( ५६ ) ऐरक के नाम पर पड़ा है जो नाग था और एरन के सिक्कों पर नाग या सर्प की मूर्ति मिलती है। मालवों ने जयपुर के पास कर्कोट नागर नामक स्थान में अपनी राजधानी बनाई थी और यह नाम नाग कर्कोट के नाम पर रखा गया था। यह स्थान आज- कल उनियारा के राजा के राज्य में है जो जयपुर के महाराज का एक करद राज्य है और टॉक से २५ मील पूर्व दक्षिण में स्थित है। राजधानी के नाम कर्कोट नागर में जो नागर शब्द है, स्वयं उसका संबंध भी नाग शब्द के साथ है। यहाँ ध्यान में रखने योग्य महत्त्व की एक बात यह भी है कि नाग राजाओं और प्रजातंत्री मालवों की सभ्यता एक ही थी और संभवतः वे लोग एक ही जाति के थे। राजशेखर कहता है कि टक्क लोग और मरु के निवासी अप- भ्रंश के मुहावरों का प्रयोग करते थे। जैसा कि हम अभी बतला चुके हैं, पद्मावती के गणपति नाग का परिवार टाक वंशी था, जिसका अभिप्राय यह है कि वह परिवार टक्क देश से आया था। इससे हमें पता चलता है कि मालव और नाग लोग एक ही बोली बोलते थे। जान पड़ता है कि जब प्रजातंत्री मालव लोग आरंभ में पंजाब से चले थे, तब टक्क नाग भी उन लोगों के साथ ही वहाँ से चले थे। साथ ही यह भी पता चलता है कि स्वयं नाग लोग भी मूलतः प्रजातंत्री वर्ग के ही थे पंचकर्पट के ही थे ( देखो ३३१)-और वे वस्तुतः पंजाब के रहनेवाले थे जो पीछे से मालवा में आकर बस गए थे। $ ४३. नाग सम्राट उस आंदोलन के नेता बन गए थे जो कुशनों के शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये उठा था। नाग काल में मालवां, यौधियों और कुणिंदों (मद्रकों) ने फिर से अपने अपने सिक्के बनाने आरंभ कर दिए थे। यदि इस दूसरे प्रजातंत्र
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