पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१५३

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(१२५) है । वंश-नाम त्रैकूटक ठीक इसी के समान है। मुझे ओड़छा राज्य के सबसे उत्तरी भाग में चिरगाँव से छः मील पूर्व झाँसी के जिले में बागाट नाम का एक पुराना गाँव मिला था। उसके पास ही विजौर नाम का एक और गाँव है और प्रायः बागाट के साथ उसका भी नाम लिया जाता है। लोग बिजौर-बागाट कहा करते हैं। वह ओछड़ा की तहरौली तहसील में है। यह कयना और दुगरई नाम की दो छोटी छोटी नदियों के बीच में है जो आगे जाकर बेतवा में मिलती हैं। यह ब्राह्मणों का एक बड़ा और वहुत पुराना गाँव है और इसमें अधिकतर भागौर ब्राह्मण रहते हैं । लोगों में प्रायः यही माना जाता है कि महाभारत के सुप्रसिद्ध ब्राह्मण वीर द्रोणाचार्य का यह गाँव है । वहाँ दो बड़ी गुफाएँ हैं। लोग मुझसे कहते थे कि वे प्रायः २५ गज चौड़ी और ३० गज लंबी हैं । मैंने यह भी सुना था कि वहाँ बहुत सी मूर्तियाँ हैं । उन मूर्तियों का जो वर्णन मैंने सुना था, उससे मुझे ऐसा जान पड़ता था कि वे मूर्तियाँ गुप्त काल की हैं। आज तक कभी कोई पुरा- तत्त्ववेता उस स्थान पर नहीं गया है। यदि वहाँ अच्छी तरह खोज और खुदाई आदि की जाय तो वहाँ अनेक शिलालेख तथा मूल्यवान् अवशेष मिल सकते हैं। ६ ५७ क. जान पड़ता है कि पुराणों के अनुसार जिस ब्राह्मण का पहले-पहल राज्याभिषेक हुआ था, जो इस राजवंश का मूल पुरुष था और जिसने अपना उपयुक्त नाम विंध्यशक्ति रखा था, उसने अपने राजवंश की उपाधि के लिये अपने नगर या गाँव का नाम चुना था। अमरावती में एक यात्री का लेख मिला है जिसमें १. G. I. पृ० २३४ ।