राजा कनक ( २४०) स्त्री-राज्य त्रै-राज्य मूधिक जानपदान कनकाह्वयः भोक्ष्यति । मूधिक वह प्रदेश है जो मूसी नदी के आस पास पड़ता है: और यह मूसी नदी हैदराबाद से होकर दक्षिण की ओर बहती है। जान पड़ता है कि दक्षिणी मराठा प्रदेश का एक अंश ही भोजक था। त्रै-राज्य उन तीनों राज्यों का प्रसिद्ध वर्ग है जो दक्षिण में बहुत दिनों से चले आ रहे थे। पुराणों में स्त्री-राज्य का उल्लेख सदा मूपिक देश के बाद ही और वनवास के साथ मिलता है और इसलिये हम समझते हैं कि यह वही कर्णाट या कुंतल प्रदेश है। ६ १२८. अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यह बड़ा शासक कौन था जो तीन तामिल राज्यों पर प्रभुत्व रखता था और जो मूपिक देश से दक्षिणी कोंकण तक का कनक या कान कोन था शासन करता या कराता था ? कनक नाम का यह व्यक्ति कौन था ? यह स्पष्ट ही है कि उस समय इस नये शासक ने पल्लवों को अधिकारच्युत कर दिया था । पौराणिक वर्णन के अनुसार यह कनक दक्षिण का प्रायः सम्राट्-सा था। इस वर्णन का संबंध केवल एक ही शासक-कुल के साथ हो सकता है और वह वही कदंब-कुल था, जिसकी उन्हीं दिनों स्थापना हुई थी। पल्लवों के ब्राह्मण सेनापति मयूरशर्मन् ने पल्लव सम्राट् (पल्लवेंद्र) से एक अधीनस्थ और करद-राज्य प्राप्त किया था। उन दिनों १. देखो रायल एशियाटिक सोसाइटी के जरनल, सन् १६०५, पृ० २६३ में फ्लीट का लेख । यथा-चोल पांड्य केरल धरणीधर-त्रय २. स्त्री-राज्य और कुंतल कदाचित् तामिल शब्दों के अनुवाद हैं।
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