पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/११०

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रतें थीं, वे पूर्ण रूप से नष्ट हो गई हैं। पर इन्हें नष्ट किसने किया था ? मेरा उत्तर है कि कुशन शासन ने उन्हें नष्ट कर डाला था। एक स्थान पर इस बात का उल्लेख मिलता है कि पवित्र अग्नि के जितने मंदिर थे, वे सब एक प्रारंभिक कुशन ने नष्ट कर डाले थे और उनके स्थान पर बौद्ध मंदिर बनाए थे । एक कुशन क्षत्रप की लिखित नीति से हमें पता चलता है कि उसने ब्राह्मणों और सनातनी जातियों का दमन किया था और सारी प्रजा को ब्राह्मणों से हीन या रहित कर दिया था। सन् ७८ ई. में इस देश में जो शक शासन प्रचलित था, उसकी विशेषता का उल्लेख अलबरूनी ने. इस प्रकार किया है- “यहाँ जिस शक का उल्लेख है, उसने आर्यावर्त में अपने राज्य के मध्य में अपनी राजधानी बनाकर सिंधु से समुद्र तक के प्रदेश पर अत्याचार किया था। उसने हिंदुओं को आज्ञा दे दी थी कि वे अपने आपको शक ही समझे और शक ही कहें; इसके अतिरिक्त अपने आपको और कुछ न समझ या न कहें ।" (२, ६) गर्ग संहिता में भी प्रायः इसी प्रकार की बात कही गई है- "शकों का राजा बहुत ही लोभी, शक्तिशाली और पापी था। 'इन भीषण और असंख्य शकों ने प्रजा का स्वरूप नष्ट कर दिया था और उनके आचरण भ्रष्ट कर दिए थे।” (J. B. O. R. S. खंड १४, पृ० ४०४ और ४०८ । ) गुणाढ्य ने भी ईसवी पहली शताब्दी में उन म्लेच्छों और विदेशियों के कार्यों का वर्णन किया है जो विक्रमादित्य शालिवाहन द्वारा परास्त हुए थे (J. B. O. R. S. खंड १६, पृ० २६६)। ........... १. J. B. O. R.S.१८-५ ।