पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३९०

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(३६२) बहुत दिनों तक चोलों के साथ उनका लगातार युद्ध होता रहा था और अंत में बुद्धवर्मन ने चोलों की शक्ति का पूरी तरह से नाश किया था। ६ १८५. पल्लवों के पूर्वजों का राज्य नव-खंड कहलाता था । महाभारत में एक नव-राष्ट्र का भी उल्लेख है, परंतु वह पश्चिमी भारत में था। यह नवखंड कहीं आंध्र के नवखंड आस-पास होना चाहिए। कोसल में जो १८ वन्य राज्य थे, उनमें अनुश्रुतियों के अनुसार एक नवगढ़ भी था। यह बस्तर के कहीं आस-पास था और भार-शिव राज्य के नागपुर विभाग के पास था, जहाँ से आंध्र पर आक्रमण करना सहज था। बहुत कुछ संभावना इस बात की जान पड़ती है कि वीरकोर्चवर्मन का पिता कोसल में गवर्नर या अधीनस्थ उप-राजा था, और वहीं से आंध्र प्राप्त किया गया था। $ १८६. वीरकोर्च कुमारविष्णु प्रथम अवश्य ही यथेष्ट अधिक काल तक जीवित रहा होगा। उसने अश्वमेध यज्ञ किया था और कांची पर विजय प्राप्त की थी। कदाचित् पल्लवों का काल उसके स्वामो अथवा पिता ने इक्ष्वाकुओं निरूपण और आंध्र पर विजय प्राप्त की थी और उसने चोलों पर भी विजय प्राप्त की थी और कांची पर अधिकार किया था। उसका पुत्र शिव-स्कंद युवराज १. भत्ती भुवोऽभदथ बुद्धवम्मी यश्चोलसैन्यार्णव-बाडवाग्निः । (श्लोक ८) S. J. I. २, ५०८ । २. S. I. I. २,५१५ ( श्लोक ६)। ३. सभापर्व ३१, ६ । ४. हीरालाल, एपि० ई०, ८, २८६ ।