(२२६) और भगवान में कुछ ऐसे ऐतिहासिक तथ्य हैं जो विशिष्ट रूप से इन्हीं साम्राज्य-भोगी वंशों से संबंध रखते हैं। यहाँ ऐसा जान पड़ता है कि उन्होंने कुछ नितांत स्वतंत्र सामग्री का ही उपयोग किया है। ६ १२२. वायुपुराण और ब्रह्मांडपुराण में गुप्तों का वर्णन उन नागों के वणन के उपरांत आरंभ किया गया है जो बिहार में चंपावती या भागलपुर तक के शासक साम्राज्य-पूर्व काल के गुप्तों थे। परंतु विष्णुपुराण में उन गुप्तों का के संबंध में विष्णु-पुराण आरंभ नागों के समय से किया गया है जिससे उसका अभिप्राय गुप्त और घटोत्कच के उदय से है। यथा- नवनागाः पद्मावत्यां कान्तिपुर्या मरायायनुगंगा प्रयागं मागधा गुप्ताश्च भोक्ष्यन्ति । और इसका आशय यह है कि जिस समय नव नाग पद्मावती, कांतिपुरी और मथुरा में राज्य करते थे, उसी समय मागध गुप्त लोग गंगा-तटवाले प्रयाग में शासन करते थे। इससे सूचित होता है कि उनकी पहली जागीर इलाहाबाद जिले में थी और उस समय वे लोग मगध के निवासी माने जाते थे। इसका स्पष्ट अभिप्राय यही है कि प्रारंभिक गुप्त लोग इलाहाबाद में यमुना की तरफ नहीं बल्कि गंगा की तरफ अर्थात अवध और बनारस को तरफ राज्य करते थे। विष्णुपुराण में अनु-गंगा-प्रयाग एक शब्द के रूप में आया है और पद्मावती, कांतिपुरी और मथुरा की तरह राजधानी का यही अनु-गंगा-प्रयाग नाम दिया है। वह स्वतंत्र अनु-गंगा नहीं है जो किसी अनिश्चित प्रदेश का सूचक हो। इस अवसर पर न तो भागवत में ही और न विष्णुपुराण
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