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रुद्रसेन द्वितीय-इसका विवाह प्रभावती गुप्ता के साथ हुआ था जो चन्द्रगुप्त द्वितीय तथा 1 महादेवी कुबेर नागा की पुत्री थी। (दिवाकरसेन-यह तेरह वर्ष की अवस्था में या उसके उपरान्त युवराज रहने की दशा में ही मर गया था) दामोदरसेन-प्रवरसेन (प्रवरसेन द्वितीय) शिलालेखों से पता चलता है कि इसने मध्य प्रदेश के प्रवरपुर में कम से कम २३ वर्ष तक राज्य किया था। जान पड़ता है कि यह एक नई राजधानी थी जो उसी के नाम पर स्थापित हुई थी। ( १४० ) नरेंद्रसेन-(अजंतावाले शिलालेख में इसका नाम नहीं है। यह ८ वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा था। ) बालाघाटवाले प्लेटों में इसका नाम नरेंद्रसेन दिया है। इसने महादेवी अज्झिता भट्टारिका के साथ विवाह किया था जो कुंतल के राजा की कन्या थी। कोशला मेकला और मालव के करद राजा इसके आज्ञानुवर्ती थे।