न्याय/अङ्क तीसरा

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[ १५६ ]

अङ्क तीसरा

दृश्य १

जेलखाने में मामूली तरह से सजा हुआ एक कमरा, जिसमें दो बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ है। खिड़कियों में छड़ लगी हुई है, जिनमें से क़ैदियों के कसरत करने का आँगन दिलाई दे रहा है। वहाँ कैदी पीले कपड़े पहिने हुए दिखाई देते हैं। उनके कपड़ों पर तीर का निशान लगा हुआ है। सिर पर पीली मुंडी टोपी है। वे सब एक क़तार में चार-चार गज़ के फ़ासले से सफ़ेद और टेढ़ी मेढ़ी लकीरों पर तेज़ी से चलते दिखाई देते हैं जो आँगन के फ़र्श पर बनी हैं। दो सिपाही नीले रंग का कपड़ा पहिने हुए, तलवार लिए बीच में खड़े हैं। उनकी टोपी के सामने थोड़ा सा हिस्सा निकला हुआ है। कमरे की दीवारें रंग से पुती हुई हैं। कमरे में किताब रखने का एक आला है जिसमें सरकारी ढंग की किताबें रक्खी हैं। दोनों खिड़कियों के बीच एक अलमारी है। दीवार पर जेलखाने का एक नक़शा लटक रहा है। एक लिखने की मेज पर सरकारी कागज़ात रखे हैं। यह क्रिसमस की संध्या है। दारोग़ा साफ़ रोबदार आदमी है कतरी हुई छोटी मूंछे हैं। [ १५७ ]मुल्लाओं की सी आँखें, बाल खिचड़ी हो गए हैं, और कनपट्टी से फिरे हुए हैं। मेज़ के पास खड़ा एक आरी को देख रहा है, जो किसी धातु की बनी हुई है। जिस हाथ में वह उसे पकड़े हुए है उसमें दस्ताना है, क्योंकि उसके हाथ की दो उँगलियाँ गायब हैं। प्रधान वार्डर वुडर लंबा और दुबला है, और पलटनिया मालूम होता है। उसकी उम्र साठ वर्ष की है। मूंछें सफ़ेद हैं। बंदर की सी उदास आँखें हैं। गवर्नर से दो क़दम की दूरी पर मुस्तैदी से खड़ा है।

दारोग़ा

[रूखी और हलकी मुसकिराहट के साथ]

बड़े आश्चर्य की बात है, मिस्टर वुडर! तुम्हें यह कहाँ मिली?

वुडर

उसकी चादर के नीचे, साहब। ऐसी बात दो वर्ष से नज़र नहीं आई।

दारोग़ा

[आश्चर्य से]

कोई सधी बधी बात थी क्या? [ १५८ ]

वुडर

उसने अपनी खिड़की की गराद इतनी काट डाली है।

[अँगूठे और उँगली को एक चौथाई इंच अलग करके उठाता है।]

दारोग़ा

मैं दोपहर को उससे मिलूँगा, उसका नाम क्या है? मोनी, शायद कोई पुराना असामी है।

वुडर

हाँ, साहब! यह चौथी बार सज़ा भुगत रहा है। ऐसे पुराने खिलाड़ी को तो ज्यादा समझ से काम लेना चाहिए था।

[करुणभाव से]

कह रहा था, मन बहलाता था। कहीं घुस गए, कहीं से निकल आए। सब इसी धुन में पड़े रहते हैं।

दारोग़ा

दूसरे कमरे में कौन रहता है? [ १५९ ]

वुडर

ओ-क्लियरी, हुजूर!

दारोग़ा

अच्छा, वह आइरिशमैन?

वुडर

उसके दूसरे कमरे में रहता है वह युवक फ़ाल्डर, सभ्य श्रेणी का। उसके बाद बूढ़ा क्लिपटन।

दारोग़ा

हाँ, यह दार्शनिक। मैं उससे मिलूँगा, उसकी आँखों के बारे में पूछना है।

वुडर

कुछ अक्ल काम नहीं करती। ऐसा मालूम होता है कि अगर एक भागने की कोशिश करता है, तो बाकी सभों को इसकी ख़बर हो जाती है। सभी भागने पर उतारू हो जाते हैं। ख़ूब हलचल मच रही है। [ १६० ]

गवर्नर

[विचार करके]

यह हलचल बुरा है।

[क़ैदियों को कसरत करते देखता हुआ]

वहाँ तो सब के सब बड़े शान्त मालूम होते हैं।

वुडर

उस आइरिशमैन ओक्लियरी ने आज दरवाज़े पर धक्का देना शुरू किया। बिलकुल ज़रा सी बात उनमें खलबली डाल देने को काफ़ी है। वे कभी कभी सब बेजबान जानवरों से हो जाते हैं।

दारोग़ा

घोड़ों में बादल गरजने के पहले यह बात मैंने देखी है सवारों की कतारों को चीरते हुए निकल जाते थे।

[जेल का पादरी आता है। बाल काले हैं, वैराग्य का भाव है, गिर्जे के कपड़े पहिने है। चेहरा बहुत गंभीर, होंठ कुछ जकड़े हुए। धीरे से सभ्य भाषा में बात करता है।] [ १६१ ]

दारोग़ा

[आरा दिखाकर]

इसे देखा तुमने, मिलर?

चेपलेन

काम की चीज़ मालूम होती है ।

दारोग़ा

अजायबघर में भेजने लायक है।

[अलमायरा के पास जाकर उसे खोलता है और उसमें पुरानी रस्सियों के टुकड़े, कीलें और धातुओं के बने हुए औज़ार नज़र आते हैं। उनमें कागज़ के पर्चे बंधे हुए हैं।]

अच्छा, धन्यवाद मिस्टर वुडर, तुम जा सकते हो।

वुडर

[सलाम करके]

जो हुक्म।

[चला जाता है]

[ १६२ ]

दारोग़ा

क्यों मिस्टर मिलर—दो तीन दिन में यह क्या हो गया है? सारे जेल की हवा बिगड़ी हुई है।

चेपलेन

मुझे तो कुछ नहीं मालूम।

दारोग़ा

ख़ैर, जाने दो। कल यहीं भोजन कीजिए न?

चेपलेन

बड़ा दिल है, अनेक धन्यवाद!

दारोग़ा

आदमियों की हलचल मुझे परेशान कर देती है।

[आरे को देखते हुए]

इस शैतान को भी सज़ा देनी पड़ेगी। जो भागने की कोशिश करता है उसपर सख़्ती करने का जी नहीं चाहता। [ १६३ ]

[आरे को जेब में रख लेता है, और अलमारी में भी ताला बन्द करता है।]

चेपलेन

बाज़-बाज़ बला के हठीले और शरीर होते हैं। बिना सख्ती के कुछ नहीं किया जा सकता।

दारोग़ा

फिर भी तो कोई नतीजा नहीं। गोल्फ़ के लिए ज़मीन बहुत कड़ी है, क्यों?

[वुडर फिर भीतर आता है।]

वुडर

एक आदमी आपसे मिलना चाहते हैं, महाशय। मैंने उनसे कहा ऐसा क़ायदा नहीं है।

दारोग़ा

क्या चाहता है? [ १६४ ]

वुडर

कहिए तो बिदा कर दूँ।

दारोग़ा

[मजबूरी से]

नहीं, नहीं, बुलालो। तुम बैठो, मिलर।

[वुडर से किसी को आने के लिए इशारा करता है, और उसके भीतर आते ही वह चला जाता है। मिलने वाला कोकसन है, वह घुटने तक मोटा ओवरकोट पहिने है। हाथ में ऊनी दस्ताने हैं। ऊँची टोपी लिये हुए है।]

कोकसन

मुझे आपको कष्ट देने का खेद है। लेकिन मुझे एक युवक के बारे में कुछ कहना है।

दारोग़ा

यहाँ तो बहुत से युवक हैं। [ १६५ ]

कोकसन

फ़ाल्डर नाम है। जालसाज़ी में।

[अपने नाम का कार्ड दारोग़ा को देकर]

जेम्स ऐण्ड वाल्टरहो का कार्यालय वकालत के लिए मशहूर है।

दारोग़ा

[मुसकिराहट के साथ कार्ड लेते हुए]

आप किस लिए मुझसे मिलना चाहते हैं?

कोकसन

[अकस्मात् क़ैदियों की क़वायद देखकर]

कैसा दृश्य है!

दारोग़ा

हाँ, हमारे यहाँ से अच्छी तरह दिखाई देता है। मेरे दफ्तर की मरम्मत हो रही है।

[टेबिल के पास बैठकर]

हाँ, कहिए। [ १६६ ]

कोकसन

[मानो कष्ट के साथ अपनी दृष्टि को क़ैदियों की ओर फेरकर]

मैं आपसे दो एक बात करना चाहता हूँ। मुझे अधिक देर लगेगी।

[धीरे से]

बात यह है कि मैं क़ायदे से तो यहाँ नहीं आ सकता। परन्तु उसकी बहन मेरे पास आई थी। बाप माँ तो कोई है ही नहीं। वह बहुत घबराई हुई थी। मुझसे बोली मेरे पति तो मुझे उससे मिलने जाने नहीं देते। कहते हैं उसने कुल में कलङ्क लगाया है। दूसरी बहन बिलकुल चलने फिरने से लाचार है। उसने मुझसे आने के लिए कहा मुझे भी उस युवक से प्रेम है। मेरा ही मातहत था। मैं भी उसी गिर्जे में जाया करता हूँ इसलिए मैं इनकार न कर सका।

दारोग़ा

लेकिन खेद है, उसे किसी से मिलने का हुकुम नहीं है। वह वहाँ केवल एक मास की काल कोठरी के लिए आया है। [ १६७ ]

कोकसन

मैं उसमे उस समय एक बार मिला था जब वह हवालात में बन्द था। और उसका मामला चल रहा था। बेचारे के आगे पीछे कोई नहीं है।

दारोग़ा

[कुछ प्रसन्न होकर]

मिलर ज़रा घंटी तो बजाओ।

[कोकसन से]

क्या आप सुनना चाहते हैं कि डॉक्टर उसके बारे में क्या कहते हैं?

चैपलेन

[घंटी बजाकर]

मालूम होता है कि आप जेलख़ाने में बहुत कम जाते हैं। [ १६८ ]

कोकसन

हाँ, लेकिन देखकर दुःख होता है, वह अभी बिलकुल युवक है। मैंने उससे कहा—"धीरज रक्खो!" हाँ, यही कहा था। "धीरज" उसने जवाब दिया। "एक दिन अपने को कमरे में बंद करके मेरी ही भाँति सोचिए और कलपिए तो मालूम हो। बाहर एक का दिन यहाँ के एक वर्ष के समान है। मैं क्या करूँ?" उसने फिर कहा मैं कोशिश करता हूँ, मिस्टर कोकसन, परन्तु अपनी आदत से लाचार हूँ।" फिर हाथों से मुँह ढाँप कर वह रोने लगा। मैंने देखा उँगलियों के बीच में से होकर आँसू टपक रहे थे। मैं तो तड़प उठा।

चैपलेन

वही युवक है न जिसकी आँखें कुछ अजीब तरह की हैं। चर्च आफ़ इँगलैंड का नहीं मालूम होता।

कोकसन

नहीं।

चैपलेन

जानता हूँ। [ १६९ ]

दारोग़ा

[वुडर से जो भीतर आया है]

डॉक्टर साहब से कहो कि कृपा करके एक मिनट के लिए मुझसे आकर मिल लें।

[वुडर सलाम करके चला जाता है]

उसकी शादी तो नहीं हुई है।

कोकसन

नहीं।

[गुप्तभाव से]

लेकिन एक औरत है, जिसे वह बहुत चाहता है, ठीक वेश्या नहीं है। बड़ी करुण कहानी है।

चैपलेन

अगर दुनिया में शराब और औरत न होती, तो जेलखाने ही न होते। [ १७० ]

कोकसन

[चश्मे के ऊपर से चैपलेन को देखता हुआ]

हाँ, लेकिन मैं विशेष कर वही बात आपसे कहने आया हूँ। यह चिन्ता उसे मारे डालती है।

दारोग़ा

अच्छा!

कोकसन

बात यह है कि उस औरत का पति बड़ा ही बदमाश है और वह उसे छोड़ बैठी है। वह उस युवक के साथ ही भाग जाने का इरादा करती है। यह बात अच्छी नहीं है। लेकिन मैंने इसपर ध्यान नहीं दिया । जब मुक़द्दमा ख़तम हो गया, तो उसने कहा—कि अलग रह कर अपना पेट चलाऊँगी और जब तक वह सज़ा काट कर बाहर न आए, उसके नाम पर बैठी रहूँगी। उसको इस बात से बड़ी भारी शान्ति मिली थी। लेकिन एक महीने बाद वह मुझको मिली मुझसे उससे जान पहिचान नहीं है और बोली—"अपनी बात तो दूर है, मैं अपने बच्चों तकका पालन नहीं कर सकती। मेरे कोई मित्र नहीं है। मैं ज़्यादा किसी [ १७१ ]से मिल जुल भी नहीं सकती। उससे मेरे पति को मेरा पता लग जाने का डर है। मैं बिलकुल दुबली हो गई हूँ।" दर असल वह दुबली हो गई है। "अब शायद मुझे किसी कारख़ाने में जाना पड़ेगा"। यह बड़ी दुःख भरी कहनी है। मैंने कहा "नहीं, कहीं न जाना पड़ेगा। मेरे घर पर मेरी स्त्री है, बच्चे हैं। यदि उन्हें भोजन मिलेगा तो तुमको भी क्यों नहीं मिल सकता?" "दर असल" यह बड़ी नेक औरत है। उसने जवाब दिया "सच? लेकिन मैं आपसे यह नहीं कह सकती इससे तो अच्छा है, कि मैं अपने पति के पास लौट जाऊँ।" यद्यपि मैं जानता हूँ कि उसका पति एक शराबी तथा पशु के समान अत्याचारी आदमी है फिर भी मैंने उसे पति के पास जाने को मना नहीं किया।

चैपलेन

आप कैसे कर सकते थे?

कोकसन

हाँ, लेकिन इसके लिए मुझे दुःख है। युवक को अभी तीन साल सज़ा भुगतनी है। मैं चाहता हूँ वह कुछ आराम से रहे। [ १७२ ]

चैपलेन

[कुछ चिढ़कर]

क़ानून आपके साथ बिलकुल सहमत नहीं।

कोकसन

वह बिलकुल अकेला है, मुझे डर है वह पागल न हो जाय। भला ऐसा कौन चाहता होगा? मुझे जब उसने देखा तो रोने लगा, मुझसे किसी का रोना देखा नहीं जाता।

चैपलेन

यह बहुत ही कम देखा गया है, कि क़ैदी किसी को देखकर रोने लगे।

कोकसन

[उसकी ओर ताकता हुआ यकायक जामे से बाहर होकर]

मेरे घर कुत्ते भी हैं। [ १७३ ]

चैपलेन

अच्छा!

कोकसन

हाँ, और मैं कह सकता हूँ कि मैं कभी उन्हें हफ्तों तक अकेले बन्द नहीं रख सकता। चाहे वह मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाले।

चैपलेन

मगर अपराधी तो कुत्ते नहीं हैं। उनमें धर्म अधर्म का ज्ञान होता है।

कोकसन

लेकिन उसको समझाने का यह ढङ्ग नहीं है।

चैपलेन

खेद है हम आपसे एक मत नहीं हो सकते। [ १७४ ]

कोकसन

कुत्तों में भी यही बात है आप उनसे दया का व्यवहार करेंगे तो वे आपके लिए सब कुछ करेंगे। मगर उनको अकेले बन्द कर रखिये। आप देखेंगे वे झल्ला उठेंगे।

चैपलेन

मगर इतना आप ज़रूर स्वीकार करेंगे, जो आपसे ज्यादा अनुभव रखते हैं वह जानते हैं कि कैदियों से किस तरह व्यवहार किया जाय।

कोकसन

[हठ करके]

मैं इस बेचारे युवक को जानता हूँ। मैं उसे वर्षों से देखता आ रहा हूँ। वह कुछ दिल का कमजोर है। उसका बाप भी क्षय से मरा था। मैं केवल उसके भविष्य की बात सोच रहा हूँ। अगर उसको काल कोठरी में रक्खा जायगा जहाँ कुत्ता बिल्ली तक उसके साथी नहीं हैं, [ १७५ ]तो उसके स्वास्थ्य को ज़रूर नुक़सान पहुँचेगा। मैंने उससे पूछा था कि "तुम्हें क्या कष्ट है?" उसने जवाब दिया "यह मैं आपसे ठीक बयान नहीं कर सकता, मिस्टर कोकसन, लेकिन कभी-कभी जी चाहता है कि अपना सिर दीवार पर पटक हूँ।" कितनी भयानक बात है।

[उसकी बात के बीच में ही डाक्टर भीतर आते हैं। उनका क़द मझोला है, खूबसूरत भी कहा जा सकता है, आँखें तेज़ हैं खिड़की पर झुक कर खड़े होते हैं।]

दारोग़ा

यह महाशय कह रहे हैं कि एकांतवास से उच्चश्रेणी के नं० ३००७—वही दुबला सा युवक—फ़ाल्डर की दशा बिगड़ रही है। आपकी क्या राय है डाक्टर क्लेमेंट?

डाक्टर

हाँ, वह ज़रूर ऊब गया है। परन्तु उसके स्वास्थ्य में तो कोई खराबी नहीं आई है। केवल एक महीना तो है। [ १७६ ]

कोकसन

लेकिन यहाँ आने के पहिले तो उसे हफ्तों रहना पड़ा था।

डाक्टर

यह तो जानी बूझी बात है। यहाँ उसका वज़न कुछ नहीं घटा है।

कोकसन

लेकिन मेरा मतलब उसके दिमाग़ से है।

डाक्टर

उसका दिमाग़ भी दुरुस्त है। वह कुछ घबड़ाया सा ज़रूर रहता है। परन्तु और कोई शिकायत नहीं है। मैं उसके विषय में सावधान हूँ।

कोकसन

[लाजवाब होकर]

मुझे यह सुनकर बड़ी खुशी हुई। [ १७७ ]

चैपलेन

[सज्जनता के साथ]

यही एक ऐसा वक्त है कि हम उनके दिल पर कुछ असर डाल सकते हैं। मैं अपने निजकी दृष्टि से कहता हूँ।

कोकसन

[दारोग़ा की ओर भौचक्केपन से देखकर]

मैं आपसे शिकायत नहीं करना चाहता, परन्तु मेरे ख़याल में यह अच्छी बात नहीं।

दारोग़ा

मैं ख़ुद जाकर आज उसे देखूँगा।

कोकसन

इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मेरा ख़याल है कि रोज़ देखते रहने से शायद आपको कुछ पता न लगे। [ १७८ ]

दारोग़ा

[कुछ तीखेपन से]

अगर उसके स्वास्थ्य में कुछ भी ख़राबी मालूम हुई तो मामला फ़ौरन आगे भेज दिया जावेगा इसका काफ़ी प्रबन्ध है।

[वह उठता है]

कोकसन

[अपनी ही धुन में]

यह बात अवश्य है कि जो बात आँख से नहीं देखी जाती उसके लिए कष्ट नहीं होता। परन्तु मैं उधर से निश्चिन्त हो जाना चाहता हूँ।

दारोग़ा

आप उसे हमारे ऊपर छोड़ दीजिए।

कोकसन

[नम्र और विनीत भाव से]

शायद आप मेरा आशय समझ गए हों। मैं सीधा सादा आदमी हूँ। अफ़सर के विरुद्ध मैं कुछ नहीं कहना चाहता। [ १७९ ]

[चैपलेन की ओर झुककर]

बुरा न मानिएगा। गुडमार्निंग।

[जब वह चला जाता है, तब तीनों कर्मचारी एक दूसरे की ओर नहीं देखते। लेकिन उनके चेहरे पर एक विचित्र भाव छा जाता है।]

चैपलेन

हमारे इन मित्र का ख़याल है कि जेल अस्पताल है।

कोकसन

[अकस्मात् लौटकर बड़े ही विनीत भाव से]

एक बात और है, वह औरत—मेरे ख़याल में आपसे यह कहना उचित न होगा अगर आवे तो उसे इससे मिला दीजिएगा। इससे दोनों निहाल हो जायंगे। वह उसी का ध्यान कर रहा होगा। माना वह उसकी बीबी नहीं है, लेकिन किसी बात का खटका नहीं है। बेचारे दोनों बड़े ही दुखी हैं। आप कोई ख़ास रियायत नहीं कर सकते?

दारोग़ा

[उकता कर]

मुझे सचमुच ही दुःख है कि मैं कोई खास रियायत [ १८० ]नहीं कर सकता। वह जब तक मामूली जेलख़ाने में न जाय, तब तक वह किसी से नहीं मिल सकता।

कोकसन

ठीक है।

[निराश स्वर से]

आपको तकलीफ़ दी, माफ़ कीजिए।

[फिर बाहर चला जाता है]

चैपलेन

[कंधों को हिलाकर]

बड़ा सीधा आदमी है बिचारा। चलो क्लेमेंट खाना खालो।

[वह और डाक्टर बातें करते जाते हैं।]

दारोग़ा

[एक लम्बी साँस लेकर टेबिल के पास कुर्सी पर बैठ जाता है और क़लम उठा लेता है।]

परदा गिरता है।

[ १८२ ]

दृश्य २

जेसख़ाने की पहिली मंज़िल के दालान का हिस्सा। दीवारें फीके हरे रंग से गहरे हरे रंग की एक धारी तक रंगी हुई हैं जो मनुष्य के कंधे की ऊँचाई तक होगी। इसके ऊपर सफ़ेदी की हुई है। जमीन काले पत्थरों की बनी हुई है। किनारे पर की एक खिड़की से रोशनी छन कर आ रही है। चार कोठरियों के दरवाज़े नज़र आ रहे हैं। आँख की ऊँचाई पर हर एक कोठरी के दरवाज़े में एक छोटा झरोखा है जिसपर एक गोल ढकना लगा है। उसको ऊपर उठाने से कोठरी का भीतरी दृश्य दिखाई देता है। कोठरी के पास ही दीवार पर एक छोटा चौकोर तख़्ता लगा है जिसपर क़ैदी का नाम, नंबर और हाल लिखा है।

ऊपर दो मंज़िले और तिमंज़िले के दालानों के लोहे के छज्जे दिखाई दे रहे हैं।

वार्डर (जमादार) एक कोठरी से बाहर निकल रहा है। उसके डाढ़ी है और नीली वर्दी पहिने हुए है। वर्दी पर एक गर्द पोश है, उसमें चाबियाँ लटक रही हैं। [ १८३ ]

जमादार

[दरवाज़े से कोठरी के अन्दर बोलते हुए]

जब यह कर लोगे तो मैं तुम्हें कुछ थोड़ा सा काम और दूंगा।

ओक्लियरी

[नेपथ्य में आयरिश स्वर में]

ठीक है, हुज़ूर।

जमादार

[दोस्ताना ढंग से]

आखिर बैठकर क्या करोगे? कुछ न कुछ करना ही अच्छा है।

ओक्लियरी

यही तो मैं सोचता हूँ।

[कोठरियों के बन्द होने और ताला पड़ने का शब्द सुनाई देता है। फिर किसी के पैरों की आवाज़ सुनाई देती है।] [ १८४ ]

दारोग़ा

इन्हीं महाशय ने आरी बनायी है न?

[जेब में से आरी निकालता है, वुडर कोठरी का दरवाज़ा खोलता है, क़ैदी सिर पर टोपी दिए बिछौने पर सीधा लेटा नज़र आता है। वह चौंक पड़ता है और कोठरी के बीच में खड़ा हो जाता है। वह दुबला आदमी है, उम्र छप्पन वर्ष की, कान चमगीदड़ के-से, डरावनी घूरती हुई और कठोर आखें हैं।]

वुडर

टोपी उतारो।

[मोनी टोपी उतारता है]

बाहर आओ।

[मोनी दरवाजे के पास आता है]

दारोग़ा

[उसे दालान में निकल आने का इशारा करके जेब में से आरी निकाल कर उसे दिखाते हुए इस ढंग से बोलता है जैसे कोई अफ़सर सिपाही से बात कर रहा हो।] [ १८५ ]इसके बारे में कुछ कहना है?

[मोनी चुप रहता है।]

बोलो।

मोनी

वक़्त काट रहा था।

दारोग़ा

[कोठरी की ओर इशारा करके]

काम कम है, क्यों?

मोनी

उसमें मन नहीं लगता।

दारोग़ा

[आरी को खटखटाकर]

तो इससे अच्छा ढंग सोचना चाहिए था। [ १८६ ]

मोनी

[मुँह लटकाकर]

और कौन सा ढंग था? जब तक मैं यहाँ से निकल न जाऊँ, तब तक मुझे किसी न किसी काम में अपना वक्त काटना पड़ेगा। इस उम्र में और मेरे लिए रक्खा ही क्या है?

[ज्यों-ज्यों ज़बान हिलती है वह नर्म होता जाता है]

आपको तो मालूम ही है कि इस मियाद के बाद दो ही एक साल में मुझे फिर लौट आना पड़ेगा। बाहर निकल कर अपनी बे इज़्ज़ती न कराऊँगा। जेल को क़ायदे से, दुरुस्त रखने में आपको गर्व है। मुझे भी अपनी इज़्ज़त प्यारी है।

[यह देखकर कि दारोग़ा उसकी बातों को ध्यान से सुन रहा है वह आरी की ओर इशारा करके कहता है।]

कुछ थोड़ा-थोड़ा यह काम भी करता रहूँ तो किसी का क्या बिगड़ता है? पाँच हफ़्तों से मैं इसे बना रहा था। शायद बुरा तो नहीं बना है। अब शायद काल कोठरी मिलेगी। या सात दिन सिर्फ रोटी और पानी। आपके [ १८७ ]बस की बात नहीं। मैं जानता हूँ क़ायदे से आप भी लाचार हैं।

दारोग़ा

अच्छा, देखो मोनी अगर मैं इस बार तुम्हें माफ़ कर दूं तो क्या तुम मुझ से वादा कर सकते हो कि आगे तुम कभी ऐसा न करोगे? सोचो।

[वह कमरे में घुसता है और उसके सिरे तक चला जाता है, फिर स्टूल पर चढ़कर खिड़की की सलाख़ों को आज़माता है।]

दारोग़ा

[लौटकर]

क्या कहते हो?

मोनी

[जो सोच रहा था]

अभी मुझे छः हफ्ते और यहाँ अकेले रहना है। कैसे मुमकिन है कि मैं बिना कुछ किए चुपचाप रहूँ। कोई चीज़ जरूर चाहिए जिसमें मेरा मन लगे। आपकी बड़ी [ १८८ ]दया है। लेकिन मैं कोई वादा नहीं कर सकता। एक भले आदमी को धोखा नहीं देना चाहता।

[कोठरी की ओर देखकर]

अगर चार घंटे डट कर और मिलते तो मैं इसे पूरा कर लेता।

दारोग़ा

तो उससे होता क्या? फिर पकड़ लिए जाते। यहाँ लाए जाते और सजा मिलती। पाँच हफ़्ते की सख़्त मिहनत करने पर भी कोठरी में बन्द रहना पड़ता। तुम्हारी खिड़की पर एक नई गराद लगा दी जाती। सोचो मोनी क्या यह काम इस लायक है ?

मोनी

[कुछ डरावने भाव से]

हाँ, है।

दारोग़ा

[हाथों से भौहों को खुजाते हुए]

अच्छा, दो दिन कोठरी और सिर्फ रोटी और पानी। [ १८९ ]

मोनी

धन्यवाद!

[वह जानवर की भांति घूमता है और अपने कमरे में घुस जाता है। दारोग़ा उसकी ओर देखता रहता है, और सिर हिलाता है। वुडर कोठरी को बन्द करके ताला डालता है।]

दारोग़ा

क्लिपटन की कोठरी खोलो।

[वुडर क्लिपटन की कोठरी खोलता है, क्लिपटन ठीक दरवाज़े के पास एक स्टूल पर बैठा हुआ पाजामा सी रहा है। वह नाटा, मोटा और अधेड़ है। सिर मुड़ा हुआ। धुँधले चश्मे के पीछे छोटी और काली आँखें मानो बुझ रही हो। वह उठकर दरवाज़े में चुपचाप खड़ा हो जाता है और आनेवालों को घूरता है।]

दारोग़ा

[उसको बाहर जाने का इशारा कर]

ज़रा एक मिनट के लिए बाहर आओ, क्लिपटन। [ १९० ][क्लिपटन एक डरावनी ख़ामोशी के साथ बाहर आता है, सूई डोरा उसके हाथ में है। दारोग़ा वुडर से इशारा करता है, वह जाँच करने के लिए कोठरी के भीतर जाता है।]

दारोग़ा

तुम्हारी आँखें कैसी हैं?

क्लिपटन

मुझे उनकी कुछ शिकायत नहीं करनी है। यहाँ सूरज के कभी दर्शन नहीं होते।

[चोरों की तरह क़दम उठाकर सिर बढ़ा देता है।]

मैं चाहता हूँ कि आप मेरे इस दूसरे कमरे के महाशय से कुछ कह दें कि वह ज़रा कुछ चुप रहा करें।

दारोग़ा

क्यों, क्या बात है? मैं चुगली नहीं सुनना चाहता, क्लिपटन। [ १९१ ]

क्लिपटन

मैं नहीं जानता वह कौन है। मुझे तो उसके मारे नींद तक नहीं आती।

[उपेक्षा से]

शायद कोई उच्च (Star) श्रेणी का होगा! उसे हमारे साथ नहीं रखना चाहिए।

दारोग़ा

[शान्त स्वर से]

ठीक है, क्लिपटन, जब कोई कोठरी खाली होगी तब वह हटा दिया जायगा।

क्लिपटन

सबेरे वह दरवाज़ों पर धमाधम शब्द करता है, मानो कोई जंगली जानवर हो। मुझे बरदाश्त नहीं होती। मेरी नींद खुल जाती है। शाम को भी यही हाल होता है। यह कोई अच्छी बात नहीं है। आप ही सोच देखिए। नींद के सिवा यहाँ और है क्या? वह मुझे पेट भर मिलनी चाहिए। [ १९२ ][वुडर कोठरी के बाहर आता है। जैसे ही वह आता में क्लिपटन चोर की तरह झट से अपनी कोठरी में घुस जाता है।]

वुडर

सब ठीक है, हुज़ूर।

[दारोग़ा सिर हिलाता है, वुडर दरवाज़े को बन्द कर ताला लगाता है।]

दारोग़ा

वह कौन है जो सवेरे अपने दरवाज़े पर धक्का मार रहा था?

वुडर

[ओक्लियरी की कोठरी के पास जाकर]

यह है, साहब।

[वह ढकना उठाकर झरोखे में से भीतर देखता है।]

दारोग़ा

खोलो। [ १९३ ][वुडर दरवाज़ा बिलकुल खोल देता है, ओक्लियरी दरवाज़े के पास टेबिल के सामने कान लगाए बैठा हुआ नज़र आता है। दरवाज़ा खुलते ही वह उछलकर ठीक द्वार पर सीधा खड़ा हो जाता है। उसका चेहरा चौड़ा है, उम्र अधेड़ है, मुँह पतला, चौड़ी और गालों की ऊँची हड्डियों के नीचे गढ़े हो गए हैं।]

दारोग़ा

क्या मज़ाक है, ओक्लियरी?

ओक्लियरी

मज़ाक, हुज़ूर! मैंने तो बहुत दिनों से इसे नहीं देखा।

दारोग़ा

अपने दरवाज़े पर धक्के लगाना!

ओक्लियरी

ओ! वह!

दारोग़ा

यह ज़नानों का सा काम है। [ १९४ ]

ओक्लियरी

और दो महीने से हो क्या रहा है?

दारोग़ा

कोई शिकायत है?

ओक्लियरी

नहीं, हुज़ूर।

दारोग़ा

तुम पुराने आदमी हो, तुम्हें सोच समझ कर काम करना चाहिए।

ओक्लियरी

यह सब तो सुन चुका हूँ।

दारोग़ा

तुम्हारे बादवाले कमरे में एक लौंडा है, वह घबड़ा जायगा। [ १९५ ]

ओक्लियरी

कभी कभी सनक सवार हो जाती है, हुज़ूर मैं क्या करूँ! हमेशा मन ठिकाने नहीं रहता।

दारोग़ा

काम तो पसन्द है न?

ओक्लियरी

[एक चटाई उठाकर जो वह बना रहा था।]

यह काम मुझे दिया गया है। मेरे चाहे कोई प्राण ही लेले। पर यह मुझसे न होगा। ऐसा सड़ियल काम! एक चूहा भी इसे बना सकता है।

[मुँह बनाकर]

बस, यही मुझसे नहीं सहा जाता। यही सन्नाटा! जरा सी कोई भनक कान में आए तो जी हलका हो जाता है। [ १९६ ]

दारोग़ा

तुम बाहर किसी दूकान में ही होते, तो क्या बातें करने पाते?

ओक्लियरी

संसार की बातचीत तो सुनता।

दारोग़ा

[मुसकिराकर]

अच्छा, अब ये बातें बन्द होनी चाहिएँ।

ओक्लियरी

अब ज़बान न खोलूँगा, हुज़ूर।

दारोग़ा

[घूमकर]

सलाम!

ओक्लियरी

सलाम, हुज़ूर।

[वह कोठरी में जाता है, दारोग़ा दरवाज़ा बन्द करता है।

[ १९७ ]

दारोग़ा

[चालचलन की तख़्ती को पढ़कर]

इस पाजी से कुछ कहने को जी नहीं चाहता।

वुडर

हाँ, साहब, मुहब्बती आदमी है।

दारोग़ा

[दालान से निकलने के रास्ते की ओर इशारा करके]

वुडर, जाकर डाक्टर को बुला लाओ।

[वुडर उधर चला जाता है]

[दारोग़ा फ़ाल्डर की कोठरी की ओर जाता है। वह हाथ उठाकर झरोखे के ढकने को खोलना चाहता है कि अचानक ही सिर हिलाकर हाथ नीचा कर लेता है। फिर चालचलन की तख़्ती पढ़कर वह दरवाज़े को खोलता है। फाल्डर जो दरवाज़े के सहारे ही खड़ा हुआ था गिरते गिरते सँभलता है।] [ १९८ ]

दारोग़ा

[बाहर आने का इशारा कर]

कहो, क्या अब भी तुम शांत नहीं हो सके, फ़ाल्डर?

फ़ाल्डर

[हाँफता हुआ]

हाँ, साहब!

दारोग़ा

मेरा मतलब यह है कि अपने सिर को दीवार पर पटकने से कुछ न होगा।

फ़ाल्डर

जी नहीं।

दारोग़ा

फिर ऐसा मत किया करो।

फ़ाल्डर

कोशिश करूँगा, हुज़ूर। [ १९९ ]

दारोग़ा

क्या तुम्हें नींद नहीं आती?

फ़ाल्डर

बहुत थोड़ी। दो बजे और उठने के समय के बीच में दिल बहुत घबड़ाता है।

दारोग़ा

क्यों?

फ़ाल्डर

[उसके ओंठ फैल जाते हैं, जैसे मुसकिराता हो]

यह नहीं जानता। मैं कच्चे दिल का आदमी हूँ।

[अचानक वाचाल होकर]

उस समय सभी बातें मुझे भयानक मालूम होती हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि शायद मैं यहाँ से कभी बाहर नहीं निकलूँगा।

दारोग़ा

दोस्त यह वहम है। अपने को सँभालो। [ २०० ]

फ़ाल्डर

[अचानक झुँझलाकर]

हाँ, करना ही पड़ेगा।

दारोग़ा

अपने और साथियों को देखो।

फ़ाल्डर

उनको आदत हो गई है। जी हाँ, शायद मैं भी कुछ दिनों में उन्हीं जैसा हो जाऊँगा।

दारोग़ा

[कुछ दुःखित होकर]

खैर, यह तुम जानो। अच्छा, अब काम में अपना मन लगाने की कोशिश करो। तुम अभी बिलकुल जवान हो। आदमी जैसा चाहे बन सकता है। [ २०१ ]

फ़ाल्डर

[उत्सुकता से]

जी हाँ।

दारोग़ा

अपने मन को वश में रक्खो। कुछ पढ़ते हो?

फ़ाल्डर

[सिर झुकाकर]

मेरी समझ में कुछ आता ही नहीं। मैं जानता हूँ इससे कोई फ़ायदा नहीं। फिर भी बाहर क्या हो रहा है, यह जानने की इच्छा होती है।

दारोग़ा

क्या कोई घरेलू मामला है?

फ़ाल्डर

जी हाँ। [ २०२ ]

दारोग़ा

उन बातों को तुम्हें नहीं सोचना चाहिए।

फ़ाल्डर

[कोठरी की ओर देखकर]

यह मेरे बस बात नहीं है।

[वुडर और डाक्टर को आते देखकर बिलकुल चुप और स्थिर हो जाता है। दारोग़ा उसे कोठरी में जाने का इशारा करता है।]

फ़ाल्डर

[जल्दी से धीमे स्वर में]

मेरा दिमाग़ बिलकुल ठीक है, साहब।

[कोठरी के भीतर जाता है]

दारोग़ा

[डाक्टर से]

जाओ और उसे ज़रा देख आओ, क्लेमेंट। [ २०३ ]

[डाक्टर के भीतर जाते ही दारोग़ा दरवाज़े को भेड़ देता है, फिर खिड़की की ओर जाता है।]

वुडर

[उनके पीछे-पीछे चलकर]

बड़े दुःख की बात है कि आपको इन सभों के पीछे इतना कष्ट उठाना पड़ता है। मगर सब आदमी सुखी हैं।

दारोग़ा

क्या तुम ऐसा सोचते हो?

वुडर

हाँ, साहब, केवल "बड़े दिन" के कारण सब ज़रा बेचैन हो उठे हैं!

दारोग़ा

[अपने ही आप]

अजीब बात है। [ २०४ ]

वुडर

क्या कहा, हुज़ूर?

दारोग़ा

बड़ा दिन।

[खिड़की की ओर मुँह फेरता है। वुडर उनकी ओर बड़ी चिंता और दया की दृष्टि से देखता है।]

वुडर

[यकायक]

कहिए तो अबकी कुछ धूम धाम ज्यादा की जाय, या आप चाहें तो हाली[१] के और पौदे लगा दिए जायँ।

दारोग़ा

कोई जरूरत नहीं।

[डाक्टर फ़ाल्डर के कमरे से बाहर आता है, दारोग़ा उसे इशारे से बुलाता है।]

[ २०५ ]

दारोग़ा

कहिए।

डाक्टर

मैं तो कोई ख़राबी नहीं पाता हूँ। हाँ, कुछ घबड़ाया ज़रूर है।

दारोग़ा

क्या उसकी हालत की इत्तला देनी चाहिए? सच कहो, डाक्टर।

डाक्टर

बात तो यह है, उसे इस प्रकार एकांत में रखने से कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। परंतु यह बात तो मैं बहुतों के लिए कह सकता हूँ।

दारोग़ा

आपका मतलब है कि आपको औरों के लिए भी सिफ़ारिश करनी पड़ेगी। [ २०६ ]

डाक्टर

कम से कम एक दर्जन के लिए। केवल ज़रा घबड़ाहट है और कोई बात स्पष्ट नहीं है। यही देखो न।

[ओक्लियरी की कोठरी की ओर इशारा करके]

इसकी भी हालत यही है। अगर मैं लक्षणों को छोड़ दूँ तो कुछ कर ही नहीं सकता। ईमान की बात यह है कि मैं कोई खास रियायत नहीं कर सकता। वज़न में कुछ घटा नहीं है। आँखें ठीक हैं, नब्ज़ भी ठीक है। बातें बिलकुल होश की करता है। और अब एक हफ्ता तो रह ही गया है।

दारोग़ा

उन्माद का रोग तो नहीं मालूम होता?

डाक्टर

[सिर हिलाकर]

यदि आप कहें तो मैं उसके बारे में रिपोर्ट पेशकर [ २०७ ]सकता हूँ। लेकिन फिर मुझे औरों के लिए भी रिपोर्ट पेश करनी पड़ेगी।

दारोग़ा

अच्छा!

[फ़ाल्डर की कोठरी की ओर देखते हुए]

उस बेचारे को अभी यहीं रहना होगा।

[कहने के साथ कुछ अनमना सा होकर वुडर की ओर देखता है।]

वुडर

आप कुछ कह रहे हैं, हुज़ूर?

[जवाब के बदले दारोग़ा उसकी ओर आँखें फाड़कर देखता है। फिर पीछे फिरकर चलने लगता है। किसी धातु की चीज़ पर कुछ ठोंकने का शब्द सुनाई देता है।]

दारोग़ा

[ठहर कर]

क्या है, मिस्टर वुडर? [ २०८ ]

वुडर

अपने दरवाज़े को पीट रहा है, साहब। अभी शांत होता नहीं जान पड़ता।

[वह जल्दी से दारोग़ा की बगल से होकर चला जाता है, दारोग़ा भी धीरे धीरे उसी ओर जाता है।]

परदा गिरता है

[ २०९ ]

दृश्य ३

फ़ाल्डर की कोठरी। दीवारों पर सफ़ेदी है, कमरा तेरह फीट चौड़ा, सात फीट लम्बा है। ऊँचाई नौ फीट है। छत गोल है। ज़मीन चमकीली, काली ईंटों की बनी है। जङ्गलेदार खिड़की है जिसके ऊपर हवादान है। खिड़की सामने की दीवार के बीचो बीच बनी है। उसके सामने की दीवार में छोटा-सा दरवाज़ा है। एक कोने में चादर और बिछावन लपेटा हुआ रक्खा है (दो कम्बल दो चादरें और एक गिलाफ़) ठीक उसके ऊपर चौथाई गोल लकड़ी का ताक है जिसपर बाइबिल और कई धर्म ग्रंथ तले ऊपर मीनार की तरह रक्खे हैं। बालों का काला ब्रुरुश, दाँतों का बुरुश, और एक छोटा सा साबुन भी रक्खा है। दूसरे कोने में लकड़ी की एक खाट खड़ी रक्खी है। खिड़की के नीचे एक अँधेरा हवादान है और एक दरवाज़े के ऊपर भी है। फ़ाल्डर का काम (एक कमीज़ पर उसे बटन के काज बनाने को दिया गया है।) एक खूँटी पर टंगा हुआ है। उसके नीचे एक लकड़ी की मेज़ पर एक उपन्यास "लौना दून" खुला हुआ रक्खा है। कोने में [ २१० ]दरवाज़े के पास कुछ नीचे एक वर्ग फुट का मोटा काँच का पर्दा है जो दीवार में लगी हुई गैस की नाली के द्वार को छेके हुए है। एक लकड़ी का स्टूल भी रक्खा है। उसके नीचे जूते रक्खे हैं। खिड़की के नीचे तीन चमकदार टीन के डब्बे जड़े हुए हैं।

दिन शीघ्रता से ढल रहा है फ़ाल्डर मोज़ा पहिने हुए दरवाज़े से सिर लगाकर (मानो कुछ सुन रहा हो) चुपचाप खड़ा है। वह दरवाज़े के कुछ और पास बढ़ता है, पैरों में मोज़ा रहने के कारण शब्द नहीं होता। वह दरवाज़े से सटकर खड़ा होता है। वह खूब कोशिश करता है कि बाहर की कोई बात उसे सुनाई दे जाय। अचानक वह उछलकर सीधा सांस बन्द करके खड़ा होता है मानो किसी की आहट पाई हो। फिर एक लम्बी साँस लेकर वह अपने काम (कमीज़) की ओर बढ़ता है और सिर नीचा करके उसे देखता है। सूई लेकर दो एक टाँके लगाता है। उसकी मुद्रा से प्रकट होता है, कि वह रंज में इतना डूबा है कि हर एक टाँका मानो उसमें स्फूर्ति का संचार कर रहा है। फिर यकायक काम छोड़कर वह इस तरह कोठरी में टहलने लगता है जैसे पिंजड़े में जानवर। फिर दरवाजे के पास खड़ा होता है, कुछ सुनता है, फिर हथेली को फैलाकर दरवाज़े पर रखता है, और माथे को दरवाज़े से टेक लेता है। वहाँ से मुड़कर धीरे धीरे उँगली [ २११ ]को दीवार की ऊँची रंगीन लकीर पर फेरता हुआ वह खिड़की के पास आता है। वहाँ आकर ठहरता है, और टीन के डब्बे का एक ढकना उठाकर देखता है मानो अपने ही चेहरे का एक साथी बनाना चाहता हो। बहुत कुछ अँधेरा हो गया है। अचानक उसके हाथ से टीन का ढक्कन झन-झन शब्द के साथ गिर पड़ता है। सन्नाटे में इस आवाज़ से वह कुछ चौंक उठता है। वह उस कमीज़ की ओर एक नज़र से देखता रहता है जो दीवार पर लटकी हुई है, और अँधेरे में कुछ सफ़ेदी दिखाई देती है। ऐसा मालूम होता है मानो कोई चीज़ या किसी आदमी को देख रहा हो। खट से एक आवाज़ होती है, कमरे के अन्दर की गैस की बत्ती जो शीशे के आइने में है जल उठती है। कमरे में खूब उजाला होने लगता है, फ़ाल्डर हाँफता हुआ नज़र आता है, अचानक दूर पर कोई शब्द होता है मानो धीरे-धीरे किसी धातु पर कोई चीज़ ठोकी जा रही हो। फ़ाल्डर पीछे खिसकता है, उससे यह अचानक आनेवाला शोर नहीं सुना जाता। परन्तु आवाज़ बढ़ती जाती है मानो कोई बड़ा ठेला कोठरी की ओर आ रहा हो। फ़ाल्डर मानो इस आवाज़ से सम्मोहित होता जाता है। वह यकायक इंच दरवाज़े की ओर खिसकता है, धम-धम की आवाज़ कोठरियों को पार करती हुई और भी पास आती जाती है। फ़ाल्डर हाथ हिलाने लगता है मानो उसकी [ २१२ ]आत्मा उस शब्द से मिल गई हो। फिर वह आवाज़ मानो कमरे के भीतर घुस आती है। अकस्मात् वह बँधी हुई मुट्ठी उठाता है, जोर-जोर से हाँफता हुआ वह दरवाज़े पर गिर पड़ता है और उसे पीटने लगता है।

परदा गिरता है।

  1. क्रिसमस में युरोप में हाली के पौदों से सजावट की जाती है। इसे शुभ समझा जाता है।