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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३३२

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( ३०४) - विशेष महत्त्व नहीं था, परंतु सातवाहनों के पतन के उपरांत उन्होंने विशेष महत्त्व प्राप्त कर लिया था। इस प्रकार हमें पता चलता है कि - (१) अधीनस्थ (भृत्य ) छोटे अांधों की सात पीढ़ियाँ थीं और उनका राज्य-काल १०० वर्ष अथवा १०५ वर्ष था। (२) आभीर १० (अथवा ७) पीढ़ियाँ, ६७ वर्ष । (३) श्रीपार्वतीय १०० अथवा १०५ वर्ष । अधीनस्थ या भृत्य आंध्र कौन थे और उनका इतिहास १५७. ये अधीनस्थ या भृत्य आंध वस्तुतः वही प्रसिद्ध सामंत सातवाहन अथवा आंध हैं जिनके वंशजों में चुटु वंश के दो हारितोपुत्र हुए थे और जिनके शिलालेख कन्हेरी (अपरांत ), कनारा (बनवसी ) और मैसूर (मलवल्ली ) में मिले हैं। इन शिलालेखों की लिपियों को देखते हुए इनका समय सन् २०० ई० से पहले नहीं रखा जा सकता। यद्यपि बनवसीवाले लेख की १. रैप्सन कृत C. A. D. ३१, ४३, ४६ और ५३-५५ कन्हेरी A. S. W. I. खंड ५, पृ०८६, बनवसी, इं० एंटि०, खं० १४, पृ० ३३१ । मैसूर ( मलबल्ली का शिमोगा) E.C.७, २५१ । २. राइस कृत E. C. खं० ८, पृ० २५२ के सामने का प्लेट । इं० एंटि०, खंड १४ । सन् १८८५ पृ० ३३१, पृ० ३३२ के सामने- वाला प्लेट । डा० बुहलर से समझा था कि बनवसीवाला लेख ईसवी पहली शताब्दी के अंत या दूसरी शताब्दी के प्रारंभ का है;