गई,” यों पुकारता हुआ राजा की लड़की के कमरे तक जा पहुंचा और महल के सब नौकर "आग, आग" चिल्लाने लगे। यह सब होने में इतनी थोड़ी देर लगी कि रानी राजा की लड़की का गला घोटने न पाई और उसे वहीं ज़मीन पर पड़ी हुई छोड़ अपने बच्चे को बचाने के लिये दौड़ी।

राजा की लड़की किसी तरह मुशकिल से ज़मीन से उठी और तोते के कहने पर कि इस मौके पर ज़रूर भाग चलना चाहिये उसके साथ दरवाजे की राह जो कि अब खुला हुआ था, बाहर निकल गई और सीढ़ियां उतर कर बाग़ में दाख़िल हुई, जहां दोनों कौए भी मिल गये। तोता आगे हुआ और कौए पीछे और वह सब दीवार के एक छोटे दरवाजे पर पहुंचे। लड़की ने कुछ मुशकिल के साथ किवाड़ों की कुन्दी खोल ली और जब सब बाहर हुए अपने तई ऐन झील के किनारे पर पाया। उस वक्त झील के दूसरे किनारे के पास दो हंस तैर रहे थे; तोते ने राजा की लड़की से कहा कि “इन को अंगूठी दिखा कर हुक्म दे कि तुझे झील के पार पहुंचा दें"। ज्यों ही लड़की ने हंसों को अंगूठी दिखाई वह उसके पास आकर सिर झुका कर पूछने लगे-"क्या हुक्म है?" वह बोली-"मुझे झील के उस पार ले चलो"-हंसे ने उसी दम अपनी जोड़ी बना ली और राजा की लड़की ने पानी में धस अपने दोनों बाजुओं को दोनों हंसों की पीठ पर लगा लिया। धड़ उसका कंधों के नीचे तक पानी में हो गया, सिर्फ़ सिर ऊपर रहा और दोनों हंस उसे ले चले। तोता बड़े आराम से
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राजा की लड़की के कंधे पर बैठा था और कौए सभी के ऊपर उड़ते चलते थे।

जब वह सब झील के पार हुए, राजा की लड़की उतर पड़ी और हंस उसका हुक्म पाकर लौट गये। राजा की लड़की ने वहां चट्टानों में एक अलहदा जगह पाकर अपने भीगे कपड़े धूप में सूखने को डाल दिये और तोते ने एक कौए को चट्टान की चोटी पर खबरदारी के लिये बैठा दिया और दूसरे को राजा की लड़की के कहने से यह मालूम करने के लिए महलों को रवाना किया कि आग लगने से रानी के बच्चे को किसी तरह की तकलीफ़ तो नहीं पहुंची।

जब तक कपड़े सूखे, यह कौआ महलों से लौट आया और यह ख़बर लाया कि बच्चे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा, और आग भी सब बुझ गई है। लेकिन राजा की लड़की के बाबत महल में बड़ा शोर मच रहा है। बब्बू वगैरह सब नौकर उसकी खोज कर रहे हैं और जो कोई राजा की लड़की को रानी के पास ले आवे, उसके लिये ५० अशर्फ़ी का इनाम मुकर्रर हुआ है।

तोते ने राजा की लड़की से कहा कि कपड़े पहन कर अब जल्दी उसके पीछे २ चल दे क्योंकि अभी ऐसी जगह बहुत दूर थी जहां उसके खोजने वालों की पहुंच न हो। पस उन्होंने कूच कर दिया। कौए आसमान की राह चारों तरफ निगाह रखते चलते थे और तोता राजा की लड़की के आगे २ रास्ता बताता जाता था। थोड़े ही अर्से में वह एक बड़े बन में पहुंचे। यहां एक कौआ तो ऊंचा आसमान में दरखों की चोटियों से ऊपर २ उड़ता हुआ चला, और दूसरा कौआ नीचे उतर कर राजा की बेटी के आगे हो लिया। उन्हें बहुत
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से आदमी उस बन में मिले, लेकिन जब कोई आता दिखाई देता नीचे वाला कौआ अपनी बोली में कह कर लड़की को ख़बरदार कर देता और जब तक वह आदमी निकल नहीं जाता लड़की किसी झाड़ो या पेड़ या पत्तों की आड़ में छिप रहती; और उन चिड़ियों पर कोई ध्यान नहीं देता था।

इस तरह वह बराबर चले गये जब तक कि राजा की लड़की थकी नहीं। पर अब वह थक भी गई और उसे भूख भी लगी; तोते ने तब ऊपर वाले कौए को बुला कर पूछा कि कहीं उसे पानी का निशान भी दिखाई दिया कि नहीं। कौए ने कहा कि एक छोटा सा झरना दाहिनी तरफ़ को थोड़ी दूर पर एक चट्टान से गिर रहा है। फिर तोते ने कौओं को हुक्म दिया कि राजा की लड़की के वास्ते बन में से अच्छे २ फल चुन कर झरने पर लावे और राजा की लड़की का, हालांकि वह थकी हुई थी, अपने साथ झरने की तरफ़ ले चला। उन्हें थोड़े ही देर में पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई दी वह, उसी तरफ को चले जिधर से वह आवाज़ आती थी और एक पत्थर की चट्टान के पास पहुंचे जिसमें से पानी की एक छोटी सी धारा एक बड़े गहरे और पथरीले खडु में गिर रही थी। राजा की लड़की ने खूब जी भर के पानी पिया और तोते ने भी पिया। तोता पानी पीकर घास पर, बैठ कौओं की राह देखने लगा। कौए भी जल्द आ पहुंचे। जितने उनसे चल सके, अंजीर और अंगूर साथ लाये। यह फल जब राजा की लड़की और तोते ने सब खा लिये, कौए बड़ी आसानी से पास ही से और ले आये। यों उन सभी ने मिलकर खूब अच्छी तरह खाना खाया। यह जगह ऐसी सुंदर और अलहदा थी कि उन्होंने वहां दूसरे रोज़ तक ठहरने का इरादा कर लिया। चिड़ियां राजा की लड़की के
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बिस्तर के लिये नर्म २ पत्ते चुन कर ले आई और राजा की लड़की ने भी इस काम में मशक्कत की और रात होने के पहले ही एक उमदा पलंग एक छप्परनुमा चट्टान के नीचे तैयार हो गया, जहां ओस और सर्दी से बचकर वह रात भर खूब आराम से सोई। तीनों पखेरू पास के एक पेड़ पर बसे, और बारी २ से रात भर पहरा देते रहे।

सुबह को उन सभों ने वहां अंजीरों और अंगूरों का कलेवा करके मामूली तौर से कूच फिर शुरू कर दिया। अब दोपहर के क़रीब जब कि वह कुछ देर तक चल चुके थे, आगे वाले कौए को एक आदमी उनकी तरफ़ आता नज़र आया, और कौआ राजा की लड़की को आगाह करने के लिये फ़ौरन चिल्लाने लगा। लड़की ने कौए की आवाज़ को सुना, पर उसका मतलब न समझा। लेकिन जब उसको अपनी तरफ़ ज़ोर से कांव कांव करते हुए आता देखा, लड़की ने जाना कि कुछ अंदेशा है और भट एक झाड़ी के पीछे छिप गई। आदमी के चले जाने पर वह फिर चिड़ियों से मिल गई, लेकिन उनके कहने का एक लफ्ज़ भी नहीं समझ सकती थी। आख़िर को उसे मालूम हुआ कि जादू की अंगूठी उसके पास नहीं है। अंगूठी उसकी पतली उंगली के लिये बहुत बड़ी होने से सुबह के चलने में कहीं रास्ते में बेमालूम गिर गई थी। उसने हाथ उठा कर तोते को जताया कि मुंँदरी नहीं है, इस बात से उन सब को बहुत अफ़सोस हुआ, और लड़की के रोने, तोते के चीखने और कौओं की कांव कांव से एक ग़मगीन राग उस जंगली जगह में सुनाई देने लगा। आख़िरश तोते ने राजा को लड़की को अपने पीछे २ आने का इशारा किया और तमाम काफ़िला वहां से लौट चला। रास्ते में बड़ी होशियारी से खोई हुई अंगूठी ढूंढ़ते
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जाते थे, मगर ढूंढ़ना बेफ़ायदा हुआ और वह उसी चश्मे पर पहुंच गये जहां से कि सुबह को कूच किया था।

इस वक्त शाम हो गई थी। कौए खाने को कुछ अंजीर और अंगूर ले आये और राजा की लड़की अपने पुराने बिस्तर पर लेट रही। वह बहुत रोई कि अब अपनी प्यारी चिड़ियों से बात नहीं कर सकती थी, लेकिन रोते २ जल्द ही नींद आ गई। सुबह होते ही वह फिर अंगूठी की तलाश में निकले, और जब कि उसकी खोज में लगे हुए थे कौओं ने देखा कि एक सिपाही एक पेड़ के नीचे पड़ा सो रहा है। एक कौआ दूसरे से कहने लगा “देख यहां एक आदमी लेटा हुआ है। जा, राजा की लड़की को ख़बरदार कर दे"। लेकिन इतने में “कौन जाता है" यों कहता हुआ सिपाही उठ खड़ा होता है और जैसे वह उठता है कौए उसकी उंगली पर जादू की मुँदरी चमकती हुई देखते हैं। जादू उसी दम अपना असर करता है और कौओं को सिपाही के सवाल का जवाब देना पड़ता है-"हम दो कमनसीब कौए हैं और आप के ताबेदार हैं"। सिपाही को उन चिड़ियों की बोली समझने से बड़ा तअज्जुब हुआ और उनसे पूछने लगा "तुम चिड़ियां होकर इस तरह बात क्योंकर कर सकते हो?" एक कौए ने जवाब दिया "साहब, आप की उंगली में एक जादू की अंगूठी है जिसके ज़ोर से आप हमारी बोली समझ सकते हैं और हम को मजबूरन आप के हर सवाल का जवाब देना पड़ता है"। “हां! यह बात है? अच्छा तो बतला किस राजा की लड़की का तू अभी जिक्र कर रहा था"। कौआ बोला “कश्मीर के राजा की लड़की का"। इस पर सिपाही कहने लगा “क्या खुब, उस लड़की के पकड़ने वाले को तो ५० अशर्फ़ी का इनाम है। क्या वह लड़की इस वक्त कहीं यहीं पर है?" [ १३ ]
बेचारे कौए राजा की लड़की को दुश्मन के कब्जे में लाना नहीं चाहते थे, मगर मुंँदरी के जादू के आगे बेकाबू थे। इसलिये उन्हें कबूल करना पड़ा कि लड़की पास ही है। सिपाही ने लड़की को झट ढूंढ कर पकड़ लिया, और उसके रोने और चिल्लाने पर कुछ भी ध्यान न दे, रास्ते में घसीटता हुआ ले चला। तीनों चिड़ियां बेचारी ग़मगीन आवाज़ करती हुई पीछे २ साथ हुई। थोड़े अर्से में वह झील केमकिनारे पहुंचे। उसमें इस वक्त एक कश्ती पड़ी थी। सिपाही ने राजा की लड़की को उसमें जबरदस्ती बैठा दिया और आप भी चढ़ लिया। तोता भी किसी तौर से नाव में घुस गया और एक तख्ते के नीचे छिप रहा। सिपाही ने लाव का खेना शुरू किया, कौए ऊपर उड़ते चले। वह सब महल के पीछे की खिड़की पर जा उतरे जिसका दर्वाज़ा सिपाही के खटखटाने पर बब्बू गुलाम ने फ़ौरन खोल दिया। गुलाम राजा की लड़की को दांत निकाल कर बुरी तरह देखने लगा और रानी के कमरे में ले गया। चिड़ियाँ महल के बाग़चे में छिप रहीं।

रानी ने सिपाही को वादा किया हुआ इनाम दिया और बब्बू से कहा कि लड़की को उसके कमरे में बन्द करके दुरवाज़ो और खिड़कियों के सामने पहरा बैठा दे ताकि लड़की फिर न भाग जावे। फिर वह सिपाही से पूछने लगी कि उसने लड़की को कैसे पाया, सिपाही ने, जिस तरह उसे जंगल में जादू की अंगूठी मिली थी जिसके जरिये से वह चिड़ियों की बोली समझने लगा था और जिस तरह उन्हीं चिड़ियों से लड़की का पता लगा था, सब सुना दिया।