(१६०) उन तीनों राज्यों में दस शासक या दस राष्ट्रपति हुए थे। दूसरी हस्तलिखित प्रतियों में त्रयोदश के स्थान पर तथैव च' पाठ है। और इससे यह भी सूचित हो सकता है कि महीपी के मुख्य शासकों की तरह उन्होंने भी तीस वर्षों तक राज्य किया था। इनके राज्य का कोई अलग स्थान नहीं बतलाया गया है और इसी लिये हम समझते हैं कि वे पश्चिमी मालवा में थे। परवर्ती अर्थात् गुप्त काल में ये लोग आवन्त्य कहे गए हैं जो या तो आमीरों के अधीन थे और या उनके संघ में थे (६१४५ और उसके आगे)। यह बात बहुत प्रसिद्ध है कि कुमारगुप्त के समय में पुष्यमित्र लोग इतने बलवान हो गए थे कि उन्होंने उस सम्राट पर बहुत भीषण आक्रमण किया था। यहाँ प्रजातंत्री राष्ट्रपतियों या राजन्यों के राज्यारोहण का उल्लेख है, इसलिये उनकी दस की संख्या का अर्थ यह है कि प्रत्येक राष्ट्रपति या राजन्य तीन वर्ष तक शासन करता था। जान पड़ता है कि इस मालवा प्रांत पर वाकाटकों ने सन् ३००-३१० ई. के लगभग अधिकार प्राप्त किया था। ६७५. मेकला में ७० वर्षों में, अर्थात् लगभग सन् २७५ से ३४५ ई. तक, सात शासक हुए थे। जान पड़ता है कि यह प्रदेश वाकाटकों के हाथ में विंध्यशक्ति के समय मकला में आया था। मेकला के शासक, जो विंध्यक वंश की एक शाखा में से थे, आंध्र देश के राजा थे। आंध्र देश के इतिहास से, जो आगे १.V.P. विलसन ४.२.४. पारजिटर P. T. ५१. टिप्पणी १४ । २. ब्रह्मांड पुराण के सप्ततिः पाठ के अनुसार । ३. P. T. ५१, टिप्पणी १६ ।
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