दक्षिण भारत के इतिहास के अंतर्गत दिया गया है, इस काल का पूरा पूरा समर्थन होता है जो हमें पुराणों से इन शासकों के संबंध में मिलता है। ६७६. वाकाटकों के समय में कोसला में एक के बाद एक इस प्रकार नौ शासक हुए थे, पर भागवत के अनुसार इनकी संख्या सात ही है। ये लोग मेघ कहलाते कोसला थे। संभव है कि ये लोग उड़ीसा तथा कलिंग के उन्हीं चेदियों के वंशज हों जो खारवेल के वंशधर थे और जो अपने साम्राज्य-काल में महाभेष. कहलाते थे। अपनी सात या नौ पीढ़ियों के कारण ये लोग मूलतः विंध्यशक्ति के समय तक, जब कि आंध्र पर विजय प्राप्त की गई. थी, अथवा उससे भी और पहले भारशिवों के समय तक जा पहुँचते हैं । विष्णुपुराण के अनुसार कोसला प्रदेश के सात विभाग थे ( सप्त कोसला)। पुराणों में कहा गया है कि ये शासक बहुत शक्तिशाली और बहुत बुद्धिमान थे। गुप्तों के समय में मेघ लोग हमें फिर कौशांबी के शासकों या गवर्नरों के रूप में मिलते हैं जहाँ उनके दो शिलालेख मिले हैं। ६ ७६ क. बरार (नैपध देश) और उसकी राजधानी विदूर ( उत्तरी हैदराबाद का बीदर ) नल-वंश के अधिकार में थी और इस वंशवाले बहुत वीर तथा बलवान् नैषध या बरार देश थे। कदाचित् विष्णुपुराण को छोड़कर और कहीं इस बात का उल्लेख नहीं है कि इनमें कितने राजा हुए थे और विष्णुपुराण की अधिकांश E. I.१९२५ पृ०, १५८ ।
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