(२६७ ) उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पहला आर्यावर्त-युद्ध सन् ३४४-३४५ ई० में दुआ होगा, दूसरा सन् ३४८ ई० में या उसके लगभग और तीसरा सन् ३४६ या ३५० ई० में हुआ होगा। १४. सीमा प्रांत के शासकों और हिंदू प्रजातंत्रों का अधीनता स्वीकृत करना, उनका पौरा- णिक वर्णन और द्वीपस्थ भारत का अधीनता स्वीकृत करना ६ १४२. जब तीसरा आर्यावर्त -युद्ध समाप्त हो गया और नागदत्त तथा चंद्रवर्मन् का पतन हो गया, तब समुद्रगुप्त का युद्ध- काल भी समाप्त हो गया। यह बात इला- सीमा प्रांत के राज्य हाबादवाले शिलालेख (पं० २२ ) में साफ तौर पर लिखी हुई है। सीमाप्रांत में केवल पाँच मुख्य राज्य थे और वे सभी उसके साम्राज्य के अंतर्गत आ गए थे। (१) समतट, (२) डवाक, (३) कामरूप, (४) नेपाल और (५) कर्तृपुर ने साम्राज्य के सभी कर चुका दिए थे और इन सब राज्यों के राजा स्वयं आकर समुद्रगुप्त की सेवा में उपस्थित हुए थे। सीमाप्रांत के इन राजाओं के राज्य गंगा नदी के मुहाने से प्रारंभ होते हैं और लुशाई-मणिपुर-आसाम से होते १. इलाहाबादवाले स्तंभ का शिलालेख, पंक्ति २२, Gupta Inscription, पृ०८। २. कर्नल गेरिनी द्वारा संपादित Ptolemy (पृ०५५-६१) में कहा गया है कि उन दिनों उत्तरी बरमा को डवाफ कहते थे।
पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२९५
दिखावट