पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२७३

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समुद्रगुप्त और ( २४५) ६१३०. आर्यावर्त में पहला युद्ध करने के उपरांत समुद्रगुप्त वस्तुतः वाकाटक साम्राज्य पर ही अधिकार करने लगा था। उसने अपना अभियान इस प्रकार आरंभ किया था कि पहले तो वह बिहार से चल वाकाटकसाम्राज्य कर छोटा नागपुर होता हुआ कोसल की ओर गया था और तब वाकाटक साम्राज्य के दक्षिण-पूर्वी भागों से होता हुआ वह फिर लौटकर आर्यावर्त में श्रा गया था। इस अवसर पर हम सुभीते से इस बात का पता लगा सकते हैं कि समुद्रगुप्त जब विजय करने निकला था, तब वह किन-किन मार्गों से होकर आगे बढ़ा था। इसलिये इस अवसर पर हम प्रजातंत्रों और सिंध, काश्मीर तथा अफगानिस्तान के म्लेच्छ राज्यों का वर्णन छोड़ देते हैं और अगले प्रकरण में समुद्र- गुप्र के युद्धों की मुख्य-मुख्य बातें बतला देना चाहते हैं। १३. अायांव और दक्षिण में समुद्रगुप्त के युद्ध ६१३१. इलाहाबादवाले शिलालेख के अनुसार आर्यावर्त में समुद्रगुप्त के युद्ध दो भागों में विभक्त थे। पहले भाग में तो वे युद्ध आते हैं जो दक्षिणी भारतवाले अभियान समुद्रगुप्त के तीन युद्ध के पहले हुए थे और दूसरे भाग में वे युद्ध हैं जो उक्त अभियान के बाद हुए थे। इन्हीं युद्धों के परिणामस्वरूप उस गुप्त-साम्राज्य की स्थापना हुई थी fसका चित्र पुराणों में अंकित है। यह चित्र बहुत कुछ ठीक और बिलकुल पूरा-पूरा है और इसमें साम्राज्य के तीनों प्रांतों का उल्लेख है ( देखो १२५); और साथ ही साम्राज्य के उस मुख्य भाग का भी उल्लेख है जिसमें अनु-गंगा-प्रयाग और मगध का प्रांत था।