( २८८ ) कराया था; और इंद्रद्वीप के उपरांत जिस कसेरु अथवा कसेरुमत द्वीप का उल्लेख है, बहुत संभव है कि यह वही द्वीप हो, जिसे आज-कल स्टेटस सेटिलमेंटस Straits Settlements) कहते हैं। इसके आगे दूसरे विभाग में ताम्रपर्णी (आधुनिक लंका या सीलोन का पुराना नाम ) से नामावली प्रारंभ की गई है और उसमें इन द्वीपों के नाम हैं-ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गांधर्व और वरुण द्वीप । नागद्वीप आज-कल का नोकोबार है। कंबोडिया के शिलालेखों से हमें पता चलता है कि कंबोडिया (इंडो-चाइना) पर पहले नागों का अधिकार था, जिन्हें भारतवर्ष के सनातनी हिंदू-कौडिन्य के वंशधरों ने अधिकार-च्युत करके वहाँ अपना राज्य स्थापित किया था। हम यह मान सकते हैं कि इन उपनिवेशों में हिंदुओं के जाकर बसने से पहले जो लोग रहा करते थे उन्हीं का जातीय नाम “नाग' था। गभस्तिमान् ( सूर्य का द्वीप), सौम्य, गांधर्व और वरुण वही द्वीप हैं जो आज-कल द्वीपपुंज (Archipelago) कहलाते हैं और जिनमें सुमात्रा, बोरनियो आदि द्वीप हैं; और इनमें से सुमात्रा और जावा में ईसवी चौथी शताब्दी से पहले भी अवश्य ही भारतवासी जाकर बसे हुए थे। यह बात निश्चित है कि पुराणों के कर्ताओं को ईसवी तीसरी और चौथी शताब्दियों में इस बात का पूरा-पूरा ज्ञान था कि भारत के पूर्वी द्वीपों में हिंदुओं के उपनिवेश हैं और १. गेरिनी (Gerini) द्वारा संपादित Ptolemys Geo- graphy पृ० ३७६-३८३. २. डा० श्रार० सी० मजुमदार-कृत Champa नामक ग्रंथ २. १८, २३.
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