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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३०१

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(२३) पदा के लिये पूरा पूरा नाश हो गया था; और यह बल्ख कुशनों का सबसे दूर का निवास स्थान और केंद्र था। ६ १४५. मालवों, आयुनायनों, यौधेयों, माद्रकों, आभीरों, गार्जुनों, सहसानीकों, काकों, खर्परिकों तथा अन्यान्य समाजों के प्रजातंत्रों के संबंध में डा०विंसेंट स्मिथ प्रजातंत्र और समुद्रगुप्त का यह विचार था कि ये सब प्रजातंत्र समुद्रगुप्त के साम्राज्य की सीमाओं पर थे। परंतु उनका यह मत भ्रमपूर्ण था और ये प्रजातंत्र समुद्रगुप्त के साम्राज्य की सीमाओं पर नहीं थे, क्योंकि पंक्ति २२ (इलाहाबाद- वाले स्तम्भ का शिलालेख ) में, जहाँ सीमाओं पर के राजाओं का उल्लेख है, वहाँ स्पष्ट रूप से उक्त प्रजातंत्र इस वर्ग से अलग रखे गए हैं। ये सब साम्राज्य के अंतर्भुक्त राज्य थे और साम्राज्य के सब प्रकार के कर देने और उसकी समस्त आज्ञाओं का पालन करने का वचन देकर ये सब प्रजातंत्र गुप्त-साम्राज्य के अंग बन गए थे और उसके अंदर आ गए थे। अधीनस्थ और करद प्रजातंत्रों के जो नाम गिनाए गए हैं, उनमें उनकी भौगोलिक स्थिति का ध्यान रखा गया है और उसमें भौगोलिक योजना देखने में आती है। गुप्तों के प्रत्यक्ष राज्य-क्षेत्र अर्थात् मथुरा से प्रारंभ करके मालवों, आयुनायनों, यौधेयों और माद्रकों के नाम गिनाए गए हैं। इनमें से पहला राज्य मालव है। नागर या कर्कोट- नागर नामक स्थान, जो आज-कल के जयपुर राज्य में स्थित है, उन दिनों मालवों का केंद्र था और वहीं उनकी राजधानी थी, जहाँ मालवों के हजारों प्रजातंत्र सिक्के पाए गए हैं ( देखो १. वि० उ० रि० सो० का जरनल, खंड १८, पृ० २६ और उससे श्रागे।