सामग्री पर जाएँ

न्याय/अङ्क दूसरा

विकिस्रोत से

पृष्ठ ७२ से – १५५ तक

 

अङ्क दूसरा

दृश्य १

न्यायालय। अक्टूबर महीने का तीसरा पहर, चारों ओर कुहरा छाया हुआ है। कचहरी में बारिस्टर, वकील, सम्वाद-दाता, चपरासी, जूरियों से ठसाठस भरा है। एक बड़े मज़बूत कठघरे में फ़ाल्डर है। उसके दोनों तरफ़ दो सिपाही निगरानी के लिए खड़े हैं, मानो उनकी उसपर कुछ विशेष दृष्टि नहीं है। फ़ाल्डर ठीक जज के सामने बैठा है। जज एक ऊँची जगह पर बैठा है। उसका भी ध्यान किसी ख़ास चीज़ पर नहीं है। सरकारी वकील हेरोल्ड क्लीवर दुबला, और पीला आदमी है। उम्र अधेड़ से कुछ अधिक है। सिर पर एक नक़ली बाल लगाए बैठा है, जिसका रंग उसके चेहरे के रंग से मिलता-जुलता है। वादी का वकील हेक्टर फ्रोम जवान और लम्बे कद का है। मूँछ और दाढ़ी साफ़ है। एक सफ़ेद नक़ली बाल सिर पर पहिने है। दर्शकों में जेम्स और मिस्टर होम बैठे हैं उनकी गवाही हो चुकी है। कोकसन और ख़ज़ांची भी बैठे हैं। विस्टर गवाही के कटघरे से उतर रहा है।

क्लीवर

यह सरकारी मुक़दमा है हुज़ूर।

[अपने कपड़ों को सँभालकर बैठता है]

फ़्रोम

[अपनी जगह से उठता हुआ, जज को सलाम करके]

हुज़ूर जज और जूरी के सदस्य गण! मैं इस यथार्थ बात को अस्वीकार नहीं करता कि अभियुक्त ने चेक के अंकों को बदला था। मैं आपके सम्मुख इस बात का प्रमाण दूँगा कि उस समय अभियुक्त की मानसिक अवस्था कैसी थी, और आपकी सेवा में निवेदन करूँगा, कि उस समय उसे उसका ज़िम्मेदार समझने में आप उसके साथ अन्याय करेंगे, वास्तव में अभियुक्त ने यह काम चित्त की अव्यवस्थित दशा में किया जो क्षणिक उन्माद के समान था। इसका कारण वह भीषण समस्या थी, जो उसपर आ पड़ी थी। महोदयो! अभियुक्त की उम्र केवल तेइस वर्ष की है। मैं अभी एक औरत को यहाँ पेश करता हूँ जिसके बयान से आपको मालूम हो जायगा, कि अभियुक्त ने यह काम क्यों किया। आप स्वयं उसके मुख से उसके जीवन की करुण-कथा और इससे भी करुण प्रेम-वृत्तान्त सुनेंगे, जो अभियुक्त के हृदय में उसने जागृति की थी। महाशय गण! वह और अपने पति के साथ बड़ी बुरी अवस्था में रहती है। पति बराबर उसके साथ अत्याचार करता है। यहाँ तक कि उस बेचारी को डर है कि वह उसे मार तक न डाले। इस समय मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि किसी नवयुवक के लिए किसी की विवाहिता स्त्री से प्रेम करना प्रशंसनीय या उचित है अथवा उसको यह अधिकार है कि वह उस स्त्री की उसके पिशाच पति से रक्षा करे। परन्तु हम सब को मालूम है, कि प्रेम आदमी से क्या क्या नहीं करा सकता। महोदयो! मैं आपसे कहता हूँ कि उस औरत का बयान सुनते समय आप इस बात पर ध्यान रखें, कि एक निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति से विवाह होने के कारण वह उसके हाथ से छुटकारा नहीं पा सकती। क्योंकि विवाह-विच्छेद कराने के लिए मार पीट के सिवा किसी और दोष का दिखाना ज़रूरी है जो शायद उसके पति में नहीं है।

जज

क्या इन बातों का भी अभियोग से कोई सम्बन्ध है, मिस्टर फ़्रोम?

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं अभी यह आपको साबित करूँगा।

जज

बहुत अच्छा।

फ़्रोम

इस प्रकार की अवस्था में वह और क्या कर सकती थी। उसके लिए और कौनसा रास्ता खुला था? या तो वह अपने शराबी पति के साथ रह कर अत्याचारों को चुपचाप सहती अथवा अदालत के जरिए विवाह-विच्छेद कराती। लेकिन महाशय गण! अपने अनुभवों से मैं कह सकता हूँ कि अदालत की शरण लेकर भी अपने पति के अत्याचारों से बचना कठिन था। और किसी तरह वह बच भी जाती, तो सिवा किसी कारख़ाने में जाने या सड़क पर मारे-मारे फिरने के और कुछ भी नहीं कर सकती थी। क्योंकि कोई काम न जानने वाली औरत के लिए अपना और अपने बच्चों का पालन करना आसान काम नहीं। यह अब उसे मालूम हो रहा है। या तो वह सरकारी ख़ैरात-ख़ाने में जाती या अपनी लाज बेचती।

जज

आप अपने विषय से बहुत दूर चले गए, मिस्टर फ़्रोम।

फ़्रोम

मैं एक मिनट के अन्दर अपना आशय बतला दूँगा, हुज़ूर।

जज

खैर, कहो।

फ़्रोम

महोदय! विचार कीजिए। यह औरत स्वयं आएको ये बातें बतायेगी और अभियुक्त भी उसका समर्थन करेगा, कि ऐसी अवस्थाओं में पड़कर उसने अपने उद्धार की सारी आशाएँ उसपर छोड़ दीं। क्योंकि इस युवक के हृदय में उसने जो भाव उत्पन्न किए थे, उससे वह अपरिचित न थी। इस विपत्ति से बचने के लिए, उसे इसके सिवा और कोई मार्ग दिखाई न दिया कि किसी दूर देश में जाकर, जहाँ उन्हें कोई न पहिचाने, वे पति पत्नि की तरह रहें। बस यही उनका अंतिम और, जैसा निस्संदेह मेरे मित्र मिस्टर क्लेवर कहेंगे, अविचार पूर्ण निर्णय था। परन्तु यह सच्ची बात है कि दोनों का मन इसीपर तुला हुआ था। एक अपराध से बचने के लिए दूसरा अपराध करना अच्छी बात नहीं। और जिनके लिए ऐसी अवस्था में पड़ने की संभावना नहीं है, वे शायद मेरी बातों पर चौंक उठेंगे। परंतु मैं उनका उत्तर देना नहीं चाहता, महोदय, चाहे आप इनके इस कार्य को किसी भी दृष्टि से देखें, चाहे इस दशा में पड़कर इन दोनों को क़ानून के हाथ में ले लेना आपको उचित मालूम हो या अनुचित पर बात यह अवश्य ठीक है। आफ़त की मारी हुई यह बेचारी औरत और उसको जान से चाहने वाला यह अभियुक्त जो बालक से कुछ ही अधिक उम्न का होगा, इन दोनों ने एक साथ किसी दूर देश में जाने का निश्चय कर लिया अब इसके लिए इनको रुपए की आवश्यकता भी थी। परन्तु इनके पास रुपया नहीं था। अब सातवीं जुलाई की घटनाओं के विषय में, जिस दिन चेक पर का अंक बदला गया था, और जिन घटनाओं से मैं यह सिद्ध करना चाहता हूँ कि अभियुक्त इस कार्य के लिए ज़िम्मेदार नहीं था, ये बातें आप गवाहों के मुख से ही सुनेंगे। राबर्ट कोकसन।

[एक बार चारों ओर घूम पड़ता है फिर सादा कागज़ हाथ में लेकर इन्तज़ार करता है]

[कोकसन की पुकार होती है, वह आकर गवाहों के कटघरे में जाता है, टोपी को अपने सामने पकड़े रहता है, उसे हलफ़ दी जाती है।]

फ़्रोम

आपका नाम क्या है?

कोकसन

राबर्ट कोकसन।

फ़्रोम

क्या आप उस आफ़िस के मैनेजिंग क्लर्क हैं जिसमें अभियुक्त नौकर था?

कोकसन

हाँ

फ़्रोम

अभियुक्त उनके यहाँ कितने दिनों से काम कर रहा है?

कोकसन

दो साल से। नहीं–मैं भूल रहा हूँ–हाँ– बस १७ दिन कम दो साल।

फ़्रोम

ठीक है, अच्छा मिहरबानी करके यह बतलाइए, कि दो साल में आपने उसका चालचलन कैसा पाया है?

कोकसन

[मानो इस प्रश्न से कुछ तअज्जुब हुआ हो, वह धीरे से जूरी से कहता है।]

वह बहुत अच्छा और शरीफ़ आदमी था। मैंने कभी उसका कोई दोष नहीं देखा। मुझे तो बड़ा आश्चर्य हुआ था, जब उसने ऐसी हरकत की।

फ़्रोम

क्या कभी उसने ऐसा मौका दिया था, जिससे उसकी ईमानदारी पर आपको संदेह हुआ हो?

कोकसन

नहीं, हमारे दफ़्तर में बेईमानी! नहीं, ऐसा कभी नहीं हुआ।

फ़्रोम

मुझे विश्वास है, मिस्टर कोकसन कि जूरी महोदय गण आपकी बात को ध्यान से सुन रहे हैं।

कोकसन

हर एक रोज़गारी आदमी जानता है कि कारबार में ईमानदारी ही सब कुछ है।

फ़्रोम

क्या आप उसके चाल चलन की तारीफ़ कर सकते हैं?

कोकसन

[जज की ओर मुड़कर]

बेशक! हमेशा से हम लोग सब बहुत अच्छी तरह आनंद पूर्वक रहते थे। उसे सुनकर मेरे तो होश उड़ गए।

फ़्रोम

अच्छा, अब सातवीं जुलाई का दिन याद कीजिए। जिस दिन कि यह चेक बदला गया था। उस दिन उसके चित्त की क्या दशा थी?

कोकसन

[जूरियों से]

यदि मुझसे पूछो, तो मैं कहूँगा, कि उस समय उसका चित्त ठिकाने नहीं था।

जज

[तीव्र स्वर में]

क्या तुम्हारा मतलब है कि वह पागल था?

कोकसन

परेशान था।

जज

ज़रा साफ़-साफ़ कहो।

फ़्रोम

[नम्रता के साथ]

कहिए, मिस्टर कोकसन।

कोकसन

[कुछ चिढ़कर]

मेरी राय में–

[जज की ओर देखकर]

वह जैसी कुछ भी हो। वह कुछ डावांडोल सा था अवश्य जूरीगण मेरे मतलब को समझ गए होंगे।

फ़्रोम

क्या आप कह सकते हैं कि आपने यह राय कैसे क़ायम की,

कोकसन

हाँ! मैं कह सकता हूँ, मैं होटल से खाना मँगवाता हूँ। थोड़ा सा कबाब और आलू। इससे वक्त की बहुत बचत होती है। हाँ जब मेरा खाना आया मिस्टर वाल्टर हो ने मुझे वह चेक भुनाने के लिए दिया। इधर अगर मैं उस समय जाऊँ, तो खाना ठंढा हुआ जाता है, और फिर ठंढा खाना किस काम का। यह तो आप समझ ही सकते हैं। हाँ, तो बस मैं क्लर्कों के कमरे में गया, और दूसरे क्लर्क डेविस को मैंने वह चेक भुना लाने को दे दिया। मैंने उस समय फ़ाल्डर को कमरे में टहलते देखा, मैंने उससे कहा भी था "फ़ाल्डर यह चिड़ियाघर नहीं है।"

फ़्रोम

क्या आपको याद है उसने इसका क्या जवाब दिया?

कोकसन

हाँ, उसने कहा "ईश्वर इसे चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा होता।" मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।

फ़्रोम

और भी आपने कोई विशेष बात देखी?

कोकसन

हाँ, देखा था।

फ़्रोम

वह क्या?

कोकसन

उसके गले का बटन खुला हुआ था। मैं हमेशा चाहता हूँ कि लोग साफ़ और क़ायदे से रहें। मैंने उससे कहा तुम्हारे कालर का बटन खुला है ।

फ़्रोम

उसने आपकी बात का क्या जवाब दिया था।

कोकसन

उसने मुझे घूरकर देखा, यह बेअदबी थी।

जज

तुम्हें घूर कर देखा था? क्या यह एक बहुत मामूली बात नहीं है?

कोकसन

हाँ, लेकिन उसका देखना कुछ ... मैं ठीक बयान नहीं कर सकता एक अजीब तरह का था।

फ़्रोम

क्या आपने कभी ऐसी दृष्टि उसकी आँखों से आगे नहीं देखी थी?

कोकसन

नहीं। अगर देखता, तो मैं मालिकों से उसकी शिकायत कर देता! हम ऐसे झक्की आदमी को अपने यहाँ नहीं रखते।

जज

क्या तुमने इस बात की शिकायत अपने मालिकों से की थी?

कोकसन

[आहिस्ते से]

बिना किसी पक्के सबूत के मैं उनको कष्ट देना उचित नहीं समझता।

फ़्रोम

लेकिन आप पर इस बात का खास असर पड़ा था?

कोकसन

इसमें क्या शक! डेविस अगर यहाँ होता, तो वह भी यही कहता।

फ़्रोम

अफसोस है कि वह यहाँ नहीं है। खैर, अब आप उस दिन की बात याद कर सकते हैं। जिस दिन वह जाल पकड़ा गया। क्या उस दिन कोई ख़ास बात हुई थी? वह १८ तारीख़ थी।

कोकसन

[कान पर हाथ रखकर]

मैं कुछ कम सुनता हूँ।

फ़्रोम

जिस दिन आपको इस जाल की बात मालूम हुई उस दिन उसके पहिले कोई ऐसी घटना हुई थी, जिससे आपका ध्यान आकर्षित हुआ हो?

कोकसन

हाँ, एक औरत।

जज

इस बात से इसका क्या संबन्ध है, मिस्टर फ़्रोम?

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं कोशिश कर रहा हूँ जिससे मालूम हो जाय कि अभियुक्त ने यह काम किस प्रकार की मानसिक अवस्था में किया है।

जज

ठीक है, यह मैं समझता हूँ। लेकिन आप जो पूछ रहे हैं, वह इसके बहुत बाद की बात है।

फ़्रोम

हाँ हुज़ूर! लेकिन यह मेरे कथन को पुष्ट करती है।

जज

ठीक है।

फ़्रोम

आपने क्या कहा? एक औरत? तो क्या वह दस्तर में आई थी?

कोकसन

हाँ!

फ़्रोम

किस लिये?

कोकसन

फ़ाल्डर से मिलने के लिए। वह उस समय मौजूद नहीं था।

फ़्रोम

उसे आपने देखा था?

कोकसन

हाँ! देखा था।

फ़्रोम

क्या वह अकेली आई थी?

कोकसन

[दृढ़ता से]

आप मुझे मुश्किल में डाल रहे हैं। चपरासी ने जो कुछ कहा था वह बयान करते हुए मुझे संकोच होता है।

फ़्रोम

ठीक है, मिस्टर कोकसन, ठीक है!

कोकसन

[अकस्मात् इस भाव से जैसे कहता हो तुम इन बातों को क्या समझो, अभी बच्चे हो, मैं कहता हूँ।]

फिर भी दूसरी तरह समझा देता हूँ। एक आदमी के किसी प्रश्न के उत्तर में उस औरत ने जवाब दिया था, वे मेरे हैं, महाशय।

जज

वे क्या थे? कौन थे?

कोकसन

उसके बच्चे बाहर थे।

जज

आपको कैसे मालूम?

कोकसन

हुज़ूर! मुझसे यह बात न पूछे, वरना मुझे सब माजरा कहना पड़ेगा। यह ठीक नहीं है।

जज

[मुसकिराते हुए]

दफ़्तर के चपरासी ने आप से सब माजरा कह दिया।

कोकसन

जी हाँ! जी हाँ!

फ़्रोम

खैर, मैं जो पूछना चाहता हूँ, मिस्टर कोकसन, वह यह है, कि जब वह औरत मिस्टर फ़ाल्डर से मिलने के लिए आग्रह कर रही थी, उस समय उसने कोई ऐसी बात कही थी, जो आपको खास तौर से याद हो।

कोकसन

[उसकी ओर इस तरह से देखता हुना मानो उसे उस वाक्य को पूरा करने के लिए उत्साहित कर रहा हो]

हाँ, कुछ और कह रहा था।

फ़्रोम

या उसने कुछ नहीं कहा था।

कोकसन

नहीं कहा था। लेकिन मैं इस प्रश्न का उत्तर देना ठीक नहीं समझता।

फ़्रोम

[चिढ़ से मुसकिराकर]

क्या आप जूरी से भी नहीं कह सकते?

कोकसन

जीने मरने का सवाल है।

जूरी का मुखिया

क्या आपका मतलब है कि उस औरत ने यह कहा था?

कोकसन

[सिर हिलाकर]

यह ऐसी बात है जो आप सुनना पसन्द न करेंगे।

फ़्रोम

[बेसब्र होकर]

क्या फ़ाल्डर उस औरत के सामने ही आ गया था?

[कोकसन सिर हिलाता है]

और वह उससे भेंट करके चली गई?

कोकसन

ऐ! मैंने ठीक समझा नहीं, मैंने उसे जाते नहीं देखा।

फ़्रोम

तो क्या वह अब भी वहीं है?

कोकसन

[प्रसन्नता से मुसकिराकर]

नहीं!

फ़्रोम

धन्यवाद, मिस्टर कोकसन।

[वह बैठता है]

क्लीवर

[उठकर]

आपने कहा कि जाल के दिन अभियुक्त कुछ विचलित सा था। उसके मानी क्या, महाशय?

कोकसन

[नर्मी से]

यह आपको खुद समझ लेना चाहिए, आपने कोई ऐसा कुत्ता देखा है–कुत्ता जो अपने मालिक से भटक गया हो–उस समय वह चारों ओर निगाह दौड़ाता है?

क्लीवर

ठीक, मैं भी आँखों की बात पूछनेवाला था! आपने कहा, उसकी दृष्टि कुछ अजीब थी। अजीब से आपका क्या मतलब है? विचित्र या कुछ और?

कोकसन

हाँ, अजीब सी!

क्लीवर

खैर, आपने कहा उसके गले का बटन खुला हुआ था। क्या उस दिन बहुत गर्मी थी?

कोकसन

हाँ, शायद थी तो।

क्लीवर

जब आपने उससे कहा, तो क्या उसने बटन लगा लिया?

कोकसन

हाँ, शायद लगा लिया।

क्लीवर

क्या इससे यह मालूम होता है कि उसका दिमाग़ ठीक नहीं था?

[कोकसन जवाब देने को मुँह खोलकर ही रह जाता है। क्लीवर बैठ जाता है।]

फ़्रोम

[जल्दी से उठकर]

क्या आपने कभी पहिले भी उसे ऐसे अस्तव्यस्त देखा था?

कोकसन

नहीं, वह हमेशा शांत और साफ़ रहता था।

फ़्रोम

बस, उतना काफ़ी है।

[कोकसन जज की ओर घूमकर इस प्रकार से देखता है मानो वकील भूल गया हो कि जज भी कुछ पूछेगा। फिर जब समझ जाता है कि जज कुछ नहीं पूछेगा तो उतर कर जेम्स और वाल्टर के बग़ल में बैठ जाता है।]

फ़्रोम

रुथ हनीविल।

[रुथ हनीविल अदालत में आकर गवाहों के कटघरे में स्थिरभाव से शांत खड़ी होती है, उसका चेहरा मुरझाया हुआ है।

फ़्रोम

नाम क्या है?

रुथ

रुथ हनीविल।

फ़्रोम

उमर?

रुथ

छब्बीस साल।

फ़्रोम

आपकी शादी हो चुकी है? अपने पति के साथ रहती हैं? ज़रा ज़ोर से बोलिए।

रुथ

नहीं, जुलाई से उनके साथ नहीं रहती।

फ़्रोम

आपके बाल बच्चे हैं?

रुथ

जी हाँ! दो हैं।

फ़्रोम

क्या वे आपके साथ रहते हैं?

रुथ

जी हाँ!

फ़्रोम

क्या आप अभियुक्त को जानती हैं?

रुथ

[उसकी ओर देखकर]

हाँ!

फ़्रोम

आपके साथ उसका किस प्रकार का संबंध था?

रुथ

मित्र का।

जज

मित्र!

रुथ

[भोलेपन से]

जी हाँ, प्रेमी!

जज

[तीव्र स्वर से]

किस मानी में?

रुथ

हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं।

जज

ठीक है! लेकिन—

रुथ

[सिर हिलाकर]

जी नहीं, और कुछ नहीं हुआ।

जज

अभी तक कुछ नहीं–हूँ–

[रुथ से फ़ाल्डर की ओर दृष्टि घुमाकर]

ठीक है!

फ़्रोम

आपके पति क्या करते हैं ?

रुथ

मुसाफ़िर हैं।

फ़्रोम

आप दोनों में कैसी पटती है?

रुथ

[सिर हिलाकर]

वह कहने की बात नहीं है।

फ़्रोम

क्या वह तुम्हारे साथ बुरा व्यवहार करते थे या और कोई बात है?

रुथ

हाँ, पहिले बच्चे के बाद से ही।

फ़्रोम

किस प्रकार?

रुथ

यह मैं नहीं कह सकती—हर तरह से।

जज

मुझे डर है, आप यह-सब नहीं कह सकते।

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर इशारा करके]

उन्होंने मुझे अपनी शरण में लेने का वचन दिया। हम दक्षिण अमरीका जानेवाले थे।

फ़्रोम

[जल्दी से]

हाँ, ठीक है। और फिर अड़चन क्या पड़ी?

रुथ

मैं दफ़्तर के बाहर ही खड़ी थी कि वह पकड़ लिए गए। इससे मेरा दिल टूट सा गया।

फ़्रोम

तो आप जान गई थीं कि वह गिरफ्तार कर लिया गया?

रुथ

जी हाँ, मैं उसके बाद दफ़्तर में गई थी, और उन्होंने—

[कोकसन की ओर इशारा करके]

मुझे सब बतला दिया।

फ़्रोम

अच्छा क्या आपको ७ वीं जुलाई की बात याद है?

रुथ

हाँ।

फ़्रोम

क्यों?

रुथ

उसदिन मेरे पति ने मेरा गला घोँट डालना चाहा था।

जज

गला घोँट डालना चाहा था?

रुथ

[सिर नीचा करके]

जी हाँ।

फ़्रोम

हाथ से या किसी—

रुथ

हाँ, मैं किसी प्रकार वहाँ से भाग आई, और अपने मित्र से मिली। उस समय ठीक आठ बजे थे।

जज

सवेरे? तुम्हारे पति उस समय शराब के नशे में तो नहीं थे?

रुथ

हमेशा शराब के नशे में ही नहीं मारते थे।

फ़्रोम

आप उस समय किस हालत में थी?

रुथ

बहुत बुरी हालत में। मेरे कपड़े सब फट रहे थे, और मेरा दम घुट रहा था।

फ़्रोम

क्या आपने अपने मित्र से यह माजरा कहा था?

रुथ

हाँ, कहा था। अब समझती हूँ, अगर न कहती, तो अच्छा होता।

फ़्रोम

क्या यह सुनकर वह आपे से बाहर हो गया था?

रुथ

बुरी तरह!

फ़्रोम

उसने किसी चेक के बारे में कभी आप से कुछ कहा था?

रुथ

कभी नहीं।

फ़्रोम

उसने कभी आपको रुपए भी दिए थे?

रुथ

हाँ, दिए थे।

फ़्रोम

किस दिन?

रुथ

शनिवार के दिन।

फ़्रोम

८ तारीख़ को।

रुथ

मेरे और बच्चों के लिए कपड़े खरीदने और चलने की तैयारी करने के लिए।

फ़्रोम

क्या इससे आपको आश्चर्य हुआ था?

रुथ

किस बात से?

फ़्रोम

कि उसके पास तुम्हें देने को रुपए निकल आए।

रुथ

हाँ, हुआ था। इसलिए कि जब मेरे पति ने मुझे मारा था उस दिन सवेरे मेरे मित्र रोने लगे थे कि उनके पास रुपए नहीं हैं जो वे मुझे कहीं ले चलें। बाद को उन्होंने मुझसे कहा था कि अचानक उनकी क़िस्मत खुल गई है।

फ़्रोम

आपने उनको आखिरी बार कब देखा?

रुथ

जब वे पकड़ लिए गए। यही दिन हमारे रवाना होने का था।

फ़्रोम

अच्छा, क्या आप से उसकी मुलाक़ात शुक्रवार और उस दिन के बीच में और भी कभी हुई थी?

[रुथ सिर हिलाकर क़बूल करती है]

उस समय उसकी क्या हालत थी?

रुथ

गूंगे के समान। कभी कभी तो उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकलता था।

फ़्रोम

मानो कोई असाधारण, बात हो गई हो?

रुथ

हाँ।

फ़्रोम

रंज की, ख़ुशी की, या और किसी बात की?

रुथ

जैसे उनके सिर पर कोई विपत्ति मँडरा रही हो!

फ़्रोम

[कुछ हिचककर]

मैं पूछ सकता हूँ कि तुम्हें उससे बहुत प्रेम था?

रुथ

[सिर नवाकर]

हाँ।

फ़्रोम

क्या वह भी आपसे बहुत प्रेम करता था?

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर देखकर]

हाँ, साहब!

फ़्रोम

अच्छा जी, आपका क्या विचार है? आपको ख़तरे और आफ़त में देखकर वह बदहवास हो गया और उसका अपने ऊपर क़ाबू न रहा या और कुछ?

रुथ

हाँ, यही बात है।

फ़्रोम

भले बुरे का ख़्याल भी जाता रहा।

रुथ

हाँ, कुछ देर के लिए अवश्य।

क्लीवर

[लेहाज़ से]

जब शुक्रवार सात तारीख़ के सबेरे आप इनसे विदा हुईं, उस समय वह होशहवास में थे?

रुथ

जी हाँ!

क्लीवर

धन्यवाद! मुझे आपसे और कुछ नहीं पूछना है।

रुथ

[जूरी की ओर कुछ झुककर]

शायद मैं भी उनके लिए ऐसा ही कर सकती थी, अवश्य कर सकती थी।

जज

ज़रा ठहरो, तुम कहती हो कि तुम्हारा विवाहित जीवन बिलकुल सुख रहित है। दोनों ही का दोष होगा।

फ़्रोम

अच्छा, क्या शुक्रवार को वह बहुत घबड़ाया हुआ था या साधारण दशा में?

रुथ

बहुत ही घबड़ाए हुए। मैं उन्हें अपने पास से जाने न देती थी।

फ़्रोम

क्या आप अब भी उसे चाहती हैं?

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर देखकर]

उन्होंने मेरे लिए अपना सत्यानाश कर लिया।

फ़्रोम

धन्यवाद!

[वह बैठ जाता है, रुथ वहीं पर अविचलित भाव से सीधी खड़ी रहती है।]

क्लीवर

[लेहाज़ से]

जब शुक्रवार सात तारीख़ के सबेरे आप इनसे विदा हुईं, उस समय वह होशहवास में थे?

रुथ

जी हाँ!

क्लीवर

धन्यवाद! मुझे आपसे और कुछ नहीं पूछना है।

रुथ

[जूरी की ओर कुछ झुककर]

शायद मैं भी उनके लिए ऐसा ही कर सकती थी, अवश्य कर सकती थी।

जज

ज़रा ठहरो, तुम कहती हो कि तुम्हारा विवाहित जीवन बिलकुल सुख रहित है। दोनों ही का दोष होगा।

रुथ

मेरा दोष है कि मैं कभी उसकी खुशामद नहीं करती। ऐसे आदमी की खुशामद करेंही क्यों?

जज

तुम उनका कहना नहीं मानती होगी।

रुथ

[प्रश्न को टालकर]

मैं हमेशा उसकी इच्छा के अनुसार काम करती रही हूँ।

जज

मुलज़िम से जान पहिचान होने के पहिले तक?

रुथ

नहीं, बाद को भी।

जज

मैं यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ कि तुम मुलजिम से प्रेम करना निंदा की बात नहीं समझती?

रुथ

[हिचक कर]

कदापि नहीं, मेरे जीवन का यही आधार है।

जज

[कड़ी निगाह से देखकर]

अच्छा, अब तुम जा सकती हो।

[रुथ फ़ाल्डर की ओर देखनी है, फिर धीरे धीरे उतर कर गवाहों में जाकर बैठ जाती है।]

फ़्रोम

मैं अब मुलज़िम को बुलाता हूँ, हुज़ूर!

[फ़ाल्डर कटघरे में से उतर कर गवाहों के कटघरे में जाता है। बाक़ायदा क़दम दिलाई जाती है।]

फ़्रोम

तुम्हारा नाम क्या है?

फ़ाल्डर

विलियम फ़ाल्डर।

फ़्रोम

और उम्र?

फ़ाल्डर

तेईस साल।

फ़्रोम

तुम्हारी शादी नहीं हुई है?

[फ़ाल्डर सिर हिलाकर इनकार करता है।]

फ़्रोम

उस महिला को तुम कितने दिनों से जानते हो?

फ़ाल्डर

छः महीने से।

फ़्रोम

उसने तुम्हारे साथ अपना जो रिश्ता बतलाया है, क्या वह ठीक है?

फ़ाल्डर

हाँ।

फ़्रोम

तो तुम्हें उससे गहरा प्रेम है। क्यों?

फ़ाल्डर

हाँ।

जज

यह जानते हुए भी कि उसकी शादी हो गई है?

फ़ाल्डर

हुज़ूर, मैं लाचार हो गया।

जज

लाचार हो गए?

फ़ाल्डर

हुज़ूर, मैं अपने को सँभाल न सका।

जज

[जज कंधा हिलाता है]

फ़्रोम

तुमसे उससे जान पहिचान कैसे हुई?

फ़ाल्डर

मेरी एक विवाहिता बहिन के ज़रिए।

फ़्रोम

क्या तुम जानते थे कि अपने पति के साथ वह सुखी थी, अथवा नहीं?

फ़ाल्डर

उसे कभी सुख नहीं मिला।

फ़्रोम

क्या तुम उसके पति को जानते थे?

फ़ाल्डर

हाँ, केवल उसी के द्वारा मैंने जाना था वह नरपशु है ।

जज

मैं नहीं चाहता पड़ोस में किसी आदमी को गालियाँ दी जायँ!

फ़्रोम

[सिर झुकाकर]

जैसी हुज़ूर की आज्ञा!

[फ़ाल्डर से]

क्या तुम इस चेक में रद्दोबदल स्वीकार करते हो?

[फ़ाल्डर सिर झुका लेता है]

फ़्रोम

तारीख ७ जुलाई की बात याद करो और जूरी से उस दिन की घटना बयान करो।

फ़ाल्डर

[जूरी की ओर देखकर]

मैं सवेरे अपना नाश्ता कर रहा था जब वह आई। उसके सारे कपड़े फटे हुए थे, वह हाँफ रही थी मानो साँस लेने में उसे कष्ट हो रहा हो। उसके गले पर पुरुष की उँगलियों के निशान थे। उसकी बाँहों में चोट आ गई थी। और खून जम गया था। मैं उसकी यह दशा देखकर डर गया। उसके बाद उसने सब हाल मुझसे कहा। मुझे ऐसा मालूम होने लगा—ऐसा मालूम होने लगा। और वह मैं बयान नहीं कर सकता। मेरे लिए वह असह्य था।

[एकाएक तन कर]

आप उसे देखते, और आपके दिलमें भी उसके लिए मेरी जैसी मुहब्बत होती तो आप भी मेरे ही समान व्याकुल हो जाते।

फ़्रोम

अच्छा!

फ़ाल्डर

वह मेरे पास से चली गई क्योंकि मुझे दफ़्तर जाना था। लो इस भय से मेरे होश उड़े थे कि कहीं वह फिर उस पर अत्याचार न करे। सोच रहा था क्या करूँ। मैं काम न कर सका। रात दिन इसी तरह बीत गया। किसी काम में जी ही न लगता था। सोचने की शक्ति न थी। चुपचाप बैठा न जाता था। ठीक उसी समय डेविस मेरे पास आया, और चेक देकर बोला, फ़ाल्डर जाओ, ज़रा बैंक से रुपए लेते आओ; शायद हवा में फिर आने से तुम्हें कुछ आराम मिले। मालूम होता है तुम्हारी आधी जान निकल गई है। फिर जब वह चेक मेरे हाथ में आया मैं नहीं जानता मुझे क्या हुआ। न जाने क्योंकर मेरे मन में आया कि अगर टी वाई जोड़कर अंक के आगे एक बिंदी लगा दूँ तो रुथ को वहाँ हटा ले जाने के लिए रुपए हो जायँगे। वह बात मेरे दिमाग़ में आई और चली गई। मुझे फिर कुछ याद नहीं कि डेमिस के जाने के बाद मैंने क्या किया। केवल जब केशियर को मैंने चेक दिया, तो उसने पूछा था कि क्या नोट दूँ? तब शायद मुझे मालूम हुआ कि मैंने क्या किया। जब मैं बाहर आया, तो जी में आया किसी मोटर के नीचे दबकर मर जाऊँ। मैंने चाहा रुपयों को फेंक दूँ, लेकिन फिर मुझे उसकी याद आई और मैंने उसे बचाने की ठान ली। चाहे कुछ भी हो, यह सच है कि सफ़र के टिकट के रुपए और जो कुछ मैंने उसको दिए थे सब मिट्टी में मिल गए। लेकिन बाक़ी रुपए मैंने बचा लिए हैं, मैं सोच रहा हूँ मैंने यह काम कैसे किया, क्योंकि यह मेरा स्वभाव नहीं है।

[फ़ाल्डर चुप हो जाता है और हाथ मलता है।]

फ़्रोम

तुम्हारे आफ़िस से बैंक कितनी दूर है?

फ़ाल्डर

कोई पचास गज़ से अधिक न होगा।

फ़्रोम

डेमिस के चले जाने के बाद से तुम्हारे चेक भुनाने में कितना समय लगा होगा?

फ़ाल्डर

चार मिनट से ज़्यादा न लगे होंगे, क्योंकि मैं दौड़ता हुया गया था।

फ़्रोम

क्या चार मिनट के भीतर का हाल तुम्हें याद नहीं?

फ़ाल्डर

जी नहीं, सिवाय इसके कि मैं दौड़ता हुआ गया था।

फ़्रोम

टी वाई और बिन्दी का जोड़ना भी तुम्हें याद नहीं।

फ़ाल्डर

जी नहीं, मैं सच कहता हूँ।

[फ़्रोम बैठता है और क्लीवर उठता है।]

क्लीवर

लेकिन तुम्हें याद है कि तुम दौड़े थे?

फ़ाल्डर

जब मैं बैंक पहुँचा, उस समय मेरा दम फूल रहा था।

क्लीवर

और तुम्हें चेक का बदलना याद नहीं?

फ़ाल्डर

[धीरे से]

जी नहीं।

क्लीवर

मेरे मित्र ने जो विलक्षणता का आवरण डाल रक्खा है उसे हटा देने से क्या वह साधारण जालसाज़ी के सिवा और कुछ हो सकता है? बोलो!

फ़ाल्डर

मैं उस दिन आधा पागल हो रहा था, जनाब।

क्लीवर

ठीक, ठीक! लेकिन तुम इनकार नहीं कर सकते कि टी. वाई. और सिफ़र बाक़ी लिखावट के साथ ऐसा मिल गया था, कि ख़ज़ांची धोखा खा गया।

फ़ाल्डर

संयोग था।

क्लीवर

[खुश होकर]

विचित्र का संयोग था, क्यों? मुसन्ने को तुमने कब बदला?

फ़ाल्डर

[सिर झुकाकर]

बुधवार के दिन।

क्लीवर

क्या वह भी संयोग था?

फ़ाल्डर

[क्षीण स्वर से]

जी नहीं।

क्लीवर

यह काम करने के लिए तुम अवश्य मौका ढूंढते रहे होगे। क्यों?

फ़ाल्डर

[आवाज़ मुश्किल से सुनाई पड़ती है]

हाँ।

क्लीवर

तुम यह तो नहीं कहते, कि काम करते वक्त़ भी तुम बहुत उत्तेजित थे?

फ़ाल्डर

मेरे सिर पर भूत सवार था।

क्लीवर

पकड़े जाने के डर से?

फ़ाल्डर

[बहुत धीरे]

हाँ!

जज

क्या तुमने यह नहीं सोचा कि अपने मालिकों से सारी बातें कहकर रुपए लौटा देना ही तुम्हारे लिए अच्छा होगा?

फ़ाल्डर

मैं डरता था।

[सब चुप हो जाते हैं]

क्लीवर

निःसंदेह तुम्हारी इच्छा थी कि तुम इसके बाद उस औरत को भगा ले जाओगे।

फ़ाल्डर

जब मुझे मालूम हुआ कि मैंने ऐसा काम कर डाला, तो उसका उपयोग न करना गुनाह बेलज्ज़त था। इससे तो कहीं अच्छा नदी में डूब कर मर जाना था।

क्लीवर

तुम जानते थे कि क्लर्क डेविस इंगलैंड से जा रहा है। जब तुमने चेक बदला था तब क्या तुम्हें नहीं सूझा था कि सब का शक डेविस पर होगा?

फ़ाल्डर

मैंने पल भर के भीतर सब काम किया। हाँ, बाद को यह बात मेरी समझ में आई थी।

क्लीवर

और फिर भी तुम से अपनी ग़लती जाहिर न की गई?

फ़ाल्डर

[उदासी से]

मैंने सोचा था वहाँ पहुँच कर मैं सब कुछ लिख भेजूंगा। मेरी इच्छा रुपए को चुका देने की थी।

जज

लेकिन इसी बीच में तुम्हारा निर्दोषी मित्र क्लर्क गिरफ्तार हो सकता था।

फ़ाल्डर

मैं जानता था, कि वह बहुत दूर है, हुज़ूर। मैंने सोचा था कि वक्त़ मिल जायगा। इतनी जल्दी बात ज़ाहिर हो जायगी यह मुझे ख़याल ही नहीं था।

फ़्रोम

शायद हुज़ूर को याद दिलाना बेजा न होगा, चेक बुक मिस्टर वाल्टर हो के पास डेविस के चले जाने के बाद तक था। अगर यह जालसाज़ी एक दिन बाद पकड़ी जाती, तो फ़ाल्डर भी चला गया होता। इससे शक भी फ़ाल्डर पर ही होता न कि डेविस पर।

जज

सवाल यह है कि मुलज़िम को यह बात मालूम थी या नहीं कि शक उसपर होगा न कि डेविस पर?

[फ़ाल्डर से तीव्र स्वर में]

क्या तुम जानते थे चेक मिस्टर वाल्टर हो के पास डेविस के चले जाने के बाद तक था?

फ़ाल्डर

मैं—मैं—मैंने सोचा था—वह—

जज

देखो सच-सच बोलो, हाँ या नहीं।

फ़ाल्डर

[बहुत आहिस्ते]

नहीं हुज़ूर यह, मैं नहीं जानता था।

जज

यहाँ तुम्हारी बात कट जाती है, मिस्टर फ़्रोम।

[फ़्रोम सिर झुकाता है]

क्लीवर

क्या ऐसी सनक तुम्हें पहले भी कभी सवार हुई थी?

फ़ाल्डर

[कातर भाव से]

जी नहीं।

क्लीवर

तीसरे पहर तुम इतने स्वस्थ हो गए थे कि फिर तुम उस समय पूरे तौर से काम पर वापस अपना काम करने के लिए गए।

फ़ाल्डर

हाँ, मुझे रुपया लेकर आफ़िस से वापस जाना था।

क्लीवर

तुम्हारा मतलब नौ पाउंड से है। तुम्हारा होश तो इतना ठीक था। कि तुम्हें यह खूब अच्छी तरह याद थी फिर भी तुम कहते हो कि तुम्हें चेक के अंक बदलने की बात याद नहीं।

फ़ाल्डर

अगर मैं उस समय पागल न होता, तो मैं कभी भी यह काम करने की हिम्मत न करता।

फ़्रोम

[उठकर]

क्या वापस जाने के पहिले तुमने अपना खाना खाया था?

फ़ाल्डर

नहीं, मैंने दिन भर कुछ नहीं खाया था। और रात को नींद भी मुझे नहीं आई।

फ़्रोम

अच्छा, डेविस के जाने और नोट भुनाने के बीच जो चार मिनट बीते थे, उसकी बात क्या तुम्हें बिलकुल याद नहीं है?

फ़ाल्डर

[एक मिनट ठहरकर]

मुझे केवल यह याद है कि उस समय मिस्टर कोकसन का चेहरा मुझे याद आ रहा था।

फ़्रोम

मिस्टर कोकसन का चेहरा? उससे और तुम्हारे काम से क्या संबंध?

फ़ाल्डर

नहीं, महाशय।

फ़्रोम

क्या तुम्हें आफ़िस में जाने के पहले भी वही बात याद थी?

फ़ाल्डर

हाँ! उस समय बाहर दौड़ते समय भी।

फ़्रोम

और क्या उस समय तक ही याद था जब ख़ज़ांची ने तुम से कहा "क्या नोट लेंगे"?

फ़ाल्डर

हाँ, उसके बाद मुझे होश आ गया। लेकिन तब सोचना बेकार था।

फ़्रोम

धन्यवाद! बस सफ़ाई के सब गवाह गुज़र चुके।

[जज सिर हिलाता है। फ़ाल्डर अपनी जगह पर वापस आता है।]

फ़्रोम

[काग़ज़ वगैरह सँभालकर]

हुज़ूर और जूरी गण, मेरे मित्र ने अपनी जिरह में इस सफाई का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की है जो इस मामले में हमारी तरफ से पेश की गई है। मैं जानता हूँ कि जो गवाह पेश किए गए हैं उससे अगर आपके दिलमें यह यक़ीन न हो गया हो कि मुलज़िम ने यह काम केवल एक क्षणिक दुर्बलता के कारण किया है, और दरअसल उसको इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं कहा जा सकता तो मेरे कथन का भी कुछ असर आप पर नहीं पड़ेगा। उसके हृदय में जो भयानक उथल पुथल था, उसने उसकी मानसिक और नैतिक शक्तियों को ऐसा कुचल डाला कि उसे एक क्षणिक पागलपन कहा जा सकता है। मेरे मित्र ने कहा है मैंने इस मामले पर विलक्षणता का आवरण डालने की कोशिश की है। महोदय गण, मैंने ऐसी कोशिश नहीं की। मैंने केवल जीवन का वह आधार दिखाया है—अस्थिर जीवन का, जो प्रत्येक पाप का कारण होता है, चाहे मेरे मित्र उसकी कितनी हँसी क्यों न उड़ाएँ। महाशयगण, हम इस समय एक ऐसे सभ्य युग में पहुँच गए हैं कि किसी प्रकार के भीषण अत्याचार का दृश्य हमारे दिल पर एक खास असर डाले बिना नहीं रहता, चाहे हमारे साथ उस मामले का कुछ भी संबंध न हो। पर अगर हम ऐसा अत्याचार एक औरत पर होते देखें, और वह ऐसी औरत हो जिसे हम प्यार करते हैं, तब क्या होगा? सोचिए, यदि मुलज़िम की दशा में आप होते, तो किस प्रकार का भाव आपके मनमें उत्पन्न होता? इस बात को सोचिए और तब उसके मुँह की ओर देखिए। वह उनके फिक्रों में और बेहयाओं में नहीं है जो उस औरत पर जिसे वह प्यार करता है पैशाचिक अत्याचार के चिह्न देखें और विचलित न हों। हाँ महाशयगण, देखिए उसके मुख पर दृढ़ता नहीं है। और न उसके चेहरे से पाप ही झलक रही है। यह एक ऐसा साधारण चेहरा है जो बड़ी आसानी से अपने भावों के वशीभूत हो जाता है। उसकी आँखों का हाल भी आपने सुना है। मेरे मित्र चाहे 'अजीब' शब्द पर हँस उठे, लेकिन दरअसल ऐसी अवस्थाओं में मनुष्यों की आँखों में जो चंचलता आ जाती है वह सिवाय "अजीब" के और कुछ नहीं कही जा सकती। याद रखिए, मैं यह नहीं कहता कि उसकी मानसिक दुर्बलता क्षणिक अंधकार की झलक मात्र नहीं थी जिसमें धर्म और अधर्म का ज्ञान लुप्त हो गया लेकिन मैं यह कहता हूँ कि जिस तरह कोई मनुष्य ऐसी परिस्थिति में आत्महत्या कर लेने पर आत्म हत्या के दोष से मुक्त हो जाता है, उसी भाँति वह इस अव्यवस्थित दशा में दूसरे अपराध भी कर सकता है, और करता है। इस कारण उसको अपराधी न कहकर एक मरीज कहना चाहिए और उसके इलाज का प्रबंध भी करना चाहिए। मैं मानता हूँ इस तर्क का दुरुपयोग किया जा सकता है। परिस्थिति को देखकर ही इसका निर्णय करना चाहिए। लेकिन यह एक ऐसा भावना है, जिसमें आपको सन्देह का फल अपराधी को देना चाहिए। आपने सुना होगा मैंने अपराधी से प्रश्न किया था कि उसने उन अभागे चार मिनट में क्या सोचा था। उसने क्या जवाब दिया? "मुझे मिस्टर कोकसन का चेहरा याद आ रहा था"। महाशयगण, कोई आदमी बनावटी तौर से ऐसा जबाब नहीं दे सकता। इसपर सत्य की एक गम्भीर छाप लगी हुई है। जो औरत आज अपनी जान को भी जोखिम में डालकर यहाँ गवाही देने आई है, उसके साथ अपराधी का जो प्रेम है, चाहे उचित हो या न हो, वह भी आप से अब छिपा नहीं है। जिस दिन उसने यह काम किया था उस दिन वह कितना घबड़ाया हुआ था इसमें तो कोई सन्देह करना असम्भव है। इस प्रकार के दुर्बल और भाव प्रबल आदमी का ऐसी दशा में कितना पतन हो सकता है यह हम सब को अच्छी तरह मालूम है। यह सारा काम केवल एक मिनट में हुआ। बाक़ी काम ठीक वैसे ही हुआ, जैसे छुरा भोंकने के बाद आदमी मर जाता है या सुराही उलट देने से पानी गिर पड़ता है। आपको यह बतलाने की ज़रूरत नहीं। जीवन में कोई बात इतना दुखदाई नहीं है जितनी यह कि जो हो चुका वह मेटा नहीं जा सकता। एक बार जब चेक पर अंक बदल दिया गया और उसके रुपये मिल गए जो चार भयंकर मिनटों का काम था, तो चुप साध लेने के सिवा और क्या किया जा सकता था? लेकिन उन चार मिनटों में यह आदमी जो आपके सामने खड़ा है उस पिंजड़े में आकर फंस गया जो आदमी को बेदाग़ नहीं छोड़ता। उसके बाद के काम—उसका अपराध स्वीकार न करना, मुसन्ने को बदलना, भागने की तैयारी करना—इनसे यह नहीं सिद्ध होता कि उसने दृढ़ पापमय संकल्प से ये काम किए, जो मूल आचरण के फलमात्र थे। बल्कि इनसे केवल उसके चरित्र की दुर्बलता सिद्ध होती है। और यही उसकी विपत्ति का कारण है। लेकिन क्या हमें केवल इस लिये उसे पतित कर देना चाहिए कि वह जन्म और शिक्षा से दुर्बल चरित्र है। महोदय गण, इस अपराधी की तरह हज़ारों आदमी हमारे क़ानून की चक्की में रोज़ पिसकर मर रहे हैं। केवल इस लिये कि हममें वह इनसानियत की आँख नहीं है जिससे हम देखें कि वे अपराधी नहीं केवल मरीज़ हैं। यदि मुलज़िम का अपराध साबित हो गया और उसके साथ पाप में सने प्राणियों का सा व्यवहार किया गया तो वह सचमुच ही एक अपराधी बन जायगा, जैसा हम अपने अनुभव से कह सकते हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि ऐसी व्यवस्था न दीजिए जो उसे जेल में ले जाकर हमेशा के लिए दाग़ लगा दे। महोदयगण! न्याय एक यंत्र है जिसे यदि कोई चला दे तो फिर वह अपने ही आप चलता रहता है। क्या हम इस व्यक्ति को दरअसल उस मशीन के नीचे दबा कर चकना चूर कर देंगे? और वह इस लिये कि दुर्बलता के वशीभूत होकर उसने एक भूल की है। क्या आप उसे उन अभागे मल्लाहों का एक सदस्य बनाना चाहते हैं जो उन अँधेरे और भीषण जहाज़ों को चलाते हैं जिन्हें हम जेलख़ाना कहते हैं? क्या उसे वह यात्रा शुरू करनी होगी जहाँ से शायद ही कोई लौटता हो? या फिर उसे एक बार समय देना चाहिए कि सुबह का खोया हुआ शाम को भी लौट आता है, या नहीं? मैं आप लोगों से अर्ज़ करता हूँ कि उस नौजवान की जिन्दगी को बरबाद न कीजिए। यह सारी बरबादी उन्हीं चार मिन्टों का फल है। घोर सर्वनाश उसकी ओर मुंह खोले खड़ा है। अभी यह बच सकता है। आज आप उसे अपराधी की तरह सज़ा दे दीजिए और मैं आप से कह देता हूँ कि वह हमेशा के लिए हाथ से निकल जायगा। न तो उसका चेहरा और न उसका रंग ढंग यह कह सकता है कि वह उस अग्नि-परीक्षा से बच निकलेगा, उसके अपराध को एक पलड़े में तौलिए और दूसरे पर उसके उन कष्टों को तौलिए जो वह पा चुका है। आपको मालूम होगा कि कष्टों का पलड़ा दस गुना अधिक भारी हो गया। दो महीने से वह हवालात में सड़ रहा है। क्या सम्भव है वह इसे भूल जायगा? इस दो महीने में उसके हृदय को जो दुःख हुआ होगा उसे सोचिए। आप यकीन रखिए कि उसकी सज़ा काफी हो गई। न्याय की भीषण चक्की इसको तभी से पीसने लगी है जब से इसका गिरफ़्तार होना तय हो चुका था। यह उसकी सजा की दूसरी मंजिल चला रही है। यदि आप तीसरी पर इसे ले जानेकी चेष्टा करेंगे तो मैं आगे कुछ नहीं कहना चाहता।

[अपनी उँगली और अँगूठे को मिलाकर एक दायरा बनाता है, फिर हाथ को नीचा कर लेता है और बैठ जाता है।]

[जूरी एक दूसरे का मुँह देखकर सिर हिलाते हैं, फिर सरकारी वकील की ओर देखते हैं। वह उठता है और अपनी आँखें ऐसी जगह गढ़ा कर जिससे उसे कुछ सुविधा मालूम पड़ती है बार बार आँखें फेर कर जूरी की ओर देखता जाता है।]

क्लीवर

हुजूर!

[पंजे के बल खड़े होकर]

और जूरी गण! इस मामले की घटनाओं पर कोई आपत्ति नहीं की गई और मेरे मित्र क्षमा करें, सफाई जो दी गई है वह इतनी कमज़ोर है कि मैं फिर गवाहों के बयान की आलोचना करके आपका समय नहीं खराब करना चाहता। सफ़ाई में क्षणिक पागलपन की दलील पेश की गई है, और क्यों यह बे सिर की सफ़ाई पेश की गई? शायद आप मुझे माफ़ करें, मैं आप से ज्यादा अच्छी तरह जानता हूँ। ऐसी सफ़ाई को बे सिर पैर के सिवा और क्या कहा जाय? क़सूर को इक़बाल कर लेना ही दूसरा रास्ता था। महोदयगण! अगर अपराध स्वीकार कर लिया गया होता, तो मेरे मित्र को हुज़ूर की सीधी सादी दया की प्रार्थना करने के सिवा और कोई उपाय न था। परन्तु उन्होंने ऐसा न करके इस मामले की कतरब्योंत की है, और यह सफ़ाई गढ़ डाली है जिससे उन्हें त्रिया-चरित्र की बानगी दिखाने एक स्त्री को गवाह के कटघरे में खड़ा करने और इसे एक करुणप्रेम के रंग में रंगने का अवसर दे दिया है। मैं अपने मित्र की इस सूझ बूझ की तारीफ़ करता हूँ। इससे उन्होंने किसी हद तक क़ानून से बचने की कोशिश की है। शायद और किसी तरह वह प्रेरणा और चिन्ता के सारे क़िस्से को अदालत के सामने इस प्रकार न खड़ा कर सकते। लेकिन महोदयगण! एक बार जब आपको असली बात मालूम हो गई, तब आप सारी बात जान गए।

[सहृदय उपेक्षा के साथ]

अच्छा, इस पागलपन की दलील को देखिए। पागलपन के सिवा हम इसे कुछ नहीं कह सकते। आपने उस औरत का बयान सुना है। वह क़ैदी के हक में गवाही देगी इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं। फिर भी उसने क्या कहा था, आपको मालूम है? उसने कहा—जब उसने कैदी से विदा ली थी उस समय वह किसी तरह अव्यवस्थित न था। अगर चिन्ताओं ने उसे अशान्त कर दिया था तो वही एक ऐसा वक्त था, जब उसके मन की अशान्ति प्रगट होती। सफ़ाई के दूसरे गवाह मेनेजिंग क्लर्क की गवाही भी आपने सुनी जो उन्होंने कैदी के हक़ में दी थी। कुछ कठिनाई के बाद मैं उससे क़बूल करा पाया हूँ कि डेविस को चेक देते वक्त़ मुलज़िम कुछ अस्थिर (उनका विचार ऐसा मालूम होता था कि आप इस शब्दका आशय समझ जायँगे और यकीन है, महाशयगण आप समझ गए होंगे) होने पर भी पागल नहीं था। अपने मित्र की भाँति मुझे भी दुःख है कि डेविस यहाँ नहीं है। लेकिन मुलज़िम ने वे शब्द कहे हैं जो डेविस ने उन्हें चेक देते समय कहे थे। अवश्य ही वह इस समय पागल नहीं था, नहीं तो वह इन शब्दों को ज़रूर भूल जाता। ख़ज़ांची ने भी कहा है कि चेक भुनाते वक्त़ उसके होश हवास बिलकुल ठीक थे। इस लिये इस सफ़ाई का मतलब यह हुआ कि एक आदमी जो एक बजकर १० मिनट पर स्वस्थ था और एक बजकर १५ मिनट पर भी ठीक था वह अपने को इस समय के बीच में केवल अपराध की सजा पाने के डर से पागल कह रहा है। महाशय, यह दलील इतनी लचर है कि मैं ज्यादा बकवाद करके आपका समय नष्ट नहीं करना चाहता। आप स्वयं निश्चय कर सकते हैं कि उसका क्या मूल्य है। मित्र ने यह आधार लेकर जवानी, प्रलोभन, आदि के विषय में बहुत कुछ कहा है और बड़े सुन्दर शब्दों में कहा है। परन्तु मैं केवल इतना ही याद दिलाता हूँ कि मुलज़िम ने जो अपराध किया है क़ानून की दृष्टि से बहुत भारी अपराध है। साथ ही इस मामले में कुछ और भी विचार करने की बात है। जैसे मुलज़िम का अपने साथ के निर्दोषी क्लर्क पर शक करवाने की कोशिश करना, दूसरे की ब्याही हुई औरत के साथ रिश्ता रखना, इत्यादि। इन सब बातों से आपके लिए इस सफ़ाई को अधिक महत्त्व देना कठिन हो जायगा। सारांश यह कि मैं आपसे मुलजिम को दोषी स्वीकार करने की प्रार्थना करता हूँ, जो इन सारी बातों को देखते हुए आपके लिए लाज़िम हो गई है।

[दृष्टि को जज और जूरी की ओर से फेरकर, फ़ाल्डर की ओर घुमाता है, फिर बैठ जाता है।]

जज

[जूरी की ओर कुछ झुककर और हाकिमाना अंदाज़ से]

जूरीगण, आपने गवाहों के बयान और उनपर जिरह सुन ली है। मेरा काम केवल यही है कि मैं आपके सामने वह तनक़ीहें रख दूं जिनपर आपको विचार करना है। यह बात तो स्वीकार करही ली गई है कि चेक और मुसन्ने के अंकों को मुलज़िम ने बदला। अब सफ़ाई यह दी गई है कि मुलज़िम ने जब यह अपराध किया, उस समय वह अपने होश हवास में न था। जहाँ तक पागलपन की बात है आपने मुलज़िम का सारा किस्सा और दूसरे गवाहों के बयान भी सुन लिए। अगर इन बातों से आप इस नतीजे पर पहुँचें कि जाल करते वक्त़ मुलजिम पागल था तो आप यही कह सकते हैं कि मुलज़िम अपराधी है लेकिन वह पागल था। और यदि आपको यह विश्वास हो कि मुलज़िम का दिमाग ठीक था (याद रखिए पूरा पागल होना ज़रूरी है) तो आप उसे अपराधी ठहरायेंगे। उसके मन की दशा के विषय में जो शहादते हैं, उनपर विचार करते समय आप बहुत होशियारी से जालसाज़ी के पहिले और पीछे मुलज़िम के रंग ढंग और चाल ढाल पर ध्यान रखें। खुद मुलज़िम की, उस औरत की, कोकसन की, और केशियर की शहादतों से क्या सिद्ध होता है? इस विषय में मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि मुलज़िम ने कबूल किया है कि टी वाई और सिफ़र (ty and the nought) को जोड़ने की बात चेक हाथ में आते ही उसके मन में आ गई थी। मुसन्ने के बदलने के बाद उसका आचरण कैसा था इसे भी ध्यान में रखिए। इन सब बातों का पूर्वनिश्चय के प्रश्न से जो सम्बन्ध है वह खुला हुआ है। और पूर्वनिश्चय स्वस्थ दशा में ही हो सकता है। उसकी उम्र और चित्त की चञ्चलता इत्यादि बातों पर विचार करके आपको उसके साथ रियायत करने की जरूरत नहीं। आप यदि उसे उस दोषी के साथ पागल निर्णय करें, तो यह सोच देखें कि वह पागलपन उसका उस लायक था या नहीं कि उस वक्त वह पागलख़ाने भेज दिया जाता।

[वह रुक जाता है, फिर जूरी के मेम्बरों को दुविधे में पड़ा हुआ देखकर कहता है।]

अब आप चाहें तो अलग जा सकते हैं।

[जज के पीछे के दरवाजे से जूरी चले जाते हैं, जज कुछ क़ाग़ज़ों को सिर झुकाकर देखने लगता है, फ़ाल्डर अपने कटघरे से झुककर अपने वकील से घबड़ाए हुए स्वर में रुथ की ओर संकेत कर कुछ बात करता है। वकील उसे सुनकर फ़्रोम से कहता है।]

फ़्रोम

[उठकर]

हुज़ूर, मुलज़िम ने मुझे आपसे यह अर्ज़ करने को कहा है कि आप कृपा करके रिपोर्टरों से कह दें कि वे अखबार में उस गवाह औरत का नाम इस मामले की कार्यवाही की रिपोर्ट में न छापें। शायद हुज़ूर समझ सकते हैं कि नतीजा उसके लिए कितना बुरा हो सकता है।

जज

[चोट करते हुए हलकी सी मुसकिराहट के साथ]

लेकिन मिस्टर फ़्रोम, आप इन बातों को जानते हुए भी उसे यहाँ लाए हैं न?

जज

गवाह के नाम को छुपा रखना मेरे नियम के विरुद्ध है।

[फ़ाल्डर की ओर देखता है जो हाथ मलता रहता है, फिर रुथ की ओर देखता है, जो स्थिर बैठी हुई फ़ाल्डर की ओर देखती है।]

मैं आपकी बात पर विचार करूँगा। मैं सोचूँगा, क्योंकि मुझे यह भी देखना है कि यह औरत कहीं क़ैदी के लिए झूठी गवाही देने न आई हो।

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं सच—

जज

ठीक है, मैं अभी कोई ऐसी बात नहीं कह रहा हूँ। मिस्टर फ़्रोम अभी इस बात को छोड़िए।

[बात ख़तम होते ही जूरी लौटते हैं और अपनी जगह पर बैठते हैं।]

अहलमद

जूरीगण, क्या आप सब की राय मिल गई है?

फ़ोरमैन

हाँ, मिल गई है।

अहलमद

क्या आपने उसे दोषी निर्णय किया है, या दोषी के साथ पागल भी?

फ़ोरमैन

दोषी।

[जज प्रसन्न होकर सिर हिलाता है, फिर क़ागज़ों को हिलाकर फ़ाल्डर की ओर देखता है जो चुपचाप स्थिर भाव से बैठा है।]

फ़्रोम

[उठकर]

हुज़ूर का हुक्म हो तो आप से उसकी सजा कुछ कम करने के लिए अर्ज़ करूँ। जूरी से तो मैं उसकी उम्र और यह काम करते समय उसके मन की चंचलता के विषय में जो कुछ कहना था कह चुका। उसके उपरान्त हुज़ूर से कुछ और कहने की ज़रूरत मैं नहीं समझता।

जज

मेरा तो ऐसा ही ख़याल है।

फ़्रोम

अगर हुज़ूर ऐसा फ़रमाते हैं, तो मैं केवल इतना ही अर्ज़ करूँगा कि हुज़ूर सज़ा देते वक्त मेरी अर्ज़ का ख़याल रक्खें।

जज

[क्लर्क से]

क़ैदी को आवाज दो।

क्लर्क

मुलज़िम! सुनो तुम्हारे ऊपर जालसाज़ी करने का अपराध लगाया गया है। क्या तुम्हें इस विषय में कुछ कहना है कि अदालत से तुम्हें क़ानून के मुताबिक सज़ा क्यों न दी जाय?

[फ़ाल्डर सिर हिलाकर 'नहीं' कहता है।]

जज

विलियम फ़ाल्डर, तुम्हारा विचार अच्छी तरह किया गया और तुम्हारे ऊपर जालसाज़ी का अपराध सिद्ध हुआ है, और मेरी राय में ठीक सिद्ध हुआ है।

[कुछ ठहर कर क़ाग़ज़ देखता है और कहता है]

तुम्हारी ओर से यह सफ़ाई दी गई थी कि यह अपराध करते समय तुम अव्यवस्थित थे, और इस लिये इस काम के लिए तुम ज़िम्मेदार नहीं कहे जा सकते। मैं ख़याल करता हूँ कि यह केवल उस प्रलोभन का प्रत्यक्ष रूप दिखाने की एक चाल थी, जिसने तुम्हें चंचल कर दिया, क्योंकि तुम्हारे विचार के प्रारम्भ से ही तुम्हारे वकील ने एक प्रकार से केवल दया की प्रार्थना की है। यह सफ़ाई पेश करने से इतना ज़रूर हुआ कि उन्हें ऐसी गवाहियाँ दिलाने का अवसर मिला जो उस विचार से ध्यान देने योग्य हैं। यह कार्यवाही उचित थी या नहीं थी, दूसरी बात है। उन्होंने तुम्हारे बारे में कहा है कि तुम्हें अपराधी नहीं, मरीज़ समझना चाहिए। और उनकी इस दलील का जिसका अन्त दया की एक मर्मस्पर्शी प्रार्थना पर हुआ, तत्त्व क्या है? यही कि हमारी न्यायपद्धति दूषित है और पापवृत्ति को सुधारने के बदले उसको पुष्ट और पूर्ण करती है। इस प्रार्थना को कितना महत्त्व देना चाहिए इस विषय में कई बातें विचारणीय हैं। पहले तो तुम्हारे अपराध की गुरुता है। किस चालाकी के साथ तुमने मुसन्ने को बदला; किस कमीनापन से एक निर्दोषी के सिर अपराध मढ़ने की कोशिश की। और यह मेरे खयाल में एक बहुत बड़ी बात है। और सब से बड़ी बात यह है कि मुझे दूसरों को तुम्हारा उदाहरण दिखाकर ऐसे कामों से रोकना है। दूसरी ओर यह भी विचार करना है कि तुम कम उम्र हो। इसके पहिले तुम्हारा चाल चलन हमेशा अच्छा रहा है। और जैसा कि तुम्हारे और तुम्हारे गवाहों के बयान से मालूम होता है कि तुम यह काम करते वक्त कई कारणों से कुछ अस्थिरचित्त भी थे। तुम्हारे प्रति और समाज के प्रति जो मेरा कर्तव्य है उसके अन्दर रहते हुए मेरी पूरी इच्छा है कि मैं तुमपर दया का व्यवहार करूँ। और यह मुझे इन बातों की याद दिलाता है जिनके आधार पर ही मुआमले का विचार किया जा सकता है। तुम वकील के दफ़्तर में क्लर्क का नाम करते हो यह इस मामले में एक बड़ी भारी बात है। यह तुम किसी प्रकार भी नहीं कह सकते कि तुम्हें अपराध की भीषणता या उसके दण्ड का पूरा ज्ञान नहीं था। हाँ, यह कहा गया है, कि तुम्हारे मनोभावों ने तुम्हें अस्थिर बना दिया था। हनीविल से जो तुम्हारा रिश्ता था उसका वृत्तान्त आज कहा गया है, उसी वृत्तान्त पर सफ़ाई और दयाप्रार्थना दोनों ही का आधार रक्खा गया है। दया की प्रार्थना केवल उसीपर से की गई है। अच्छा, अब वह वृत्तान्त क्या है? तुम एक युवक हो और वह एक विवाहिता युवती है, यद्यपि उसका विवाहित जीवन दुखी है। तुम दोनों का आपस में प्रेम हो गया। तुम दोनों कहते हो कि वह सम्बन्ध अपवित्र और कलुषित नहीं था। मैं नहीं जानता कि यह बात कहाँ तक सच है। फिर भी तुम स्वीकार करते हो कि शीघ्र ही वह होनेवाला था। तुम्हारे वकील ने इस बात पर पर्दा डालने के लिए यह कहा है कि उस औरत की अवस्था बड़ी ही करुण थी। मैं अपनी राय इस विषय में नहीं देना चाहता। मैं इतना जानता हूँ कि वह एक विवाहिता स्त्री है, और यह खुली हुई बात है कि तुमने यह अपराध एक भ्रष्ट संकल्प को पूरा करने के लिए किया। इच्छा होने पर भी मैं दयाप्रार्थना का अनुमोदन नहीं कर सकता, जिसका आधार सदाचार के विरुद्ध है। तुम्हारे वकील ने यह भी कहा है कि तुमको और अधिक क़ैद की सज़ा देना तुम्हारे प्रति अविचार होगा। मैं उनके इस कथन से सहमत नहीं हूँ। क़ानून जो है वहीं रहेगा। क़ानून एक विशाल भवन है जो हम सब की रक्षा करता है, और जिसका हरएक पत्थर दूसरे पत्थर पर अवलम्बित है। मैं केवल इसका व्यवहार करनेवाला हूँ। तुमने जो अपराध किया है वह बड़ा भारी है। इस हालत में कर्तव्य की ओर दृष्टि रख कर मेरे हृदय में तुम्हारे प्रति जो दया की इच्छा है, वह मैं पूरी नहीं कर सकता। तुम्हें तीन साल की सख़्त सज़ा भोगनी पड़ेगी।

[फ़ाल्डर जो अब तक व्यग्रता के साथ जज की वक्तृता को सुन रहा था, अपनी छाती पर सिर झुका लेता है। जैसे ही वार्डर उसे ले जाने लगते हैं रुथ अपनी जगह पर उठ खड़ी होती है। अदालत में गोल माल होने लगता है।]

जज

[रिपोर्टरों से]

प्रेस के महोदयगण, आज के मामले में जिस औरत ने गवाही दी है उसका नाम क़ागज़ों में जाहिर न हो।

[रिपोर्टर लोग सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं।]

जज

[रुथ से जो उस ओर देख रही है]

तुम समझ गई न? तुम्हारा नाम जाहिर न होगा।

कोकसन

[रुथ की आस्तीन पकड़कर]

जज आपसे कुछ कह रहे हैं।

[रुथ जज की ओर देखती है और चली जाती है।]

जज

आज मैं अभी और बैठूँगा। दूसरा मामला पेश करो। अहलमद जॉन बूली को आवाज़ दो।

अहलमद

[वार्डर को]

जॉन बूली वाले गवाह हाज़िर हैं?

[आवाज़ देता है—जॉन बूली वाले गवाह हाज़िर हैं?]

[परदा गिरता है।]